सार्वजनिक जीवन में आप सवालों से मुँह चुराकर भाग नहीं सकते । सवाल अपने लिये माध्यम खोज लेते हैं अपने प्रियतम तक पहुँचने का , उसकी नींद चैन उड़ाने का ! फ़िलहाल हमारे प्रधानमंत्री जी यह सोच रहे हैं कि वे मीडिया की जद से बाहर रहकर इन सवालों को समय की गाद के नीचे दबाने में कामयाब हो जायेंगे जिन्होंने देश के आसमान में डेरा डाल दिया है ! ..और आप सोच रहे होंगे कि टी वी चैनलों पर बैठा आपका “चतुर गैंग” आदमी के मल से बैठक में लेप लगायेगा और परफ़्यूम छिड़क कर बदबू रोक लेगा ? पी एम साहेब ऐसा हो नहीं पाता !
केजरीवाल बहुत चतुर हैं पर ” तोमर” की डिग्री उनके माथे पर चिपक गई थी, भला हो बीजेपी कैम्प के रणनीतिकारों का कि उन्होंने तोमर पर बलपूर्वक क़ब्ज़ा लेकर (जेल भेजकर) केजरीवाल को कलंक की तासीर से काफ़ी राहत दिला दिया । गर वे बाहर रह कर मंत्री बने रहते और पुलिस धीरे धीरे एक एक पन्ना जाँच प्रेस में खोलती जाती तो दिल्ली के चारों ओर ऐसी बदबू फैलती कि आप प्रवक्ताओं का जीना दूभर हो जाता !
बात सुषमा जी द्वारा ललित कला मोदी के वीसा दिलवाने की पैरवी में निजी तौर पर शामिल रहने से शुरू हुई थी, आगे बढ़ी तो पता चला विदेश मंत्राणी के पति वक़ील भी हैं और इक बिटिया बाँसुरी बजाती है……..न न न वह भी वक़ील है बाँसुरी तो उनका नाम है । पता चला कि ललित कला मोदी कब से फ़ीस चुका रहे हैं, मध्य प्रदेश के किसान मज़दूर टैकसपेयर भी अपना अंशदान कर रहे हैं ( फ़ीस चुकाकर)!
बात और तैर गई जयपुर पहुँची । वहाँ तो सब लिखत पढ़त में निकला । लिखित सपोर्ट बनाम मारीशस के बेमानी खाते से देस के नामी खाते में सीधा ट्रांसफ़र । देसी घबराय गये । पता लगा कि उनके कोटे के पन्द्रह लाख तो पहले ही वसुंधरा जी के बिटवा के खाते में कई साल पहले एडवांस में आ गये हैं !
चतुर सुजान झक्कास जेटली साहब की बिटिया की फ़ाइल भी खुल गई । वे भी वक़ील निकलीं । वे भी फ़ीस लेंगी कि नहीं सो राष्ट्रीय हाकी उनकी दो करोड़ की फ़ीस चुका रही है , चुकायेगी , चुकाना पड़ेगा । जेटली साहब की बेटी की प्रतिष्ठा का सवाल है , हाकी डारो चूल्हे माँ !
कांग्रेसी बत्तीसी काढ़ हँसना शुरू ही किये थे कि उनके राजघराने के कुँवर की फ़ोटू आ गई ललित कला एकेडमी की फिर अपने पत्रकार कोटे के कंगरेसी भाई राजीव सुकुल के कमर का साइज़ छप गया । जवाब तो देना पड़ेगा । भागने की गैल ना है ?
तो पी एम साहेब कट मारके निकल जाने से काम नईं बनेगा । वे सब जो आपकी हिफ़ाज़त में पेमंट/बिना पेमंट फ़ेसबुक/ट्विटर/सड़क पे युद्ध छेड़े हैं उनके भी हाथ नाक कान हैं । उन्हें भी फ़रक पड़े है । हफ़्ता भर से समझ नईं पा रै कि का पोस्ट डारें ?
कोई ग़ज़ल सुन रया कोई भजन । मन नईं लग रया । मन की बात भी ख़ाली गई । अब का करैं ।
तो साहेब मैदान में आओ लोहा लो बोलो छुपो मत ! सवालों से कोई छुप नहीं पाया आजतक !
बालेंदु स्वामी के एफबी वाल से