Nitin Thakur : फिल्म “एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर” और किताब “एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर” में कितना फर्क है ये तो रिलीज़ के बाद ही लिखा-कहा जा सकेगा, लेकिन पता चल रहा है कि राफेल पर घेराबंदी के बाद नागपुर के गलियारों में नितिन गडकरी का नाम बैकअप पीएम के तौर पर खूब लिया जा रहा है। उन्होंने रक्षामंत्री बनने से भी इसीलिए मना कर दिया था क्योंकि एक मंत्रालय में अच्छा खासा काम करने के बाद वो दो साल रक्षा मंत्रालय में बिताकर राफेल की बदनामी नहीं ढोना चाहते थे।
जितना मुझे पता चल रहा है उसके मुताबिक तो गडकरी को उनके कांग्रेसी मित्रों ने ही सलाह दी थी कि वो रक्षामंत्री बनने से तौबा करें क्योंकि कांग्रेस राफेल की खरीद पर घेराबंदी करने वाली है। आखिरकार वही हुआ। निर्मला सीतारमन संसद में हांफ रही हैं और गडकरी ने नागपुर में फिर परिक्रमा शुरू कर दी है। ज़ाहिर है, उनकी नज़र कमज़ोर बीजेपी में एनडीए को साथ लेकर ऐसा पीएम बनने की है जो विकास को प्राथमिकता देता है विवाद को नहीं।
अपने यूट्यूब चैनल ‘नितिननोट्स’ के इस वीडियो में हमने तमाम आधारों को गिनाकर बताया है कि आखिरकार क्यों नितिन गडकरी इस साल एनडीए के एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर बन सकते हैं। वैसे, नरेंद्र मोदी के ANI पर इंटरव्यू के बाद आरएसएस और विहिप के बयान आ चुके हैं। सभी मंदिर के लिए कानून बनाने के इच्छुक हैं लेकिन मोदी इस मूड में नहीं दिखते।
जनवरी अंत में विहिप संतों का जमावड़ा करनेवाला है और संघ अंदर ही अंदर मोदी का विकल्प तलाशने लगा है। मोदी के हालात 2004 वाले वाजपेयी जैसे दिखने लगे हैं जो अपनों में ही बेगाने हो चुके थे। मोदी का सामना वैसे भी भागवत से है जो कुप्प सी सुदर्शन जैसे नरम सरसंघचालक नहीं हैं। #nitinnotes के इस वीडियो से समझ सकते हैं कि कैसे संघ ने नितिन गडकरी को मोदी का बैकअप बना लिया है।
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आजतक न्यूज चैनल में कार्यरत रहे और सोशल मीडिया के चर्चित विश्लेषक नितिन ठाकुर की एफबी वॉल से.