Sarjana Sharama : मौका परस्तों की दसों उंगलियां घी में सिर कड़ाही में… ना लेफ्ट ना राईट, ना कांग्रेस ना बीजेपी, बस ‘तेलपूत’ बन जाइए यानि जिसका राज उसको तेल लगा के हो गए उसके पूत। फिर देखो, मज़े ही मज़े हैं। मध्यप्रदेश के राजे रजवाड़े कांग्रेसी नेताओं का मीडिया रिलेशन और पब्लिक रिलेशन देखने वाले मध्यप्रदेश के औसत दर्जे के एक पत्रकार हैं, मान लीजिए उनका नाम है- गभिलाश झांडेकर।
इस शख्स ने 2014 के चुनाव में जिन्होंने नरेंद्र मोदी और बीजेपी के विरूद्ध जम कर प्रचार किया और अपने राजाओं के लिए वोट मांगे। अब वही बीजेपी नेताओं के सगे बने हुए हैं। सगे ही नहीं, विशेष टीम के सदस्य हैं। बीजेपी नेताओं ने उन्हें काम दिया है कुछ पदों के लिए ‘योग्य पत्रकारों’ का चयन क्योंकि उन्हें 100 नंबर का इंटरव्यू 5 से 7 मिनट में निपटा लेने में महारत हासिल है। और, वो अँधा बांटे रेवड़ी कहावत को पूरी तरह अमल में लाते हैं।
अब आप ही बताएं तीन मामूली से सवाल पूछ कर 100 नंबरों के साथ न्याय कैसे हो सकता है क्योंकि उन्हें ये पता रहता है कि उन्हें किस उम्मीदवार को सबसे ज्य़ादा नंबर देने हैं, बाकी के साथ वो टाईम पास करते हैं. इंटरव्यू बोर्ड के बाकी सदस्यों की वो एक नहीं चलने देते. तीन सवाल पूछ कर उम्मीदवार को खुद ही थैंक्यू बोल देते हैं, बाकी सदस्यों से ये पूछने का कष्ट भी नहीं करते कि आपको भी कोई सवाल तो नहीं पूछना। वाह मिस्टर झांडेकर, आप धन्य हैं। आप ही धन्य नहीं हैं, वो भी धन्य हैं जिनको आप झोली भर भर कर नंबर बांटते हैं। जय मौका परस्त, जय ‘तेलपूत’।
वरिष्ठ पत्रकार सर्जना शर्मा की एफबी वॉल से.
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