उत्तराखंड में सहारा समय के वरिष्ठ पत्रकार मनोज कंडवाल अब इस दुनिया में नहीं रहे। वह एक सड़क हादसे में घायल हो गए थे जिसके बाद उन्हें मैक्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था। व्यवहार कुशल मनोज की मृत्यु से पत्रकारो में शोक की लहर है। मनोज करीब 11 दिनों तक जिंदगी के लिए जंग लड़ते रहे। मनोज कोमा से लौट नहीं पाए। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मनोज कंडवाल के इलाज के लिए दो लाख रुपये स्वीकृत किए थे। अब जब मनोज की मौत हो चुकी है तो पत्रकारों ने राज्य सरकार से मनोज कंडवाल की पत्नी को सरकारी नौकरी देने की मांग की है ताकि बच्चों का पालन-पोषण हो सके। सोशल मीडिया पर मनोज के जानने वालों ने उन्हें अपने अपने तरीके से भावभीनी श्रद्धांजलि दी है।
बाल कृष्ण चमोली ने मनोज कंडवाल के निधन पर उनकी एक हंसते-मुस्कराते फोटो शेयर करते हुए फेसबुक पर लिखा है:
“ये हंसमुख चेहरा अब हमे नसीब न होगा कभी। दुःखद। मनोज कंडवाल का निधन अंदर तक झकझोर गया। पत्रकार से हटकर एक उम्दा , जीवट और मानवता का पुंज।चेहरे पर सदैव मुस्कान और मित्रतता का भाव। तुम हमेशा हमारे दिलो में रहोगे। ॐ शांति शांति शांति।”
इसी तरह नितिन सबरंगी और सुशील खरे ने भी भी मनोज के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है:
“देहरादून में प्रिय साथी सहारा समय के वरिष्ठ पत्रकार मनोज कंडवाल अब इस दुनिया में नहीं रहे। वह एक सड़क हादसे में घायल हो गए थे। एक्टिव व व्यवहारकुशल मनोज की मृत्यु बड़ी क्षति है। ईश्वर पुण्य आत्मा को शांति प्रदान करे।”
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“जिंदगी अपके बिना वीरान है, आप हो तो हर मुश्किल आसान है, साथ हो आप तो सब कुछ है, बिन आपके हर रास्ता सूनसान है. पत्रकार मनोज जी आज असमय ईश्वर में लीन हो गये। ये पत्रकार जगत की अपूर्णनीय क्षति हैं। ईश्वर चरणों में स्थान देवें एवं परिवार को इस दुख को सहने की शक्ति देना।”
पत्रकार पवन लालचंद लिखते हैं:
”मन मानने को तैयार नहीं कि मनोज कंडवाल जी जैसे हँसमुख साथी अब हमारे बीच नहीं रहे…दिल बैठा हुआ है..स्तब्ध..सदमा…पिछले महीने ही फ़ोन पर लंबी बात हुई थी आपके शब्द कानों में गूँज रहे हैं रह रह कर एक एक याद रुला दे रही है और मन मानता नहीं नियति को… ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे और परिवार को इतनी हिम्मत की वे इस पहाड़ से दुख को सह सकें..we all miss u Manoj Ji…”
पत्रकार और शिक्षक Sushil Upadhyay ने फेसबुक पर लिखा है:
”ऐसे तो आपको नहीं जाना था मनोज भाई.. एक झटके में ही दुनिया बदल जाती है। यकीन नहीं हो रहा है कि मनोज कंडवाल नहीं रहे। दो महीना पहले उनसे लंबी बातचीत हुई थी। वे पीएच.डी. के टाॅपिक को लेकर दुविधा में थे। फोन पर बातचीत के दौरान मैंने उनसे कहा कि पीएच.डी. और टीवी न्यूज-रिपोर्टिंग को एक जैसे तराजू पर ना तोलो। वे बात समझ गए और फिर तय हुआ कि देहरादून में बैठकर पीएच.डी. के मसले पर बात की जाएगी। वे बड़े मन के आदमी थे, चीजों को तार्किक ढंग से समझते थे। मुझे उस दिन खुशी हुई जब उन्होंने उत्तराखंड टेक्नीकल यूनिवर्सिटी में रिसर्च के लिए आवेदन जमा कराया। कह रहे थे कि 40 बरस का होते-होते कहीं हायर एजुकेशन टीचिंग में शिफ्ट करूंगा। सब कुछ अधूरा छोड़ गए मनोज जी। इस तरह तो आपको नहीं जाना था। 10 साल पहले हम लोगों की अक्सर एजुकेशन बीट में मुलाकात होती थी, कभी उन्हें नाराज नहीं देखा, हमेशा खिलखिलाते हुए दिखते थे। जो वक्त उनके साथ बिताया, वो हमेशा याद रहेगा।”
पत्रकार Saleem Saifi लिखते हैं:
”Antim Sansakar: Manoj Kandpal (EX-bureau Chief_Sahara Samay, Uttarakhand)Age-38 Years, Aaj Hum Sab ka Saath Chod kar Bhagwan ke pass Chale gaye hai,Bhagwan Unki Atma ko Shanti de aur Pariwar ko Sanyam, Manoj Bhai ke 2 Bachcho, (6 Year ka Beta aur 2 Years ki Beti)ki Parwarish ki Zimmedaari ab Unki patni par hai. CM Harish Rawat ji se anurodh hai ki Manoj Kandpal ji ki Patni ki niyamit Jivika / Rozgaar ke liye Vyavastha Zaroor Karien, Hum hamesha unke aabhaari ragenge. ..!”
Sudhir Sharma
September 18, 2015 at 4:18 pm
प्रेस क्लब फ़िरोज़ाबाद की तरफ से मनोज जी को श्रधान्जली। ईश्वर उनकी आत्मा की शांति प्रदान करे। दुःख की घडी में फ़िरोज़ाबाद के पत्रकार पीड़ित परिवार के साथ है
….सुधीर शर्मा
prabhakar
September 19, 2015 at 8:39 am
मनोज कंडपाल का जाना क्षेत्रीय पत्रकारिता के लिए दुखद है.देहरादूव की तमाम रिपोर्ट लगातार मनोज भेते रहे.और समाहार समय यूपी फत्तारखंड के जरिए लोगों को दिखाते रहे.नाया राज्य जब उत्तारखंड बना था.उस समय से लेकेर मनोज ने तमाम रिपोर्ट भेजी जो आज भी मोनज को याद करने के लिए काफी है.मनोज हमारे बीच नही हैं लेकिन यादें हैं.
amit
September 26, 2015 at 7:03 pm
मनोज मेरे दोस्त तुमसे आखिरी बातचीत अब भी याद है। यकीन नहीं होता कि तुम इस तरह से चले गए। तुमसे मुलाकात भी अधूरी रह गई। जब जब तुम्हारा जिक्र आता है चेहरा उदास हो जाता है, आंखों में खालीपन जगह बना लेता है और जेहन में पुरानी तस्वीरें उभर जाती हैं। तुम बहुत याद आओगे।