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सियासत

पीएम मोदी से असहमत होने का साहस रखने वाली सुप्रीम जज!

असरार ख़ान-

यह तसवीर जस्टिस बीवी नागरत्ना जी का है जिन्होंने नोटबन्दी को गैरकानूनी बताया है …

इतने से ही संतोष कीजिए कि सुप्रीम कोर्ट में एक जज तो ऐसी निकलीं जिन्होंने 2016 में प्रधानमंत्री मोदी के जरिए अचानक किए गए नोटबन्दी को गैरकानूनी बताने की हिम्मत दिखाई है …

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लेकिन दुःख की बात है कि 4 अन्य जजों ने लीपापोती करते हुए इसे सही ठहराया है और जिस मकसद से इसे किया गया था उसका एक भी फायदा बताने में असमर्थ रहे हैं …ज्ञात रहे कि इसके बाद 99% नोट वापस आ गए थे जबकि सरकार ने सोचा था कि जितना नोट वापस नहीं आएगा उसके एवज में नए नोट को छाप कर भारत की राजकीय तिजोरी को भर दिया जाएगा …

लेकिन हुआ उल्टा देश भर के नागरिकों को तरह तरह की दिक्कतें पेश आईं कुछ लोग मर भी गए बहुत से लोग इलाज नहीं करा पाए और गरीब बेचारे नोट को बदल भी नहीं पाए …इतना ही नहीं बल्कि नए नोट को छापने और पुराने नोटों की गिनती इत्यादि में कई गुना ज्यादा खर्च हो गया अर्थात सरकारी खजाने को भारी नुकसान उठाना पड़ा …

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व्यक्तिगत तौर पर हम इसे मोदी का अहंकार कह सकते हैं क्योंकि उन्हें हव्वा खड़ा करना था कि उन्होंने कुछ बड़ा काम कर दिया है चाहे अर्थव्यवस्था को चोट पहुंची हो या गरीब गुरबा को इससे उनकी सेहत पर कोई फर्क नही पड़ता क्योंकि वे प्रेस से बात नहीं करते कि उनसे कोई जिरह कर सके ..?

देखें ये वीडियो-

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