कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मीडिया के लिए स्व-नियमन की पैरवी करते हुए कहा कि स्वतंत्रता के साथ बड़ी जिम्मेदारी भी आती है. उन्होंने कहा कि पेड न्यूज, मीडिया ट्रायल और फर्जी स्टिंग ऑॅपरेशन जैसे मुद्दों का भी इसी क्रम में निवारण करना होगा. प्रसाद ने कहा कि संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री के तौर पर वह सोशल मीडिया पर अंकुश लगाने के लिए आईटी अधिनियम के प्रावधानों के अत्यधिक इस्तेमाल के खिलाफ हैं.
विधि आयोग और राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित मीडिया कानून पर राष्ट्रीय विचार-विमर्श का उद्घाटन करते हुए मंत्री ने कहा कि वह निजी तौर पर महसूस करते हैं कि मीडिया के कामकाज का स्व-नियमन करना ही सबसे अच्छा तरीका है. उन्होंने कहा कि जहां तक कानूनी रूपरेखा का सवाल है तो मेरा विचार बहुत साफ है, स्व नियमन होना चाहिए. जब मैं स्व नियमन की बात करता हूं तो यह कोई मामूली बात नहीं है. यह बड़ी जिम्मेदारी है, इसका बहुत व्यापक अर्थ है.
प्रसाद ने कहा कि राजग सरकार के लिए मीडिया की स्वतंत्रता एक ऐसा मुद्दा है जिस पर कोई समझौता नहीं हो सकता तथा राजनीतिक वर्ग को यह स्वीकार करना चाहिए कि मीडिया को आलोचना करने, निंदा करने और यहां तक कि सलाह देने का अधिकार है. उन्होंने कहा कि वह मीडिया की ओर से नेताओं के खिलाफ व्यंग किए जाने के खिलाफ नहीं हैं. मंत्री ने पेड न्यूज को दुखद करार देते हुए कहा कि मीडिया को इस समस्या को दूर करना चाहिए.
निजता के अधिकार के बारे में उन्होंने कहा कि मीडिया अब तक अपने अधिकारों एवं व्यक्ति के निजता के अधिकार के बीच ‘सेतु’ नहीं बना पाया है. प्रसाद ने मीडिया ट्रायल के संदर्भ में कहा कि हर व्यक्ति को निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार है.
इस मौके पर विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एपी शाह ने कहा कि मीडिया ने सच को सामने लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और लोगों को एक आवाज दी है. इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार एन राम, न्यूज ब्रॉडकास्टिंग स्टैंर्डड अथारिटी (एनबीएसए) के प्रमुख आर वी रवींद्रन, टीवी पत्रकार रवीश कुमार और स्तंभकार वनिता कोहली ने भी अपने विचार रखे.