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मोदी की अघोषित मीडिया नीति से भारत के संपादक दुखी, पारदर्शिता की मांग की

भारत के संपादकों ने मोदी सरकार से अपील की है कि वो पत्रकारों और मीडिया के सरकार, मंत्रालयों और अधिकारियों से संपर्क को और सहज बनाएं. संपादकों के संगठन ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया’ ने केंद्र सरकार को चेताया है कि सूचना के आदान-प्रदान में पारदर्शिता की कमी लोकतांत्रिक प्रक्रिया के हित में नहीं है. संगठन ने उम्मीद जताई है कि नरेंद्र मोदी मंत्रीमंडल के सदस्य और अधिकारी मीडिया से उसी तरह बात करते रहेंगे जैसा उन्होंने सरकार के सौ दिन का कार्यकाल पूरा होने पर किया था.

<p>भारत के संपादकों ने मोदी सरकार से अपील की है कि वो पत्रकारों और मीडिया के सरकार, मंत्रालयों और अधिकारियों से संपर्क को और सहज बनाएं. संपादकों के संगठन 'एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया' ने केंद्र सरकार को चेताया है कि सूचना के आदान-प्रदान में पारदर्शिता की कमी लोकतांत्रिक प्रक्रिया के हित में नहीं है. संगठन ने उम्मीद जताई है कि नरेंद्र मोदी मंत्रीमंडल के सदस्य और अधिकारी मीडिया से उसी तरह बात करते रहेंगे जैसा उन्होंने सरकार के सौ दिन का कार्यकाल पूरा होने पर किया था.</p>

भारत के संपादकों ने मोदी सरकार से अपील की है कि वो पत्रकारों और मीडिया के सरकार, मंत्रालयों और अधिकारियों से संपर्क को और सहज बनाएं. संपादकों के संगठन ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया’ ने केंद्र सरकार को चेताया है कि सूचना के आदान-प्रदान में पारदर्शिता की कमी लोकतांत्रिक प्रक्रिया के हित में नहीं है. संगठन ने उम्मीद जताई है कि नरेंद्र मोदी मंत्रीमंडल के सदस्य और अधिकारी मीडिया से उसी तरह बात करते रहेंगे जैसा उन्होंने सरकार के सौ दिन का कार्यकाल पूरा होने पर किया था.

एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया की कार्यकारी समिति की बैठक के बाद बयान में कहा गया कि प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री और अधिकारी – भारतीय मीडिया से भी वैसे ही संपर्क साधें जैसा प्रधानमंत्री ने विदेशी मीडिया के साथ बातचीत करके दिखाया है. संगठन ने प्रधानमंत्री कार्यालय में मीडिया सेल की स्थापना में देरी, मंत्रियों और अधिकारियों से पत्रकारों के मिलने-जुलने पर रोक और सूचनाओं के आदान-प्रदान को कम करने पर खासी चिंता जताई है. उसका कहना है कि सरकार अपने शुरूआती दिनों में ही लोकतांत्रिक बहसों और जवाबदेही पर नियंत्रण लगाती हुई दिख रही है जो लोकतंत्र की अवधारणा के खिलाफ है. सरकार की ओर से सोशल मीडिया पर सचूनाओं का प्रवाह बढ़ाने का संगठन ने स्वागत किया है. लेकिन ये भी कहा गया है कि शीर्ष से एकतरफ़ा संवाद और देश में इंटरनेट के फैलाव की स्थिति के कारण ये पाठकों, दर्शकों और श्रोताओं के लिए सूचना प्राप्त करने का एक मात्र ज़रिए नहीं हो सकता.

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