दीपांकर-
चंपत राय जी जिस पोडियम से मंच का संचालन कर रहे थे उस पर टेलीप्रोम्प्टर नहीं था, मुझे लगा राम लला की प्राण प्रतिष्ठित का भाषण मोदी जी बिना टेलीप्रोम्प्टर के ही देंगे.
लेकिन ये क्या..
जैसे ही चंपत राय जी ने मोदी जी को भाषण देने के लिए आमंत्रित किया, नरेंद्र मोदी जी उस पोडियम पर गये ही नहीं, जबकि उससे पहले मोहन भागवत और योगी आदित्यनाथ उसी पोडियम से भाषण दे चुके थे.
चंपत राय जी द्वारा नाम पुकारने पर मोदी जी मंच संचालन वाले पोडियम पर गए ही नहीं बल्कि नरेंद्र मोदी के लिए अलग पोडियम लगा था जिस पर कैमरा पहले ही इतना जूम इन था कि टेलीप्रोम्प्टर न दिखाई दे.
लेकिन राइट साइड वाले कैमरे ने टेलीप्रोम्प्टर का थोड़ा सा हिस्सा पकड़ लिया. महामानव के लिए कितना कुछ मैनेजमेंट होता है.
जिसे राम का नाम लेने में भी टेलीप्रोम्प्टर का सहारा लेना पड़े, ऐसे तपस्वी को मैं नमन करता हूं.
टेलीप्रोम्प्टर के लिए भाषण लिखने वाले उस महानुभाव को भी मैं नमन करता हूं जो इतना जीवंत भाषण लिखता है.
नरेंद्र मोदी जी को भी नमन करता हूं जो उसे ऐसा पढ़ते हैं कि लगता ही नहीं कि पढ़ रहे हों.
ऐसी कला दुर्लभ है, बड़े-बड़े एंकरों में भी ऐसी कला का मिलना दुर्लभ है.
नरेंद्र मोदी जी को इस कला के लिए मैं प्रणाम करता हूं. वो वास्तव में टेलीप्रोम्प्टर से पढ़ने की विधा के महामानव हैं.
108 बार प्रणाम करता हूं.
विश्वनाथ साहू
January 22, 2024 at 7:54 pm
सिर्फ नुक्स निकलना है करके हर बात पर बोलना और ऐसे मौके पर बोलना कितना उचित है पहले सींचना चाहिए…. मैं कोई भक्त नही पर बहुत सी बातें एक व्यक्ति को पता हो ये संभव ही नहीं , अगर लिखी हुई स्क्रिप्ट पढ़ते हैं तो इसमें क्या बुराई है भाई…