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उत्तर प्रदेश

काकोरी थाने में भू-माफिया के प्रभाव में पुलिस और राजस्वकर्मियों द्वारा खुली बेईमानी

दुबग्गा मछली मंडी के पीछे दिलदारनगर नंबर-दो, थाना काकोरी, लखनऊ में भू-माफिया द्वारा खुलेआम गरीब, अनपढ़ लोगों को ठगने और प्रशासन द्वारा मदद नहीं किये जाने का एक मामला अच्छन मियां पुत्र स्व० बाबू उर्फ़ रईसुद्दीन द्वारा हमें बताया गया. उन्होंने बताया कि तकिया पीरबाग़, थाना सआदतगंज के अफजाल अहमद ने मासिक किश्त के बदले उसे और कई लोगों को बेचेनामा पर छोटे-छोटे प्लाट दिए. ये लोग उन प्लाट पर काबिज हो गए. जैसे अंतिम किश्तों का समय आया, अफजाल गायब हो गया और उसने चुपके से उस जमीन को अपने ही आदमी याकूब को रजिस्ट्री कर दी. फिर राजस्व कर्मियों को मिला कर ख़ारिज-दाखिल करा लिया और पहले से काबिज लोगों को पुलिस और गुंडों के बल पर खाली करवाया.

<p>दुबग्गा मछली मंडी के पीछे दिलदारनगर नंबर-दो, थाना काकोरी, लखनऊ में भू-माफिया द्वारा खुलेआम गरीब, अनपढ़ लोगों को ठगने और प्रशासन द्वारा मदद नहीं किये जाने का एक मामला अच्छन मियां पुत्र स्व० बाबू उर्फ़ रईसुद्दीन द्वारा हमें बताया गया. उन्होंने बताया कि तकिया पीरबाग़, थाना सआदतगंज के अफजाल अहमद ने मासिक किश्त के बदले उसे और कई लोगों को बेचेनामा पर छोटे-छोटे प्लाट दिए. ये लोग उन प्लाट पर काबिज हो गए. जैसे अंतिम किश्तों का समय आया, अफजाल गायब हो गया और उसने चुपके से उस जमीन को अपने ही आदमी याकूब को रजिस्ट्री कर दी. फिर राजस्व कर्मियों को मिला कर ख़ारिज-दाखिल करा लिया और पहले से काबिज लोगों को पुलिस और गुंडों के बल पर खाली करवाया.</p>

दुबग्गा मछली मंडी के पीछे दिलदारनगर नंबर-दो, थाना काकोरी, लखनऊ में भू-माफिया द्वारा खुलेआम गरीब, अनपढ़ लोगों को ठगने और प्रशासन द्वारा मदद नहीं किये जाने का एक मामला अच्छन मियां पुत्र स्व० बाबू उर्फ़ रईसुद्दीन द्वारा हमें बताया गया. उन्होंने बताया कि तकिया पीरबाग़, थाना सआदतगंज के अफजाल अहमद ने मासिक किश्त के बदले उसे और कई लोगों को बेचेनामा पर छोटे-छोटे प्लाट दिए. ये लोग उन प्लाट पर काबिज हो गए. जैसे अंतिम किश्तों का समय आया, अफजाल गायब हो गया और उसने चुपके से उस जमीन को अपने ही आदमी याकूब को रजिस्ट्री कर दी. फिर राजस्व कर्मियों को मिला कर ख़ारिज-दाखिल करा लिया और पहले से काबिज लोगों को पुलिस और गुंडों के बल पर खाली करवाया.

मैंने और अमिताभ ठाकुर ने मौके पर जा कर जांच की तो पाया कि अच्छन के अलावा शाहीन पत्नी फरीद, जमीला पत्नी मो० नौशाद, साबरून पत्नी गुलाम मोहम्मद, अलाउद्दीन पुत्र मतिउल्लाह, अबरार अहमद पुत्र खलील अहमद, हसीब जहां पत्नी अनवार अहमद, आस मोहम्मद पुत्र शेख याकूब आदि दर्जनों लोगों को इसी तरह ठगा है. हमने पाया कि यद्यपि मौके पर इनमे तमाम लोग काबिज थे पर स्थानीय लेखपाल सहित राजस्व कर्मियों ने आँख मूँद कर याकूब का कब्जा मान लिया और उसके नाम जमीन दाखिल खारिज कर दिया जबकि उत्तर प्रदेश भू-राजस्व अधिनियम 1901 की धारा 34 और 35 के तहत कब्जे की सही स्थिति ज्ञात करना आवश्यक है.

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हमने यह भी पाया कि थाना काकोरी में अफजाल के खिलाफ अच्छन द्वारा दर्ज मु०अ०स० 91/2012 धारा 406/420 आईपीसी और आस मोहम्मद द्वारा दर्ज मु०अ०स० 79/2012 धारा 419, 420, 504, 506 आईपीसी में पुलिस ने अंतिम रिपोर्ट लगा दी जो सरासर गलत है. अतः हमने लखनऊ के डीआईजी आर के चतुर्वेदी और डीएम राजशेखर से क्रमशः निष्पक्ष विवेचना कराने और गलत ढंग से हुए ख़ारिज-दाखिल को निरस्त करते हुए इन गरीबों के साथ न्याय किये जाने का अनुरोध किया है.

सेवा में,
श्री आर के चतुर्वेदी,
डीआईजी रेंज,

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लखनऊ

विषय- दिलदारनगर, थाना काकोरी, जनपद लखनऊ में भू-माफिया के खिलाफ दर्ज की गयी एफआईआर में खुलेआम बेईमानी और गरीब, अनपढ़ पीड़ितों को न्याय नहीं देने विषयक 

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महोदय,

कृपया निवेदन है कि श्री अच्छन मियां पुत्र स्व० श्री बाबू उर्फ़ रईसुद्दीन निवासी 208/410, जगत नारायण रोड, जनता नगरी, थाना सआदतगंज, लखनऊ फोन नंबर 088582-40164 मेरे पास आये थे और उन्होंने अपने द्वारा खरीदी गयी एक जमीन पर भू-माफिया द्वारा बेईमानी करने और पुलिस द्वारा उन भू-माफिया को ही सहयोग करने के बारे में कई सारे अभिलेख दिए थे.

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श्री अच्छन के अनुसार श्री अफजाल अहमद पुत्र श्री हाफिज दिलावर निवासी 398/1, तकिया पीरबाग़, थाना सआदतगंज, लखनऊ एक भू-माफिया है जो कई जगहों पर प्लाट खरीद कर उस पर लकी ड्रा जैसी कई फर्जी किस्म की योजनायें चलाता है. श्री अफजाल का मोडस ओपेरंडी यह है कि इन योजनाओं के जरिये वह भोले-भाले गरीब लोगों को प्लाट बेचता रहता है. प्लाट बेचते समय वह वास्तव में रजिस्ट्री कार्यालय में रजिस्ट्री नहीं करता बल्कि बेचानामा, इकरारनामा, अग्रीमेंट आदि के द्वारा ही वह जमीन खरीदार को बेच देता है और कब्ज़ा दे देता है. वह उन्हें कहता है कि पक्का बैनामा पूरी किश्त के बाद दे देगा पर किश्तें पूरी होने के पहले गायब हो जाता है जिससे किश्तें पूरी ना हों और बैनामा करने की नौबत ही नहीं आये. इस प्रकार वह तमाम खरीदारों को प्लाट बेच देता है. उसके खरीदार गरीब, अनपढ़, कमजोर लोग होते हैं जो इन प्लाट पर कब्ज़ा कर लेते हैं और कुछ उस पर मकान बना कर रहने लगते हैं. फिर आगे चल कर श्री अफजाल उस जमीन को विधिक रूप से रजिस्ट्री कार्यालय में अपने ही किसी आदमी (जिसके लिए वह अक्सर अपने साथी श्री तारिक या श्री याकूब निवासी काकोरी क़स्बा का प्रयोग करता है) को बेच देता है. राजस्व विभाग के लेखपाल और अन्य निछले स्तर से अधिकारियों को मिला कर उनसे मौके की अपने पक्ष की रिपोर्ट लगवा ली जाती है जिसमे मौके पर तमाम लोगों का कब्जा और कभी-कभी मकान होने के बाद भी कागज़ पर विधिक खरीदार का कब्जा दिखा दिया जाता है. इससे उस नए विधिक खरीदार के पक्ष में खारिज-दाखिल की कार्यवाही हो जाती है जिससे उनका कानूनी रूप से पूरा हक़ बन जाता है. इस प्रक्रिया में पहले जमीन ख़रीदे लोग कहीं के नहीं रहते, नया कथित खरीदार अपने कागजों के बल पर उस जमीन को कब्जा कर लेता है और वे गरीब लोग ठगे से एक जगह से दूसरी जगह दौड़ते रहते हैं पर इनके साथ न्याय नहीं हो पाता क्योंकि एक तो इनके पास कोई विधिक कागज़ नहीं होते, दूसरे इनकी सामाजिक हैसियत नहीं होती.

श्री अच्छन के अनुसार इस प्रकार अपने रसूख और अपनी चालाकी के बल पर श्री अफजाल और उनका गिरोह ठगी का यह धंधा करते रहते हैं.

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श्री अच्छन के अनुसार यह सारी बातें जाने बिना उन्होंने दुबग्गा मछली मंडी के पीछे, दिलदार नगर, महिपतमऊ, थाना काकोरी में एक भूखंड संख्या 123 क्षेत्रफल 500 वर्गफीट रुपये 35,000 में ख़रीदा था. उन्होंने यह प्लाट श्री अफजाल द्वारा कथित रूप से चलाये जा रहे फ्री-होल्ड प्लाट लाटरी योजना में श्री अब्दुल मोहम्मद जमील उर्फ़ जलील अहमद की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी सुश्री सुश्री रजिया बेगम से दिनांक 21/06/2010 को ख़रीदा था और उस पर कब्ज़ा प्राप्त कर एक छोटी बाउंड्री भी बना ली थी. उनके अलावा श्री अफजाल ने श्री मो० जुबैर की पत्नी सुश्री शहरीन बानो और श्री सगीर अहमद की पत्नी सुश्री रईस बानो को भी उस स्थान पर भूखंड दिया था. श्री अफजाल ने इसके अलावा मौके पर कई अन्य लोगों को जमीन बेचीं.

श्री अच्छन के अनुसार उन्होंने जब सुश्री रईस बानो ने प्लाट लिया था तो उनकी श्री अफजाल से बात हुई थी जिन्होंने उन्हें आश्वस्त कर दिया था कि वे अभी सुश्री रईस बानों से प्लाट लिखवा लें और वे बाद में उसे रजिस्ट्री कर देंगे. श्री अच्छन ने श्री अफजाल को कुछ बचे हुए किश्त भी दिए लेकिन बाद में जब श्री अच्छन श्री अफजाल से उस प्लाट की रजिस्ट्री करने को कहते तो श्री अफजाल टाल देते और फिर उनके एक साथी ने फोन नंबर 098384-13501 से श्री अच्छन को धमकी देना भी शुरू कर दिया.

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श्री अच्छन के अनुसार बाद में श्री अफजाल ने अपने एक साथी श्री तारिक निवासी काकोरी क़स्बा के साथ मिल कर इन सभी भूखंडों को पुनः अपने ही एक आदमी श्री याकूब पुत्र श्री मो० मुस्तफा निवासी 425/96, बिस्मिल नगर कॉलोनी, अम्बरगंज, थाना सआदतगंज को बेच दिया और सदर तहसील, जनपद लखनऊ में वाद संख्या 2724/20.07.2011 में दाखिल-ख़ारिज करा लिया गया जबकि उनमें तमाम भूखंडों पर पूर्व में भूमि ख़रीदे गए लोगों द्वारा वर्ष 2010 तथा उससे पूर्व से ही कब्ज़ा-दखल प्राप्त कर मकान तक बनाए गए. इस प्रकार नियमों को ताक पर रख कर दाखिल-ख़ारिज करा दिया गया.

श्री अच्छन के अनुसार उन्होंने इसकी शिकायत कई बार थाना काकोरी और अन्य कई वरिष्ठ अधिकारियों को किया पर उनकी अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है. उन्होंने इस सम्बन्ध में थाना काकोरी में मु०अ०स० 91/2012 धारा 406/420 आईपीसी बनाम अफजाल अहमद दिनांक 01/04/2012 को दर्ज कराया. एफआईआर में श्री अफजाल द्वारा एक बार प्लाट बेच कर दुबारा उन्हें बेचने और उन्हें सुश्री रईस बानो द्वारा प्राप्त प्लाट पर जबरिया कब्ज़ा प्राप्त करने का आरोप लगाया गया था.

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श्री अच्छन द्वारा हमें यह शिकायत देने पर हम अमिताभ ठाकुर और डॉ नूतन ठाकुर आज दिनांक 08/11/2014 को अपने स्तर पर जांच करने मौका दिलदार नगर कॉलोनी नंबर दो, दुबग्गा मछली मंडी के पीछे, थाना काकोरी पर गए. मौके पर हमें कीब आधा दर्जन लोग ऐसे मिले जिन्होंने श्री अच्छन द्वारा बतायी गयी बात को पूरी तरह तस्दीक किया.

सुश्री शाहीन पत्नी श्री फरीद ने बताया कि उन्होंने श्री अफजाल से वर्ष 2004 में 480 वर्ग फीट के दो प्लाट अगल-बगल में प्रत्येक प्लाट रुपये 60 हज़ार के दर से लिए. उन्होंने पेशगी के तौर पर रुपये 50,000 दे कर दोनों प्लाट पर कब्जा हासिल किया. कब्जा हासिल करते समय उन्हें श्री अफजाल द्वारा एक बेचानामा दिया गया और यह कहा गया कि पूरा पैसा देते ही पक्का बैनामा कर दिया जाएगा. सुश्री शाहीन अपने दोनों प्लाट के लिए रुपये 500 प्रति प्लाट अर्थात कुल एक हज़ार रुपये प्रति माह की मासिक किश्त नियमित रूप से देती रहीं. उन्होंने लगभग अंत तक अपना किश्त दिया लेकिन जब अंतीं कुछ किश्तें बची थीं तो श्री अफजाल अचानक से गायब हो गए. वर्ष 2011 में उन्हें अचानक ज्ञात हुआ कि श्री अफजाल ने ये जमीन दुबारा किसी को बेच दी हैं और यह नया ग्राहक कब्जा लेने आ गया है और जबरिया ट्रेक्टर ला कर लोगों के पुराने कब्जे हटा रहा है. यह सुनते ही उन लोगों ने अपने दोनों प्लाट पर अपने कब्जा को पुख्ता करते हुए उन पर अपने मकान भी बना लिए और वे अपने दोनों प्लाट पर बने मकानों में पूरी तरह काबिज हैं, यद्यपि अभी भी उन्हें श्री अफजाल और उनके साथी याकूब तथा तारिक आदि का डर बना रहता है.

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हमने मौके पर सुश्री शाहीन के दोनों प्लाट पर बने मकान देखे और सुश्री हाहीन सहित उनके मकान का फोट भी सबूत के तौर पर लिया.

जो बात सुश्री शाहीन ने कही, लगभग वही बात उनकी ठीक पड़ोस में रहने वाली सुश्री जमीला पत्नी श्री मो० नौशाद ने कही. उनके और उनके परिवार के तीन लोगों के 480 वर्ग फीट के तीन प्लाट थे जिसमे उनके परिवार के सुश्री साबरून पत्नी श्री गुलाम मोहम्मद और श्री अलाउद्दीन पुत्र श्री मतिउल्लाह तो अपने-अपने पुराने प्लाट पर ही काबिज हैं पर उन्हें पहले दिया हुआ प्लाट श्री अफजाल ने वापस कब्जा कर लिया और बहुत लड़ाई-झगड़े के बाद उन्हें श्री अच्छन को पूर्व में दिया गया प्लाट दे दिया गया. इस प्रकार पहले जो प्लाट श्री अच्छन का था वह अब सुश्री जमीला के कब्जे में है जिस पर उन्होंने अपना घर बना लिया है. सुश्री जमीला ने भी श्री अफजाल द्वारा उसी तरह का फ्रॉड करने और अंतिम किश्तें मिलने के पहले जमीन दोबारा बेच देने की बात बतायी. सुश्री साबरून के लड़के मो० अकरम ने उनके और श्री अलाउद्दीन के साथ भी श्री अफजाल द्वारा इसी प्रकार फ्रॉड किये जाने की पुष्टि की.

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श्री अबरार अहमद पुत्र श्री खलील अहमद जो 480 वर्ग फीट के दो प्लाट पर मकान बना कर काबिज हैं ने भी हूबहू वही बात बतायी और कहा कि उन्होंने पहली किश्त रुपये पच्चीस हज़ार और बाद में दो प्लाट के लिए एक-एक हज़ार के मासिक किश्त अंत तक दिए लेकिन बैनामा करने के पहले ही श्री अफजाल गायब हो गया और चुपके के श्री तारिक के नाम बैनामा कर दिया जिसके कारण आज उस पूरे इलाके में विवाद उत्पन्न हो गया है.

सुश्री हसीब जहां पत्नी श्री स्व० अनवार अहमद ने भी यह बात बतायी और उनके ठीक सामने के 2100 वर्ग फीट प्लाट के श्री वजीम के लोगों ने भी यही बताया कि किस प्रकार बेचेनामे पर कब्जा दे कर बाद में श्री अफजाल ने वह जमीन दुबारा बेच कर बेईमानी की और उन्हें ठगा.

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हमने मौके पर देखा तो पाया कि करीब दो बीघा जमीन ऐसी है जो श्री अफजाल के आपराधिक हरकतों के कारण विवादित हो गयी हैं जिनमे गरीब, कम पढ़े-लिखे लोगों को ठगा गया है और जिसमे कुछ तो हमेशा के लिए अपने प्लाट से बेदखल हो गए हैं और कुछ यद्यपि प्लाट पर काबीज हैं पर वे निरंतर प्लाट चले जाने के खौफ में रहते हैं और उन्हें बिना किसी गलती के तमाम आपराधिक और दीवानी मुकदमेबाजी मे पड़ना पर रहा है.

इन तथ्यों के अलावा जो सबसे गंभीर तथ्य हैं वे यह कि इस मामले में इलाके के राजस्व और पुलिसकर्मियों की भूमिका भी अत्यंत ही संदिग्ध रही है.

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राजस्व कर्मी-

हम सभी जानते हैं कि दाखिल ख़ारिज की प्रक्रिया उत्तर प्रदेश भू-राजस्व अधिनियम 1901 की धारा 34 और 35 के तहत तहसीलदार द्वारा की जाती है और यह एक न्यायिक प्रक्रिया है. धारा 34 में किसी व्यक्ति द्वारा ख़ारिज-दाखिल कराने के लिए तहसीलदार के समक्ष प्रस्तुत आवेदन में अन्य बातों के अलावा कब्जा पाने और कब्जा पाने की प्रक्रिया के बारे में भी स्पष्ट सूचना देना अनिवार्य है. इस धारा में आवेदन देने के बाद तहसीलदार के लिए यह आवश्यक/अनिवार्य होता है कि वह धारा 197, उत्तर प्रदेश भू-राजस्व अधिनियम 1901 में एक नोटिस सभी सम्बंधित पार्टी को दे जिसमे अन्य बातों के अलावा कब्जा प्राप्त करने का दिनांक का भी उल्लेख करेगा. इसके अलावा यह भी अनिवार्य है कि इस नोटिस की कॉपी भूमि प्रबंधक समिति, जिसके अध्यक्ष ग्राम प्रधान और सचिव ग्राम सेक्रेटरी होते हैं, को भी अवश्य दें ताकि वे भी इस सम्बन्ध में स्थिति स्पष्ट कर सकें. इसके अतिरिक्त मौके का लेखपाल मौके पर मुआयना कर यह रिपोर्ट देता है कि जमीन पर किसका कब्जा है और कब से हैं

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ये सारे प्रावधान इसीलिए हैं ताकि कोई फर्जी तरीके से गलत तथ्यों के आधार पर किसी जमीन पर ख़ारिज-दाखिल ना करा ले. इस मामले में स्पष्ट दिखता है कि तहसीलदार और मौके के राजस्व अधिकारियों ने अपने कर्तव्यों को जानबूझ कर नज़रंदाज़ किया. यदि भूमि प्रबंधक समिति को नोटिस की कोय दी जाती तो प्रधान द्वारा पूरी बात सामने आ जाती. यदि मौके पर सही जांच की जाती तो यह स्पष्ट हो जाता कि मौके पर कौन काबिज है और इस तरह गलत ढंग से तारिक के नाम दाखिल-खारिज हो ही नहीं पाता. पर मौके के तहसीलदार और राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से गलत रिपोर्ट लगा कर इन गरीब लोगों का अहित किया गया जो प्रथमद्रष्टया प्रशासनिक और आपराधिक रूप से दंडनीय प्रतीत होता है.

इतना ही गंभीर मामला यह है कि इस प्रकरण में जब श्री अच्छन द्वारा थाना काकोरी में मु०अ०स० 91/2012 धारा 406/420 आईपीसी बनाम अफजाल अहमद तथा वहीँ काबिज एक अन्य व्यक्ति श्री शेख आस मोहम्मद पुत्र श्री शेख याकूब द्वारा मु०अ०स० 79/2012 धारा 419, 420, 504, 506 आईपीसी दर्ज कराया गया तो श्री अच्छन द्वारा दर्ज मुक़दमा दिनांक 20/07/2012 को और श्री आस मोहम्मद द्वारा दर्ज मुक़दमा भी लगभग उसी समय अत्यंत सतही विवेचना कर अंतिम रिपोर्ट के जरिये समाप्त कर दिए गए और मौके के सभी गवाहों और मामले के सभी स्पष्ट साक्ष्यों को पूरी तरह नज़रंदाज़ कर दिए गए जो प्रथमद्रष्टया अनुचित प्रभाव में ही संभव प्रतीत होता है. इनमे श्री आस मोहम्मद का अंतिम रिपोर्ट को मा० न्यायालय ने दिनांक 06/12/2013 को ख़ारिज कर पुनार्विवेचना के आदेश दे दिए लेकिन पिछले दस महीने से यह विवेचना जस की तस लंबित है और श्री आस मोहम्मद यहाँ-वहां असहाय दौड़ रहे हैं.

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हम समझ नहीं पा रहे हैं कि यदि हम कुछ घंटों की अपनी जांच में पूरी बात समझ गए तो स्थानीय राजस्व अधिकारी और विवेचक इन बातों से अनजान और अनभिज्ञ कैसे बने रहे? जाहिर है कि यह सब स्वार्थगत कारणों और अन्येतर कारणों से ही संभव हुआ दिखता है. 

आप अवगत हैं कि धारा 173 (8) सीआरपीसी (Nothing in this section shall be deemed to preclude further investigation in respect of an offence after a report under sub- section (2) has been forwarded to the Magistrate and, where upon such investigation, the officer in charge of the police station obtains further evidence, oral or documentary, he shall forward to the Magistrate a further report or reports regarding such evidence in the form prescribed; and the provisions of sub- sections (2) to (6) shall, as far as may be, apply in relation to such report or reports as they apply in relation to a report forwarded under sub- section (2)) में पुलिस को अग्रिम विवेचना का अधिकार है. हमने ऊपर जितने तथ्य और साक्ष्य प्रस्तुत किये हैं उनसे यह स्पष्ट हो जाता है कि श्री आस मोहम्मद की एफआईआर के अलावा श्री अच्छन का एफआईआर भी अग्रिम विवेचना हेतु पूर्णतया सही प्रकरण है.

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अतः हम उपरोक्त समस्त तःयों के दृष्टिगत आपसे निम्न वेदन करते हैं-

1.       कृपया तत्काल थाना काकोरी, जनपद लखनऊ में श्री अच्छन द्वारा पंजीकृत कराये गए मु०अ०स० 91/2012 धारा 406/420 आईपीसी बनाम अफजाल अहमद की धारा 173 (8) सीआरपीसी में अग्रिम विवेचना कराये जाने हेतु आदेशित करने की कृपा करें

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2.       कृपया तत्काल थाना काकोरी, जनपद लखनऊ में श्री शेख आस मोहम्मद द्वारा पंजीकृत मु०अ०स० 79/2012 धारा 419, 420, 504, 506 आईपीसी में मा० न्यायालय के आदेशों के अनुरूप निष्पक्ष और गहराई से पुनार्विवेचना कराये जाने हेतु आदेशित करने की कृपा करें

3.       कृपया इन दोनों मुकदमों के पूर्व विवेचक द्वारा की गयी विवेचना का तात्विक अन्वेषण/जांच करा कर उनके द्वारा जानबूझ कर सतही विवेचना किये जाने तथा मुल्जिमानों को लाभ देने की बात पाए जाने पर उनके खिलाफ कार्यवाही किये जाने की कृपा करें

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4.       कृपया ख़ारिज-दाखिल की प्रक्रिया में राजस्व कर्मियों की आपराधिक भूमिका को भी देखे जाने हेतु विवेचक को निर्देशित करने की कृपा करें

5.       कृपया उचित पाए जाने पर इस मामले में अभियुक्त श्री अफजाल, श्री तारिक, श्री याकूब आदि के भू-माफिया होने के सम्बन्ध में पूरे लखनऊ जनपद से प्रमाण एकत्र करा कर आवश्यक पाए जाने पर विधि के अनुसार अन्य न्यायोचित कार्यवाही यथा गैंगस्टर एक्ट, गुंडा एक्ट आदि में उनके विरुद्ध नियमानुसार कार्यवाही किये जाने पर सम्यक दृष्टि से विचार करने की कृपा करें

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हम दोनों अमिताभ ठाकुर और डॉ नूतन ठाकुर इस मामले में अपना पक्ष और अपने द्वारा एकत्र किये गए तमाम साक्ष्यों को किसी भी जांचकर्ता अधिकारी या विवेचक के समक्ष प्रस्तुत करने को निरंतर तैयार हैं. हम निवेदन करेंगे कि मामला बहुत गरीब, अनपढ़ और असहाय लोगों का है, अतः इसे प्रथम वरीयता पर दिखवाये जाने की कृपा करें

पत्र संख्या- NT/Complaint/15/14                                  
दिनांक-08/11/2014
भवदीय,
अमिताभ ठाकुर
डॉ नूतन ठाकुर
5/426, विराम खंड,
गोमती नगर, लखनऊ
#094155-34526                                                                                                   # 94155-34525
[email protected]

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प्रतिलिपि- श्री राजशेखर, कलेक्टर/ जिला मजिस्ट्रेट लखनऊ को कृपया उपरोक्त तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर गलत रिपोर्ट लगाने वाले राजस्व कर्मियों पर जांचोपरांत नियमानुसार कार्यवाही करने तथा सही तथ्यों के संज्ञान में आने पर पूर्व में गलत तथ्यों के आधार पर किये गए दाखिल खारिज को निरस्त करने के सम्बन्ध में विधि-सम्मत आदेश निर्गत करने के अनुरोध के साथ सादर प्रेषित

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