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मुंबई के एक भी अखबार ने नहीं किया मजीठिया वेज बोर्ड मामले में सुप्रीमकोर्ट के आदेश का पालन

मुम्बई में लगता है समाचार पत्र मालिकों में सुप्रीमकोर्ट का खौफ नहीं है। दिनदहाड़े इन समाचार पत्रों ने मजीठिया वेज बोर्ड मामले में सुप्रीमकोर्ट के आदेश को ठेंगा दिखा दिया। मुम्बई के निर्भीक पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट शशिकांत सिंह ने मजीठिया वेज बोर्ड मामले में आरटीआई के जरिये एक रिपोर्ट निकाली तो पता चला कि मुम्बई में एक भी अखबार प्रबंधन ने मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश पूरी तरह लागू नहीं की है। सिर्फ हिन्दुस्तान टाइम्स ने श्रम आयुक्त को एक पत्र लिखकर दावा किया कि उन्होंने मजीठिया वेज बोर्ड को पूरी तरह लागू कर दिया है जबकि श्रम आयुक्त कार्यालय ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है इस समाचार पत्र प्रतिष्ठान में सर्वे का काम बाकी है।

<p>मुम्बई में लगता है समाचार पत्र मालिकों में सुप्रीमकोर्ट का खौफ नहीं है। दिनदहाड़े इन समाचार पत्रों ने मजीठिया वेज बोर्ड मामले में सुप्रीमकोर्ट के आदेश को ठेंगा दिखा दिया। मुम्बई के निर्भीक पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट शशिकांत सिंह ने मजीठिया वेज बोर्ड मामले में आरटीआई के जरिये एक रिपोर्ट निकाली तो पता चला कि मुम्बई में एक भी अखबार प्रबंधन ने मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश पूरी तरह लागू नहीं की है। सिर्फ हिन्दुस्तान टाइम्स ने श्रम आयुक्त को एक पत्र लिखकर दावा किया कि उन्होंने मजीठिया वेज बोर्ड को पूरी तरह लागू कर दिया है जबकि श्रम आयुक्त कार्यालय ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है इस समाचार पत्र प्रतिष्ठान में सर्वे का काम बाकी है।</p>

मुम्बई में लगता है समाचार पत्र मालिकों में सुप्रीमकोर्ट का खौफ नहीं है। दिनदहाड़े इन समाचार पत्रों ने मजीठिया वेज बोर्ड मामले में सुप्रीमकोर्ट के आदेश को ठेंगा दिखा दिया। मुम्बई के निर्भीक पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट शशिकांत सिंह ने मजीठिया वेज बोर्ड मामले में आरटीआई के जरिये एक रिपोर्ट निकाली तो पता चला कि मुम्बई में एक भी अखबार प्रबंधन ने मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश पूरी तरह लागू नहीं की है। सिर्फ हिन्दुस्तान टाइम्स ने श्रम आयुक्त को एक पत्र लिखकर दावा किया कि उन्होंने मजीठिया वेज बोर्ड को पूरी तरह लागू कर दिया है जबकि श्रम आयुक्त कार्यालय ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है इस समाचार पत्र प्रतिष्ठान में सर्वे का काम बाकी है।

माननीय सुप्रीमकोर्ट में भेजी गयी महाराष्ट्र के श्रम आयुक्त कार्यालय की रिपोर्ट में क्या रिपोर्ट गयी है, ये आप भी जानिये, जो आरटीआई से प्राप्त हुयी है। मुम्बई के बिजनेस स्टैंडर्ड प्राइवेट लिमिटेड में कुल 145 कर्मचारी काम करते हैं। इस समाचार पत्र प्रतिष्ठान में 10 जून 2016 को श्रम अधिकारियों ने सर्वे किया तो पता चला कि इस कंपनी ने मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से एरियर भुगतान नहीं किया।

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इसी तरह मेसर्स बॉम्बे समाचार में कुल 153 कर्मचारी हैं। यहाँ 23 जून 2016 को सर्वे किया गया तो पता चला कंपनी ने मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश लागू नहीं की है। श्री अम्बिका प्रिंटर्स एन्ड पब्लिकेशन्स में कुल 250 कर्मचारी हैं। इस समाचार पत्र में मजीठिया वेज बोर्ड के पालन न करने को लेकर कुल 8 कर्मचारियों की शिकायतें श्रम आयुक्त कार्यालय में करने की सूचना माननीय सुप्रीमकोर्ट को भेजी गयी है। इस समाचार पत्र प्रबंधन का कहना है कि उन्होंने मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश पूरी तरह लागू कर दी है जबकि सुप्रीम कोर्ट को भेजी गयी रिपोर्ट में इसे आंशिक बताया गया है। मिड डे में कुल 432 कर्मचारी काम करते हैं। मिड डे में भी यही हाल है। यहाँ प्रबंधन ने दावा किया है कि उसने पूरी तरह मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश लागू की है जबकि रिपोर्ट में इसे आंशिक बताया गया है। मिड डे के खिलाफ भी कर्मचारियों ने कुछ शिकायतें की हैं।

मेसर्स राने प्रकाशन में कुल 104 कर्मचारी हैं। यहाँ श्रम आयुक्त कार्यालय की मजीठिया जाँच टीम को प्रबन्धन ने बताया की उसने मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश लागू कर दी है जबकि प्रबंधन सर्वे टीम को उस समय कागजात नहीं दे पाया। प्रबोधन प्रकाशन में 9 जून को सर्वे टीम पहुंची तो बताया गया कि यहाँ 234 कर्मचारी हैं जिन्हें मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन और एरियर दिया जा रहा है मगर एरियर देने सम्बंधित दस्तावेज सर्वे टीम को कंपनी नहीं दे पायी। इसके बाद कंपनी प्रबंधन के खिलाफ कानूनी कार्रवाई संभव है। ऐसा सुप्रीमकोर्ट को भेजी गयी रिपोर्ट में कहा गया है।

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मी मराठी में कुल 234 कर्मचारी हैं। कंपनी प्रबंधन का कहना है उसने समाचार पत्र का प्रकाशन 2015 से शुरू किया है। मार्च 2015 से वह भुगतान कर रहा है। उर्दू टाइम्स का सर्वे 23 जून को किया गया तो कंपनी ने दस्तावेज नहीं दिया और आर्थिक कारण का हवाला देकर ये कंपनी भी मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ नहीं दे रही है।

गुजरात समाचार में कुल 100 कर्मचारी काम करते हैं। यहाँ 23 जून को सर्वे किया गया तो पता चला कि कंपनी ने मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश आर्थिक कारण का हवाला देकर लागू नहीं किया है। सर्वे टीम को कंपनी प्रबंधन कागजात तक नहीं दे पाई। सौराष्ट्र ट्रस्ट में 111 कर्मचारी काम करते हैं जिसका कार्यालय शिफ्ट हो गया है। इससे यहाँ सर्वे नहीं हो पाया। आपला महानगर में सिर्फ 8 कर्मचारी काम करते हैं जिसे आर्थिक कारण का हवाला देकर मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ नहीं दिया जा रहा है।

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डिलिगेट्स मीडिया में कुल 190 कर्मचारी काम करते हैं।  आर्थिक कारण का हवाला देकर यहाँ भी मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश लागू नहीं की गयी है। इस कंपनी में कुछ केस पेंडिंग की रिपोर्ट भेजी गयी है। नवाकाल में कुल 48 कर्मचारी हैं। 16 जून को यहाँ सर्वे किया गया तो पता चला कि आर्थिक कारण से इस समाचार पत्र ने मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिस लागू नहीं की। इस कंपनी को जरूरी दस्तावेज देने के लिए कहा गया है।

इसी तरह इंडियन एक्सप्रेस समूह ने सिर्फ कुछ लोगों के लिए वेज बोर्ड लागू किया और एरियर की 4 किस्तो की जगह सिर्फ 2 क़िस्त ही दिया। इस कंपनी के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई के लिए रिपोर्ट भेजी गयी है। बेनमेट कोलमेन में भी 28 जून को सर्वे टीम पहुची तो कंपनी प्रबंधन सर्वे टीम को कर्मचारियों की सूची नहीं दे पाई। कंपनी के कर्मचारियो का कहना है उन्हें आंशिक रूप से वेज बोर्ड का लाभ दिया गया है। इस कंपनी के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई सम्भव है। ऐसा बताया गया है रिपोर्ट में।

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दैनिक इंकलाब में 259 कर्मचारी हैं मगर आर्थिक कारण से यहाँ भी मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश नहीं लागू है। इस समाचार पत्र में सर्वे बाकी है क्योंकि इसका कार्यालय बदल गया है। हिन्दुस्तान टाइम्स लिमिटेड में कुल 388 कर्मचारी काम करते हैं। इस समाचार पत्र प्रतिष्ठान में सर्वे नहीं हुआ है लेकिन प्रबंधन ने एक पत्र भेजकर कहा है उसने वेज बोर्ड लागू कर दिया है। इंडियन नेशनल प्रेस में भी कंपनी प्रबंधन ने कहा है कि उसने पूरी तरह मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश लागू कर दिया मगर कर्मचारियों का कहना है कि अभी तक नहीं मिला।

मुम्बई से प्रकाशित प्रातःकाल, मुंबई लक्षद्वीप में भी मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश लागू नहीं की गयी है। दक्षिण मुम्बई के खिलाफ मजीठिया वेज बोर्ड को लागू ना करने पर कर्मचारी ने शिकायत किया है। यहाँ हमारा महानगर और नवभारत में सर्वे नहीं किया गया है। कुल मिलाकर इतना तय है कि माननीय सुप्रीमकोर्ट ने नजर टेढ़ी की तो मुंबई के लगभग सभी अखबार मालिकों को तिहाड़ जेल में एक साथ लंच डिनर और ब्रेकफास्ट करना पड़ सकता है।

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शशिकांत सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट
9322411335

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