शराब के लती माने दारूबाजों के लिए रिपोर्ट आई है. इस रिपोर्ट के मुताबिक अगर शराबी 7 साढ़े सात महीने तक शराब ना पिए तो वह नार्मल होने लगता है. मतलब वह एक शराबी से आम इंसान बनने लगता है. दारूबाजों के दिमाग में शराब पीते-पीते एक विकार आ जाता है. दिमाग की कोशिकाएं डैमेज हो जाती हैं. शराबियों के इस दिमागी विकार को मेडिकल साइंस ने अल्कोहल यूज डिस्ऑर्डर यानी एयूडी (AUD) नाम दिया है.
अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की रिसर्च में सामने आया है कि, शराबियों के दिमाग के कॉर्टेक्स (Cortex) के बाहरी हिस्से की परत पतली हो जाती हैं जिस वजह से इनमें फैसले लेने की ताकत कम हो जाती है. विश्वविद्यालय के बिहेवरियल साइंटिस्ट टिमोथी दुराज्जो ने बताया कि 7.3 महीने शराब छोड़ने के बाद पहले महीने में धीरे-धीरे दिमाग के कॉर्टेक्स की मोटाई ठीक होने लगती है. इसके बाद अगले छह महीने में ये धीरे-धीरे पूरी तरह सुधर जाता है. रिपोर्ट के मुताबिक इस वक्त अमेरिका में लगभग 1.60 करोड़ लोग एयूडी से त्रस्त हैं. ये अमेरिका का प्रमुख स्वास्थ्य मसला है.
बीच स्टडी टूटे आधे शराबी
टिमोथी दुराज्जो और उनकी टीम ने कुल 88 AUD मरीजों की स्टडी की. ये लोग शराब से मुक्ति चाहते थे. इनकी शराब छुड़ाने में मदद के साथ लगातार इनकी ब्रेन की स्कैनिंग भी की गई. उन्होंने बताया कि 88 लोगों में सिर्फ 40 लोग ऐसे थे जो 7.3 महीनों तक शराब छोड़ पाए. यानी पूरे स्टडी पीरियड तक उन्होंने शराब नहीं पी. बाकी के लोग बीच में होस्टाईल हो गये और शराब पीनी पड़ी. यानी वे शराब नहीं छोड़ पाए.