Connect with us

Hi, what are you looking for?

आवाजाही

बीबीसी हिंदी के संपादक निधीश त्यागी का इस्तीफा , जी बिजनेस के संपादक पद से समीर अहलूवालिया हटाए गए

दो बड़ी खबरें मीडिया की पता चली हैं. निधीश त्यागी ने बीबीसी हिंदी के संपादक पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने इस बात सूचना फेसबुक पर एक वनलाइनर स्टेटस के जरिए दी है. ताजी खबर है कि उन्होंने नेटवर्क 18 के डिजिटल वेंचर में एडिटर लैंग्वजेज के पद पर ज्वाइन किया है. निधीश त्यागी देश के तेजतर्रार संपादकों में माने जाते हैं. वे बीबीसी हिंदी में करीब पौने चार साल तक संपादक रहे. वे भास्कर ग्रुप में संपादक रहे हैं. ट्रिब्यून में चीफ न्यूज एडिटर रहे. टाइम्स ग्रुप के पुणे मिरर और मुंबई मिरर के संपादक रहे.

<p>दो बड़ी खबरें मीडिया की पता चली हैं. निधीश त्यागी ने बीबीसी हिंदी के संपादक पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने इस बात सूचना फेसबुक पर एक वनलाइनर स्टेटस के जरिए दी है. ताजी खबर है कि उन्होंने नेटवर्क 18 के डिजिटल वेंचर में एडिटर लैंग्वजेज के पद पर ज्वाइन किया है. निधीश त्यागी देश के तेजतर्रार संपादकों में माने जाते हैं. वे बीबीसी हिंदी में करीब पौने चार साल तक संपादक रहे. वे भास्कर ग्रुप में संपादक रहे हैं. ट्रिब्यून में चीफ न्यूज एडिटर रहे. टाइम्स ग्रुप के पुणे मिरर और मुंबई मिरर के संपादक रहे.</p>

दो बड़ी खबरें मीडिया की पता चली हैं. निधीश त्यागी ने बीबीसी हिंदी के संपादक पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने इस बात सूचना फेसबुक पर एक वनलाइनर स्टेटस के जरिए दी है. ताजी खबर है कि उन्होंने नेटवर्क 18 के डिजिटल वेंचर में एडिटर लैंग्वजेज के पद पर ज्वाइन किया है. निधीश त्यागी देश के तेजतर्रार संपादकों में माने जाते हैं. वे बीबीसी हिंदी में करीब पौने चार साल तक संपादक रहे. वे भास्कर ग्रुप में संपादक रहे हैं. ट्रिब्यून में चीफ न्यूज एडिटर रहे. टाइम्स ग्रुप के पुणे मिरर और मुंबई मिरर के संपादक रहे.

एक अप्रत्याशित घटनाक्रम के तहत समीर अहलूवालिया को जी बिजनेस के संपादक पद से हटा दिया गया है. चर्चा है कि प्रबंधन देर सबेर सुधीर चौधीर को भी जी न्यूज के संपादक पद से हटा सकता है. इन दोनों को कोई बड़ा पद और दायित्व देकर ग्रुप में एडजस्ट किया जाएगा. समीर अहलूवालिया उगाही मामले में सुधीर चौधरी के साथ तिहाड़ जेल जा चुके हैं. जब तक केस चलेगा तब तक जी ग्रुप इन दोनों को संस्थान से बाहर नहीं भेज सकता क्योंकि ये वादा माफ गवाह बनकर सुभाष चंद्रा की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं. इसलिए सुभाष चंद्रा की मजबूरी है कि वे इन दोनों संपादकों को लंबे समय तक अपने संस्थान का हिस्सा बनाए रखें.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement