‘प्रताप’ की धरोहर को राष्ट्रीय स्मारक करार दे सरकार

कानपुर। राष्ट्रीय पत्रकारिता दिवस पर कानपुर प्रेस क्लब में राष्ट्रीय पत्रकारिता पर एक कार्यशाला आयोजित की गयी। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अधिवक्ता और वरिष्ठ पत्रकार कैलाशनाथ त्रिपाठी ने कहा कि आज पत्रकारिता में असहमति की हत्या हो रही है। ये केरल में दक्षिणपंथी पत्रकार और कर्णाटक में वामपंथी पत्रकार की हत्याओं से साफ़ जाहिर है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या आज की पत्रकारिता में असहमति के लिए जगह कम पड़ रही है, यह विचारणीय पक्ष है जहाँ पर हम में से हर एक पत्रकार को गौर करने की जरुरत है। गणेश शंकर विद्यार्थी और प्रताप की पत्रकारिता असहमति की पत्रकारिता है।

दो दिनी अलीगढ़ यात्रा : जिया, मनोज, प्रतीक जैसे दोस्तों से मुलाकात और विनय ओसवाल के घर हर्ष देव जी का साक्षात्कार

पिछले दिनों अलीगढ़ जाना हुआ. वहां के छात्रनेता और पत्रकार ज़ियाउर्रहमान ने अपनी पत्रिका ‘व्यवस्था दर्पण’ के एक साल पूरे होने पर आईटीएम कालेज में मीडिया की दशा दिशा पर एक सेमिनार रखा था. सेमिनार में सैकड़ों इंजीनियरिंग और एमबीए छात्रों समेत शहर के विशिष्ट जन मौजूद थे. आयोजन में शिरकत कर और युवाओं से बातचीत कर समझ में आया कि आज का युवा देश और मीडिया की वर्तमान हालत से खुश नहीं है. हर तरफ जो स्वार्थ और पैसे का खेल चल रहा है, वह सबके लिए दुखदायी है. इससे आम जन की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. सेमिनार में मैंने खासतौर पर मीडिया में आए भयंकर पतन और न्यू मीडिया के चलते आ रहे सकारात्मक बदलावों पर चर्चा की. बड़े मीडिया घरानों के कारपोरेटीकरण, मीडिया में काले धन, मीडिया में करप्शन जैसे कई मामलों का जिक्र उदाहरण सहित किया. 

मीडिया का फोकस बदल गया है, सामाजिक दायित्व से ज्यादा उसके लिए आर्थिक लाभ जरूरी हो चला है

ईटीवी, लखनऊ के पत्रकार मनीष सिंह का फ्रीडम आफ स्पीच पर दिया गया पूरा भाषण पढ़ें… बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय (केन्द्रीय विवि), लखनऊ में “FREEDOM OF SPEECH AND EXPRESSION – CONTEMPORARY ISSUES AND CHALLENGES” पर आयोजित नेशनल सेमिनार में ईटीवी, लखनऊ के पत्रकार मनीष सिंह ने जो भाषण दिया, वह अविकल नीचे प्रस्तुत है.. सेमिनार में हिन्दुस्तान टाइम्स की सम्पादक सुनीता ऐरन, वरिष्ठ पत्रकार रामेश्वर पाण्डेय के साथ लखनऊ विवि के विधि विभाग के विभागाध्यक्ष रहे अवस्थी जी आदि मौजूद थे…

लक्ष्य से भटकाव मीडिया को हितसाधन का औजार बना देता है

: महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा में आयोजित सेमिनार में मीडिया और आध्यात्मिकता के बिंदुओं पर हुई विस्तार से बात : देश भर के चर्चित विद्वानों व वक्ताओं ने लिया भाग, कई पुस्तकों का हुआ लोकार्पण : महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा में पिछले दिनों आध्यात्मिकता जैसे गंभीर, जरूरी व व्यापक फलक तथा सरोकार वाले विषय को केंद्र में रखकर एक विशिष्ट सेमिनार का आयेाजन हुआ. ‘आध्यात्मिकता, मीडिया और सामाजिक बदलाव’ विषय पर आयोजित इस सेमिनार में देश भर से कई चर्चित विद्वतजनों, विशेषज्ञों व मीडिया विश्लेषकों ने भाग लिया. विषय के अनुसार वक्ताओं ने अपने विचारों को साझा किया और सबने अपने-अपने वक्तव्यों के जरिये इस विषय के दायरे का विस्तार करते हुए बहस के नये आयाम खोले. आध्यात्मिकता जैसे विषय पर चर्चा के साथ ही मीडिया के दायित्वों व उसके बदलते स्वरूप पर भी गहराई से बात हुई.

आलोचना की संस्कृति खतरे में है : प्रो.मैनेजर पाण्डेय

लखनऊ : आज के भारत में लोकतंत्र और आलोचना की संस्कृति – यह विषय था लखनऊ में जन संस्कृति मंच के तत्वाधान में आयोजित संगोष्ठी का। अध्यक्षता की वरिष्ठ लेखक रवींद्र वर्मा ने। मुख्य वक्ता थे -वरिष्ठ आलोचक प्रो.मैनेजर पाण्डेय। प्रो.पाण्डेय ने इंगित किया कि पश्चिम में डेमोस अर्थात जनसाधारण शब्द का प्रयोग होता है। अब्राहम लिंकन ने कहा था जनता का शासन, जनता द्वारा और जनता के लिए। हमारे देश में केंद्र में सरकार है और अनेक राज्यों की सरकारें हैं। मालूम नहीं चलता कि कौन सी सरकार है जनता के लिए और जनता द्वारा? यहां पूंजीतंत्र है – अंबानी और अडानी का तंत्र है। दबंगों का राज्य है। वही नेता हैं, वही विधायक हैं। वही कानून बनाते हैं और खुद को कानून से ऊपर रखते हैं। 

लखनऊ में जनसंस्कृति मंच की संगोष्ठी को सम्बोधित करते प्रो.मैनेजर पांडेय

पंडित नेहरू ने कृपलानी से कहा था- तुमसे पूछने की जरूरत क्या है?

नई दिल्ली : प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी एवं महात्मा गाँधी के अनन्य सहयोगी आचार्य जेबी कृपलानी की ३३वीं पुण्यतिथि पर आचार्य कृपलानी मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा ‘कृपलानी स्मृति व्याख्यान’ का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए राज्य सभा सांसद जनार्दन द्विवेदी ने मौजूदा राजनीति पर करारा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि आज राजनीति व्यक्तिवादी हो गई है। इससे कोई दल अछूता नहीं है। सब एक ही तरह की राजनीतिक धारा में बह रहे हैं। यह स्वस्थ लोकतांत्रिक परंपरा के विपरीत है। एक ज़माने में समाजवादी कार्यकर्ता रहे जनार्दन द्विवेदी का कहना था कि वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में ऐसा सिलसिला चल गया है, जिसमें व्यक्ति बिना कार्यकर्ता हुए पार्टी के शीर्ष पद पर पहुंच जाता है। यह तो वैसे ही है जैसे आप कभी विद्यार्थी रहे नहीं और अध्यापक बन गए।

मुक्त अर्थव्यवस्था आने के बाद से मीडिया में संपादक की जगह ब्रांड मैनेजर लेने लगे

: साहित्य और पत्रकारिता के रिश्तों की चिंता में डूबे दो दिन  : साहित्य अकादमी व उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय संगोष्ठी में पहुंचे देश भर के साहित्यकार व पत्रकार :  हल्द्वानी : देश के वरिष्ठ साहित्यकारों व पत्रकारों ने पत्रकारिता से साहित्य को हाशिये पर धकेल दिए जाने को अफसोसनाक बताया। लेकिन उन्होने सोशल मीडिया को आशा की नई किरण बताया, साथ ही शंका भी जाहिर की कि इसमें भी साहित्य के बहस का स्तर गिर रहा है। सभी ने साहित्य का स्तर ऊंचा उठाने के लिए एकजुटता की बात की। हल्द्वानी में साहित्य अकादेमी और उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय द्वारा हिंदी की साहित्यिक पत्रकारिता पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में देशभर से आये विद्वतजनों ने अपनी-अपनी राय जाहिर की। साहित्यकारों का कहना था कि विश्व स्तर पर मीडिया पर विज्ञापनों का दबाव बढ़ने के कारण साहित्यिक पत्रकारिता हाशिए पर चली गयी है, जो कि देश और समाज के लिए बेहद निराशाजनक है।

A lecture on ‘Role of Media in Intellectual Growth of the Nation’ was organised by Journalism University

Bhopal, January 30: Every nation has its own nature and behaviour. And development could b achieved only when the policies are made according to the nature otherwise there will be deformation. The first intellectual development of the human beings occur at the home and then in the society. Today, media has to play a great role in the intellectual growth of the human beings. Therefore, media should first understand the cultural India then transfer the knowledge to the people.

फिल्मों ने किया देश को एकजुट : लेख टंडन

मुम्बई। भारतीय सिनेमा ने देश को एकजुट करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। पहले फ़िल्मों में एक बड़ा उद्देश्य होता था, लेकिन अब उददेश्य को लेकर नहीं, व्यावसायिक दृष्टि से फिल्में बनाई जा रही हैं, इससे आम आदमी सिनेमा से दूर होता जा रहा है। यह बात प्रसिद्ध फ़िल्म निर्देशक एवं पटकथा लेखक श्री लेख टंडन ने “भारतीय सिनेमा और सामाजिक यथार्थ” विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन अपने संबोधन में कहीं। मणिबेन नानावटी महिला महाविद्यालय और भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन 5-6 जनवरी को महाविद्यालय के सभागार में किया गया। अपने संबोधन में निर्देशक लेख टंडन ने कहा कि फिल्में समाज पर अपना गहरा प्रभाव छोडती हैं। भारत एक महान देश है जहां व्यक्ति को अभिव्यक्ति की पूर्ण स्वतंत्रता है। अब यह तो फिल्मकार या साहित्यकार पर निर्भर है कि वह इस स्वतंत्रता का प्रयोग कैसे करता है।

हमारा लोकतंत्र दलितों, आदिवासियों और मुस्लिमों को सिर्फ जेल दे पाया : शिवमूर्ति

लखनऊ । रिहाई मंच ने ‘अवैध गिरफ्तारी विरोध दिवस’ के तहत यूपी प्रेस क्लब लखनऊ में ’अवैध गिरफ्तारियां और इंसाफ का संघर्ष’ विषयक सेमिनार का आयोजन किया। आतंकवाद के नाम पर पकड़े गए खालिद मुजाहिद जिनकी पुलिस व आईबी अधिकारियों द्वारा मई 2013 में हत्या कर दी गई थी, उनकी 2007 में हुई फर्जी गिरफ्तारी की सातवीं बरसी पर यह आयोजन किया गया। सेमिनार को संबोधित करते हुए साहित्यकार शिवमूर्ति ने कहा कि आज जेलों में तमाम लोग 10-10 सालों से उन मामलों में बंद हैं जिसमें अधिकतम सजा ही दो साल है। इनमें बड़ी संख्या दलितों, आदिवासियों और मुसलमानों की है। इससे साबित होता है कि पूरी व्यवस्था ही इन तबकों के खिलाफ है। सबसे शर्मनाक कि सामाजिक न्याय के नाम पर सत्ता में आई पार्टियों के शासन में भी यह सिर्फ जारी ही नहीं है बल्कि इनमें बढ़ोत्तरी ही हो रही है। खालिद का मामला इसका उदाहरण है। यह सिलसिला तभी रुकेगा जब मुसलमानों को आतंकवाद के नाम पर फंसाने और उन्हें फर्जी एंकाउंटरों में मारने वाले जेल भेजे जाएंगे जैसा कि गुजरात में देखने को मिला।

इलेक्ट्रोनिक मीडिया से प्रिंट मीडिया ज्यादा विश्वसनीय है : केदारनाथ सिंह

अलवर। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली में मानद प्रोफेसर व ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त साहित्यकार केदारनाथ सिंह ने कहा कि वर्तमान में पेड न्यूज सबसे बड़ी चुनौती है। इसने सच्ची खबरों  के बीच फासले खड़े कर दिए हैं। शुक्रवार को महावर ऑडिटोरियम में बाबू शोभाराम राजकीय कला महाविद्यालय के हिन्दी विभाग व आईसीसीएसआर की ओर से “मीडिया: अतीत, वर्तमान व भविष्य”  पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में उन्होंने कहा कि वर्तमान में मीडिया चुनौती के दौर से गुजर रहा है। उन्होंने कहा कि खबर देने का काम मीडिया का है। सच्चाई भाषा के प्राण हैं। वर्तमान में मीडिया व साहित्य के बीच की दूरी बढ़ी है। नेशनल व भाषाई अखबारों का वर्गीकरण भी चिंता का विषय है।

संस्थाओं का सृजन हो तो उसका विसर्जन भी हो : अनुपम मिश्र

नई दिल्ली । पर्यावरणविद् और ‘गांधी मार्ग’ के संपादक अनुपम मिश्र ने कहा है कि जरूरत पड़ने पर सामाजिक या गैर सरकारी संस्थाओं का सृजन जरूर करना चाहिए लेकिन एक समय आने पर हमें इसके विसर्जन के बारे में भी सोचना चाहिए। ठीक वैसे ही जैसे टांग टूटने पर  पलास्टर लगाया जाता है, लेकिन उसके ठीक होने के बाद हम पलास्टर हटा देते हैं। मिश्र सेंटर फॉर डेवलपिंग सोसायटी की साऊथ एशियन डायलॉग आॅन इकोलाजिकल डेमोक्रेसी योजना के तहत इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित दो दिन की राष्ट्रीय कार्यशाला के आखिरी दिन एक विशेष सत्र को संबोधित कर रहे थे। इस विशेष सत्र के व्याख्यान का विषय ‘संस्था, समाज और कार्यकर्ता का स्वधर्म’ था। कार्यशाला में देश के विभिन्न राज्यों सहित पड़ोसी देशों में सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता भाग ले रहे थे।

CM Okram Ibobi hums Majithia Wage Board tune

IMPHAL : The mandatory tripartite committee comprising of working journalists, publishers and Government representatives has already been formed and the State Government is fully committed to implement the Justice Majithia Wage Board in the State, said Chief Minister Okram Ibobi while speaking at the inaugural function of the three-day National executive meeting of the Indian Journalists Union (IJU) at the banquet hall of 1st Manipur Rifles today.

कृपलानी ने सिद्धांतों की खातिर 57वें कांग्रेस अध्यक्ष पद से त्यागपत्र दे दिया था

हमारे देश में राज्य श्रेष्ठ मान लिया जाता है, समाज दोयम। शायद यही कारण है कि राजपुरुष प्रधान हो जाते हैं और समाज का पहरुआ गौण। जी हाँ, इस देश में अगर ‘राज्य-समाज समभाव’ दृष्टिकोण अपनाया गया होता तो आज आचार्य जीवतराम भगवानदास कृपलानी उतने ही लोकप्रिय और प्रासंगिक होते जितने कि सत्ता शीर्ष पर बैठे लोग। वह व्यक्ति खरा था, जिसने गांधीजी के ‘मनसा-वाचा-कर्मणा’ के सिद्धांत को जीवन पद्धति मानकर उसे अंगीकार कर लिया। उक्त विचार मशहूर स्वतंत्रता सेनानी आचार्य जे बी कृपलानी की 126वीं जयंती पर आयोजित संगोष्ठी में व्यक्त किए गए।

राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर उपजा ने मनाया समारोह, पत्रकारिता की जीवंतता पर छिड़ी बहस

लखनऊ। राज्य विधानसभा के अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय ने मीडिया जगत, खासकर अखबारों में काम करने वाले पत्रकारों का आह्वान किया है कि वे अच्छी खबरें लिखकर समाज में सकारात्मक सोच पैदा करें। माता प्रसाद पाण्डेय ने मीडिया काउंसिल की पुरजोर वकालत की। पाण्डेय रविवार को राजधानी में राष्ट्रीय प्रेस दिवस समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। इसका आयोजन उत्तर प्रदेश जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन (उपजा) और इसकी स्थानीय इकाई ‘लखनऊ जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन’ ने संयुक्त रूप से किया था।

मीडिया ने मेरे खिलाफ खूब खबरें छापी पर मैंने इसे अपनी सहज आलोचना माना : मुलायम सिंह यादव

लखनऊ : बदलते दौर में सोशल मीडिया की प्रासंगिकता बढ़ रही है। आज के दौर में इसे नजरअंदाज कर न तो राजनीति संभव है और न ही सरकार चलाना। पूर्व रक्षा मंत्री और समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने यह विचार इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट (आईएफडब्लूजे) की ओर से ‘सोशल मीडिया-वरदान या अभिशाप’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय परिसंवाद में व्यक्त किए। राजनीति के शुरुआती दिनों को याद करते हुए श्री यादव ने कहा कि कई बार कहा कि मीडिया ने उनके खिलाफ खबरें छापी पर उन्होंने इसे अपनी सहज आलोचना के रूप में ही लिया।

वेब मीडिया पर संगोष्‍ठी 16 अक्‍टूबर को, दस वेब लेखक होंगे सम्‍मानित

विचार पोर्टल प्रवक्‍ता डॉट कॉम ‘वेब मीडिया की बढ़ती स्‍वीकार्यता’ विषय पर एक संगोष्‍ठी का आयोजन करने जा रही है। यह संगोष्‍ठी 16 अक्‍टूबर 2014 को स्‍पीकर हॉल, कांस्टिट्यूशन क्‍लब, नई दिल्‍ली में सायं 4.30 बजे आयोजित होगी। ‘प्रवक्‍ता’ के छह साल पूरे होने के अवसर पर आयोजित यह कार्यक्रम कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्‍वविद्यालय, रायपुर (छत्‍तीसगढ़) द्वारा संचालित कबीर संचार अध्‍ययन शोधपीठ के सहयोग से संपन्‍न होगा।

संतुलित जीवनशैली और खान-पान अपना कर स्तन कैंसर से बचा जा सकता है: डॉ. अमित अग्रवाल

cancer survivor

हंसना कैंसर से लड़ रहे या निजात पा चुके लोगो के लिए आवश्यक है

बीएलके हॉस्पिटल के सीनियर डॉक्टर एवं कैंसर विशेषज्ञ डॉक्टर अमित अग्रवाल ने इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में ब्रैस्ट कैंसर वर्कशॉप सेमिनार आयोजित किया। इस सेमिनार में मुंबई की ममता गोयनका बतौर मुख्य अतिथि मौजूद थीं, जो खुद एक ब्रैस्ट कैंसर सर्वाइवर है। इस सेमिनार में डॉ. अग्रवाल के उपचार से ठीक हुए लगभग 100 से अधिक मरीज़ भी मौजूद थे, जिन्होंने आपस में अपनी समस्याओ को एक दूसरे से साझा किया तथा अपनी समस्याओ के बारे में डॉ. अमित अग्रवाल से सलाह ली।