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न्यूज नेशन चैनल अपने स्ट्रिंगरों का पैसा मार गया

पिछले दो वर्षों से लगातार सफलता की सीढ़ियां चढ़ने के उपरान्त न्यूज नेशन अब बेइमानी पर उतर आया है. लग रहा है कि चैनल के पास बुलंदी के सफर को संभाल पाने की क्षमता नहीं है. चैनल ने अब स्ट्रिंगरों को तंग करना शुरू कर दिया है. स्ट्रिंगरों के लगभग साल साल भर की कमाई पर डाका डाल दिया. स्ट्रिंगर लॉबी को हर तीन चार महीने बाद थोड़े से पैसे दिए जाते थे जबकि बकाया बाद में देने की बात की जाती रही. लेकिन अब नए वर्ष में पुराने बिल समाप्त कर दिए गए.

<p>पिछले दो वर्षों से लगातार सफलता की सीढ़ियां चढ़ने के उपरान्त न्यूज नेशन अब बेइमानी पर उतर आया है. लग रहा है कि चैनल के पास बुलंदी के सफर को संभाल पाने की क्षमता नहीं है. चैनल ने अब स्ट्रिंगरों को तंग करना शुरू कर दिया है. स्ट्रिंगरों के लगभग साल साल भर की कमाई पर डाका डाल दिया. स्ट्रिंगर लॉबी को हर तीन चार महीने बाद थोड़े से पैसे दिए जाते थे जबकि बकाया बाद में देने की बात की जाती रही. लेकिन अब नए वर्ष में पुराने बिल समाप्त कर दिए गए.</p>

पिछले दो वर्षों से लगातार सफलता की सीढ़ियां चढ़ने के उपरान्त न्यूज नेशन अब बेइमानी पर उतर आया है. लग रहा है कि चैनल के पास बुलंदी के सफर को संभाल पाने की क्षमता नहीं है. चैनल ने अब स्ट्रिंगरों को तंग करना शुरू कर दिया है. स्ट्रिंगरों के लगभग साल साल भर की कमाई पर डाका डाल दिया. स्ट्रिंगर लॉबी को हर तीन चार महीने बाद थोड़े से पैसे दिए जाते थे जबकि बकाया बाद में देने की बात की जाती रही. लेकिन अब नए वर्ष में पुराने बिल समाप्त कर दिए गए.

इससे स्ट्रिंगर न सिर्फ दुखी हैं बल्कि अब चैनल के साथ काम भी नहीं करना चाहते. मौजूदा समय में नेशनल चैनल में स्ट्रिंगर काम नहीं करना चाहते क्योंकि नेशनल चैनल पैसे नहीं देते. आज हर प्रदेश में रीजनल चैनल काम कर रहे हैं जो ख़बरें भी अधिक लेते हैं और पैसे भी अच्छे देते हैं. यही कारण है कि न्यूज नेशन के स्ट्रिंगरों के साथ इस धोखे के बाद अब स्ट्रिंगर लॉबी इस चैनल से कन्नी काटने लगी है. ऐसे में धीरे धीरे नकारात्मक असर चैनल की टीआरपी पर पड़ेगा. कुल मिलाकर यूँ कहा जा सकता है कि अब न्यूज नेशन की उलटी गिनती शुरू हो गई है.

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एक स्ट्रिंगर द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित

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