Connect with us

Hi, what are you looking for?

प्रिंट

कर्मचारियों के जले पर नमक छिड़क रहा है अमर उजाला!

नोएडा से एक साथी ने सूचना दी है कि अमर उजाला प्रबंधन अपने कर्मचारियों को मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से सेलरी व बकाया तो दे नहीं रहा है ऊपर से जले पर नमक छिड़क रहा है। इस साथी ने सूचना दी है कि यहाँ अमर उजाला के नंबर वन होने का जश्न मनाया गया लेकिन अमर उजाला के नंबर 1 होने का जश्न सिर्फ बड़े लोगों ने ही जोर शोर से मनाया। संपादक, जनरल मैनेजर, मैनेजर जैसे खास लोग 10-12 दिन के विदेश टूर पर भेजे गए और वहां से मौज मस्ती करके लौट आए हैं।

<script async src="//pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script> <script> (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({ google_ad_client: "ca-pub-7095147807319647", enable_page_level_ads: true }); </script><p>नोएडा से एक साथी ने सूचना दी है कि अमर उजाला प्रबंधन अपने कर्मचारियों को मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से सेलरी व बकाया तो दे नहीं रहा है ऊपर से जले पर नमक छिड़क रहा है। इस साथी ने सूचना दी है कि यहाँ अमर उजाला के नंबर वन होने का जश्न मनाया गया लेकिन अमर उजाला के नंबर 1 होने का जश्न सिर्फ बड़े लोगों ने ही जोर शोर से मनाया। संपादक, जनरल मैनेजर, मैनेजर जैसे खास लोग 10-12 दिन के विदेश टूर पर भेजे गए और वहां से मौज मस्ती करके लौट आए हैं।</p>

नोएडा से एक साथी ने सूचना दी है कि अमर उजाला प्रबंधन अपने कर्मचारियों को मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से सेलरी व बकाया तो दे नहीं रहा है ऊपर से जले पर नमक छिड़क रहा है। इस साथी ने सूचना दी है कि यहाँ अमर उजाला के नंबर वन होने का जश्न मनाया गया लेकिन अमर उजाला के नंबर 1 होने का जश्न सिर्फ बड़े लोगों ने ही जोर शोर से मनाया। संपादक, जनरल मैनेजर, मैनेजर जैसे खास लोग 10-12 दिन के विदेश टूर पर भेजे गए और वहां से मौज मस्ती करके लौट आए हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

बताया जा रहा है कि लेबर कमिश्नर और प्रमुख सचिव को पटाकर मनचाहा रिपोर्ट कोर्ट में सबमिट करा दिया गया है। इस साथी ने कहा कि यहां प्राइमरी पाठशाला जैसे हालात हैं। जिसने मजीठिया वेज बोर्ड की बात की उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया जा रहा है। इस साथी ने मजीठिया वेज बोर्ड को अमल में लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही पर पूरा भरोसा जताया है और लिखा है कि प्लीज़ मेरा नाम व्यावहारिक कारणों से मत डालियेगा। इस साथी ने लिखा है कि लखनऊ में सभी प्रादेशिक डेस्क के साथी रात 12 बजे के बाद घर जाते हैं लेकिन 95 प्रतिशत लोगों को नाइट अलाउंस नहीं दिया जाता। यही हाल अन्य यूनिटों में भी है।

सिर्फ पिछले साल जून में एक साथ तीन महीने का रात्रि भत्ता रजिस्टर पर साइन कराकर दिया गया था। इसे सैलरी शीट पर रात्रि भत्ता एरियर के रूप में दर्शाया गया था। इसके बाद नहीं दिया गया। हम लोग साढ़े आठ घंटे से भी ज्यादा काम करते हैं। फिलहाल मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर इतना तो तय है अमर उजाला अपने कर्मचारियों को गुमराह कर रहा है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

शशिकांत सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट
9322411335

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

0 Comments

  1. ASHUTOSH SINGH

    August 1, 2016 at 10:24 am

    पत्रकारिता जगत में सच्चाई तो ये है की जो उपर के पदों पर अधिकारी बैठे हैं वो ही चांदी काट रहे हैं। लेकिन जो लोग छोटे पदों पर हैं या जो पत्रकारिता में कैरियर की शुरूआत किये हैं उनका शोषण किया जाता है। सच्चाई तो ये है की पत्रकारिता में जो वेतन दिया जाता है उससे किसी के घर का गुजारा नहीं चल सकता और न ही एक पत्रकार अपना जीवन-यापन कर सकता है। आज के समय में पत्रकारिता के हालाता तो ये है की कोई भी इंसान पत्रकारिता में काम करके खुश नहीं है। पहले पत्रकारिता का मतलब होता था सेवा लेकिन अब पत्रकारिता का मतलब लोगों ने पेशा मान लिया है। वहीं दूसरी तरफ अगर पत्रकारों को अगर मजीठिया के तहत वेतनमान दिया जाता है तब जाकर पत्रकारों को कुछ हद तक राहत मिलेगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement