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सुख-दुख

असम सरकार ने ‘मिया म्यूज़ीयम’ बंद कर इसके तीन लोगों पर यूएपीए लगा दिया!

जनवादी लेखक संघ असम सरकार द्वारा मिया म्यूज़ीयम को बंद करने और इससे सम्बद्ध तीन लोगों की यूएपीए के तहत गिरफ़्तारी करने की भर्त्सना करता है।

‘मिया’ संस्कृति की पहचान बननेवाली चीज़ों को प्रदर्शित करते म्यूज़ीयम की शुरुआत ऑल असम मिया परिषद की ओर से, संस्था के सदर श्री मोहर अली के दपकरभीटा, ग्वालपाड़ा स्थित घर पर की गई थी। स्थापना के दो दिनों के भीतर, 25 अक्टूबर को असम सरकार ने इस पर ताला लगवा दिया और अगले ही दिन 26 अक्टूबर को मोहर अली समेत संस्था के तीन लोगों को गिरफ़्तार कर उन पर अन्य धाराओं के अलावा यूएपीए के तहत आरोप दायर किये गये।

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बंगाली-भाषी मुसलमानों का यह समुदाय, जिन्हें हिकारत के साथ ‘मिया’ कहा जाता रहा है, एक अरसे से ज़िंदगी और मौत के भीषण संघर्ष में लगा रहा है। लगातार बाहरी बताए जाने की विडंबना के बीच ब्रह्मपुत्र नदी के द्वीपों पर बसे इन लोगों ने ‘मिया’ शब्द को ही अपनी पहचान बना लिया। 2016 में हाफ़िज़ अहमद की कविता ‘मैं एक मिया हूँ’ के साथ ‘मिया कविता’ जैसी प्रतिरोधी काव्य-धारा की शुरुआत हुई जिसने बड़े पैमाने पर दुनिया भर के लोगों का ध्यान इस समुदाय की तकलीफ़ों की ओर खींचा।

आरएसएस-भाजपा के लोग शुरुआत से ही इस समुदाय को बाहरी और राष्ट्रविरोधी साबित करने की मुहिम में लगे रहे हैं और हेमंत बिस्वा सरमा की सांप्रदायिक सरकार इन्हें निशाने पर लेने का कोई अवसर चूकना नहीं चाहती। मिया म्यूज़ीयम को यह कहकर बंद किया गया कि यह मोहर अली के जिस घर में बनाया गया है, वह ‘प्रधानमंत्री आवास योजना – ग्रामीण’ के तहत उन्हें आवंटित हुआ है। लेकिन कारण यह नहीं था, यह इसी से साफ़ हो जाता है कि मुख्यमंत्री सरमा ने इसे बंद किए जाने के साथ यह बयान दिया कि इसमें प्रदर्शित चीज़ों में से ‘लुंगी’ को छोड़कर और सारी चीज़ें असमी संस्कृति से सम्बद्ध हैं। बंद किए जाने के अगले ही दिन संस्था से सम्बद्ध तीन लोगों की गिरफ़्तारी और उन पर बांग्लादेश के आतंकवादी समूहों से जुड़े होने का आरोप लगाया जाना यह बताता है कि यह भाजपा सरकार की घिनौनी चालों के सिलसिले की ही एक कड़ी है।

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सांस्कृतिक गतिविधियों को निशाने पर लेते हुए ध्रुवीकरण करने वाले असम सरकार के ऐसे क़दमों की जनवादी लेखक संघ घोर निंदा करता है और यह माँग करता है कि ऑल असम मिया परिषद के गिरफ़्तार सदस्यों/पदाधिकारियों को अविलंब रिहा करने के साथ मिया म्यूज़ीयम को दुबारा जनता के लिए खोला जाए।

संजीव कुमार
(महासचिव)

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बजरंग बिहारी तिवारी
(संयुक्त महासचिव)

नलिन रंजन सिंह
(संयुक्त महासचिव)

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संदीप मील
(संयुक्त महासचिव)

जनवादी लेखक संघ

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