लखनऊ । रिहाई मंच ने ‘अवैध गिरफ्तारी विरोध दिवस’ के तहत यूपी प्रेस क्लब लखनऊ में ’अवैध गिरफ्तारियां और इंसाफ का संघर्ष’ विषयक सेमिनार का आयोजन किया। आतंकवाद के नाम पर पकड़े गए खालिद मुजाहिद जिनकी पुलिस व आईबी अधिकारियों द्वारा मई 2013 में हत्या कर दी गई थी, उनकी 2007 में हुई फर्जी गिरफ्तारी की सातवीं बरसी पर यह आयोजन किया गया। सेमिनार को संबोधित करते हुए साहित्यकार शिवमूर्ति ने कहा कि आज जेलों में तमाम लोग 10-10 सालों से उन मामलों में बंद हैं जिसमें अधिकतम सजा ही दो साल है। इनमें बड़ी संख्या दलितों, आदिवासियों और मुसलमानों की है। इससे साबित होता है कि पूरी व्यवस्था ही इन तबकों के खिलाफ है। सबसे शर्मनाक कि सामाजिक न्याय के नाम पर सत्ता में आई पार्टियों के शासन में भी यह सिर्फ जारी ही नहीं है बल्कि इनमें बढ़ोत्तरी ही हो रही है। खालिद का मामला इसका उदाहरण है। यह सिलसिला तभी रुकेगा जब मुसलमानों को आतंकवाद के नाम पर फंसाने और उन्हें फर्जी एंकाउंटरों में मारने वाले जेल भेजे जाएंगे जैसा कि गुजरात में देखने को मिला।
इस अवसर पर दिल्ली से आए वरिष्ठ पत्रकार प्रशांत टंडन ने कहा कि अवैध गिरफ्तारियों का सवाल सामान्य नहीं है। यह एक बिजनेस माडल है। इसका एक ग्लोबल स्ट्ररक्चर है और इसे समझने की जरूरत है। यह सवाल दरअसल देश की बहुसंख्यक आवाम से जुड़ा है। देश के 85 प्रतिशत लोगों की सत्ता में कोई भागीदारी नहीं है। वे कोई आवाज न उठाएं इसीलिए यह सब हथकंडे हैं। उन्होंने कहा कि विचार तंत्र को नियंत्रित करने वाले संगठनों में अमीरों का कब्जा है। सारी लड़ाई इस लुटेरे आर्थिक तंत्र को वैधता प्रदान करने की कोशिशों से जुड़ी है। उन्होंने कहा कि आज देश के दलित, आदिवासी और मुस्लिम समाज के लोगों का स्थान अपनी आबादी से अधिक जेलों में है। इसके लिए सिर्फ पुलिस ही नहीं बल्कि देश का राजनीतिक ढांचा भी जिम्मेदार है। पश्चिमी यूपी में जिस तरह दलितों और मुस्लिमों में सापंद्रायिक तनाव भड़काया जा रहा है ऐसे में दलितों को सोचना होगा कि जिस हिन्दुत्वादी अस्मिता के तहत वे कभी बसपा तो कभी भाजपा के साथ जाते हैं उस राजनीति ने उन्हें क्या दिया।
उन्होंने कहा कि गुजरात में पहली बार आईपीएस जेल गए और फर्जी एनकाउंटर बंद हो गए। खालिद के मामले में निमेष कमीशन ने भी दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफरिश की है। अगर इस पर अमल हो गया तो फर्जी गिरफ्तारियों में काफी कमी आ जाएगी। मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पांडे ने कहा कि रिहाई मंच की इस लड़ाई ने सरकार पर एक दबाव बनाया और उसके बाद सरकार ने हर जिले में एक शासनादेश भेजा कि सांप्रदायिक सौहार्द्र के लिए बेगुनाह छोड़े जाएं। जबकि होना यह चाहिए था कि सरकार मामलों की पुर्नविवेचना के बाद उनको छोडने की बात करती। इससे सरकार ने न्याय के इस सवाल को साम्प्रदायिक राजनीति के लिए इस्तेमाल करने की कोशिश की। इसलिए निमेष कमीशन की रिपोर्ट पर अमल कराने के लिए संघर्ष जारी रखना होगा।
इस अवसर पर रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने कहा कि हम आतंकवादियों को छुड़ाने की बात नहीं करते बल्कि बेगुनाहों को छोड़ने की बात करते हैं। सरकार ने वादा किया था कि वह इन नौजवानों को छोड़ेगी और उनका पुर्नवास करेगी। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। अभी भी कई बरी लोग पुर्नवास की बाट जोह रहे हैं। रामपुर के जावेद उर्फ गुड्डू, ताज मोहम्मद, मकसूद बिजनौर के नासिर हुसैन और लखनऊ के मोहम्मद कलीम जैसे बेगुनाह बरी होने के बावजूद किसी भी तरह के पुर्नवास से वंचित है। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों बाराबंकी पुलिस द्वारा खालिद मुजहिद की हत्या पर की गई झूठी विवेचना को खारिज करते हुए न्यायालय ने इस मामले की जांच बाराबंकी एसपी को पुनः कराने का निर्देश दिया था। आज खालिद के चचा जहीर आलम फलाही ने उन्हें बताया कि आज वही दरोगा उन्हें फोन किया था कि वे आकर अपनी गवाही दें। दोषपूर्ण विवेचक द्वारा पुनः विवेचना कराना न सिर्फ न्यायालय की अवमानना है, इससे यह भी साबित होता है कि यूपी की सपा सरकार किसी भी हाल में खालिद के हत्यारोपी पुलिस अधिकारी विक्रम सिंह, बृजलाल, मनोज कुमार झा व अन्य आईबी व पुलिस अधिकारियों को हर कीमत पर बचाना चाहती है। जिससे कि आतंकवाद के मामलों में पुलिस व आईबी के गठजोड़ से पर्दा न उठ सके।
मौलाना खालिद मुजाहिद के चचेरे भाई शाहिद ने कहा कि पूरी दुनिया जानती है कि मेरे भाई को गलत तरीके से उठाया गया। निमेष रिपोर्ट भी इसकी तस्दीक करती है। लेकिन बावजूद इसके उन्हें पांच साल तक जेल में रखा गया और आखिर में मार डाला गया। लेकिन मुझे पूरा यकीन है कि इंसाफ के इस संघर्ष के कारण उनके हत्यारे जरूर जेल जाएंगे। सपा सरकार उनको बहुत दिनों तक बचा नहीं पाएगी। सामाजिक न्याय मंच के अध्यक्ष राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि सवाल केवल खालिद की अवैध गिरफ्तारी का नहीं है, अवैध गिरफ्तारियां आज भी लगातार जारी हैं और व्यवस्था के लिए उनके अपने निहितार्थ हैं। ऐसी अवैध गिरफ्तारियां सत्ता को अपनी हुकूमत बचाए रखने के लिए जरूरी हैं ताकि आम जनता डरकर उनके खिलाफ आवाजें उठाना बंद कर दे। उन्होंने कहा कि पश्चिमी यूपी के मुसलमानों को आधार कार्ड, राशन कार्ड के नाम पर धर्मान्तरण करवाया जा रहा है। संघ की साम्प्रदयिक साजिशों में अखिलेश यादव सरकार परदे के पीछे से खेल रही है।
सेमिनार को संबोधित करते हुए ट्रेड यूनियन नेता शिवाजी राय ने कहा कि पूंजीवाद के चरित्र में इस किस्म के अपराध होते हैं। यह सब इस व्यवस्था का अंग है। उन्होंने कहा कि सरकार ने दस लाख हेक्टेयर जमीन किसानों से छीनी हैं और विरोध करने पर फर्जी मुकदमे लादे जाते हैं। वास्तव में पुलिस का चरित्र ही उत्पीड़क है। एपवा की नेता ताहिरा हसन ने कहा कि खालिद मुजाहिद की सातवीं बरसी पर हम उन्हें याद कर रहे हैं और देश में अवैध गिरफ्तारियों के खिलाफ मजबूत विरोध के लिए इकट्ठा हुए है। खालिद की गिरफ्तारी देश के संविधान पर हमला था जिसे देश की खाकी द्वारा अंजाम दिया गया था। अगर निमेष आयोग कहता है कि खालिद बेगुनाह है तो फिर उस प्रताड़ना का जवाब कौन देगा जो उसे और उसके परिवार को मिली हैं।
सेमिनार में आदियोग, रामकृष्ण, धमेंद्र कुमार, अजीजुल हसन, राजीव प्रकाश साहिर, डा. अनवारुल हक लारी, वर्तिका शिवहरे, ज्योत्सना, रिफत फातिमा, नेहा वर्मा, प्रदीप शर्मा, सीमा राणा, एहसानुल हक मलिक, शिवनरायण कुशवाहा, जैद अहमद फारूकी, सैयद मोईद अहमद, डाॅ अली अहमद, कमर सीतापुरी, जुबैर जौनपुरी, गुफरान खान, खालिद कुरैशी, आफाक, दीपिका पुष्कर, बिलाल हाश्मी, होमेंद्र मिश्र, जाहिद अख्तर, फैजान मुसन्ना, मुजफ्फर लारी, मोहम्मद समी, अख्तर परवेज, महेश चंद्र देवा, शरद जायसवाल,, तारिक शफीक, हरेराम मिश्र, विनोद यादव, लक्ष्मण प्रसाद, शाहनवाज आलम आदि मौजूद थे।
कार्यक्रम में 6 सूत्रीय प्रस्ताव पारित किया गया –
1- मौलाना खालिद मुजाहिद की हत्या की विवेचना को प्रभावित करने वाले हत्यारोपी पुलिस अधिकारियों विक्रम सिंह, बृजलाल, मनोज कुमार झा, चिरंजीव नाथ सिन्हा आदि को तत्काल गिरफ्तार किया जाए।
2- अपने चुनावी वादे के मुताबिक सपा सरकार आतंकवाद के आरोपों से अदालतों से दोष मुक्त हुए मुस्लिम युवकों का पुर्नवास सुनिश्चित करे।
3- आतंकवाद के नाम पर कैद निर्दोषों को तत्काल रिहा किया जाए।
4- सपा सरकार अपने वादे के मुताबिक आरडी निमेष कमीशन की रिपोर्ट पर तत्काल अमल करे।
5- ‘लव जिहाद’ और ‘घर वापसी’ के नाम पर सांप्रदायिकता फैलाने वाले हिन्दुत्वादी संगठनों आरएसएस, बजरंगदल, विश्व हिन्दू परिषद सरीखे संगठनों पर तत्काल प्रतिबंध लगाते हुए उनके दोषी नेताओं को गिरफ्तार किया जाए।
6- आतंकवाद के नाम पर हुई घटनाओं की न्यायिक जांच कराई जाए, जिसके दायरे में खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों का लाया जाए।
द्वारा जारी-
शाहनवाज आलम
प्रवक्ता, रिहाई मंच
09415254919