Connect with us

Hi, what are you looking for?

मध्य प्रदेश

मल्टी-मीडिया, मल्टी-टास्किंग, मल्टी-प्लेटफार्म का समय

भोपाल । आज मीडिया का विस्तार बहुत अधिक हो गया है। सूचनाओं के स्रोत बढ़ गए हैं। कई बार ऐसा होता है कि रिपोर्टर ने जो समाचार दिया है, वह संपादक के पास पहले ही विभिन्न माध्यमों (फेसबुक, ट्वीटर, व्हाट्सएप्प) से आ जाता है। यह मल्टी-मीडिया, मल्टी-टास्किंग और मल्टी-प्लेटफार्म का समय है। यह विचार वरिष्ठ पत्रकार श्री अजीत अंजुम ने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में आयोजित ‘एक संवाद’ कार्यक्रम में व्यक्त किए। इस अवसर पर हिंदी समाचार चैनल टीवी-9 के संपादक एवं फिल्म निर्देशक श्री विनोद कापड़ी ने भी विद्यार्थियों से संवाद किया।

वरिष्ठ पत्रकार श्री अंजुम ने कहा कि हम सब यह मानते हैं कि आज टीवी मीडिया में जो हो रहा है, वह सब कुछ ठीक नहीं है। आज मीडिया में एक प्रकार का ध्रुवीकरण दिखाई देता है। एक ध्रुव की मीडिया को जो सही दिखता है, वह दूसरे ध्रुव की मीडिया को गलत दिखाई देता है। सच क्या है और झूठ क्या, दर्शक के लिए यह समझना मुश्किल हो गया है। सूचना स्रोत और तकनीक बढऩे से फेक न्यूज की चपेट में बड़े-बड़े मीडिया संस्थान आ जाते हैं। ऐसे में महत्वपूर्ण यह है कि तमाम प्रकार की कमियां बता कर मीडिया को खारिज कर देना बहुत आसान है, लेकिन विकल्प देना कठिन है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

उन्होंने कहा कि इस दौर में मीडिया की विश्वसनीयता को स्थापित करना एक बड़ी चुनौती है। यह कहना ठीक है कि आज मीडिया से गाँव, किसान और युवा गायब हो गए हैं। लेकिन यह भी तो हमें ही सोचना होगा कि इन्हें मीडिया में कैसे लेकर आएं? श्री अंजुम ने बताया कि मीडिया में आलोचना के लिए जगह होना जरूरी है। सही को सही और गलत को गलत कहना ही पत्रकारिता है। एक पत्रकार को देश और समाज के हित को ध्यान में रखना चाहिए। वहीं, वरिष्ठ टीवी पत्रकार एवं फिल्म निर्देशक श्री विनोद कापड़ी ने कहा कि यह मान लिया कि टेलीविजन न्यूज में आज जो हो रहा है, उससे लोग खुश नहीं हैं। आज हमारे सामने चुनौती है कि नया क्या किया जाए? उन्होंने पत्रकारिता के विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वह नये विचार पर काम करें, अपनी नयी सोच के साथ मीडिया में आएं। उल्लेखनीय है कि श्री कापड़ी की फिल्म “पीहू” हाल ही में रिलीज हुई है। उनकी फिल्म की काफी सराहना की जा रही है।

मीडिया में पहले भी चुनौतियां थी और आज संसाधन, तकनीक, मीडिया के प्रकार बढऩे के बाद भी चुनौतियां हैं। दरअसल, चुनौतियों का नाम ही पत्रकारिता है। जिसके पास आईडिया है, विचार है, जो हट कर सोचता है, वह ही मीडिया में आगे जाएगा। पत्रकारिता कला भी है और विज्ञान भी। जिस प्रकार एक वैज्ञानिक सत्य की खोज करता है, उसी प्रकार पत्रकार भी सत्य की खोज करता है। सत्य की खोज करना विज्ञान है और उस सत्य को जनता को बताना कला है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

इस अवसर पर कुलाधिसचिव श्री लाजपत आहूजा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कुलसचिव प्रो. संजय द्विवेदी ने अतिथियों का स्वागत किया और कार्यक्रम की रूपरेखा बताई।

प्रेस विज्ञप्ति

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement