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मुम्बई में पत्रकारों से अवैध रूप से कराई जा रही है नाइट शिफ्ट

आर टी आई से हुआ खुलासा… मुम्बई के पत्रकारों से नाइट शिफ्ट कराना पूरी तरह गलत है। ये खुलासा हुआ है आरटीआई के जरिये। मुम्बई के निर्भीक पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट शशिकांत सिंह ने श्रम आयुक्त कार्यालय से जानकारी मांगी थी कि मुम्बई के कितने समाचार पत्र प्रबंधन ने अपने कार्यालय में कार्यरत पत्रकारों से नाइट शिफ्ट कराते समय श्रम आयुक्त कार्यालय से अनुमति ली है। इस पर 8 अगस्त 2016 को भेजे जवाब में श्रम आयुक्त कार्यालय के राज्य जन माहिती अधिकारी और सरकारी कामगार अधिकारी आरपी तोड़कर ने बताया है कि इस कार्यालय का रिकार्ड देखा गया जिसमें श्रमिक पत्रकार और पत्रकारेत्तर कर्मचारी सेवा शर्त की अधिनियम 1955 के अंतर्गत प्रकरण तीन के नियम 19 के तहत किसी भी समाचार पत्र प्रतिष्ठान को मंजूरी आदेश देने का आदेश नहीं दिया गया है।

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आर टी आई से हुआ खुलासा… मुम्बई के पत्रकारों से नाइट शिफ्ट कराना पूरी तरह गलत है। ये खुलासा हुआ है आरटीआई के जरिये। मुम्बई के निर्भीक पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट शशिकांत सिंह ने श्रम आयुक्त कार्यालय से जानकारी मांगी थी कि मुम्बई के कितने समाचार पत्र प्रबंधन ने अपने कार्यालय में कार्यरत पत्रकारों से नाइट शिफ्ट कराते समय श्रम आयुक्त कार्यालय से अनुमति ली है। इस पर 8 अगस्त 2016 को भेजे जवाब में श्रम आयुक्त कार्यालय के राज्य जन माहिती अधिकारी और सरकारी कामगार अधिकारी आरपी तोड़कर ने बताया है कि इस कार्यालय का रिकार्ड देखा गया जिसमें श्रमिक पत्रकार और पत्रकारेत्तर कर्मचारी सेवा शर्त की अधिनियम 1955 के अंतर्गत प्रकरण तीन के नियम 19 के तहत किसी भी समाचार पत्र प्रतिष्ठान को मंजूरी आदेश देने का आदेश नहीं दिया गया है।

आपको बता दें कि श्रमिक पत्रकार और पत्रकारेत्तर कर्मचारी सेवा शर्त की अधिनियम 1955 के अंतर्गत प्रकरण तीन के नियम 19 के तहत समाचार पत्र प्रतिष्ठान किसी भी कर्मचारी से लगातार नाइट शिफ्ट में काम नहीं ले सकता। अगर किसी कर्मचारी से लगातार एक सप्ताह से ज्यादा नाइट शिफ्ट कराना जरूरी हो तो उसके लिए समाचार पत्र प्रबंधन श्रम आयुक्त कार्यालय को उस कर्मचारी का नाम लिखते हुए एक लिखित पत्र देकर बाकायदे कारण बताते हुए श्रम आयुक्त या उसी स्तर के अधिकारी से लिखित अनुमति लेनी पड़ती है। आर टी आई से जो जानकारी उपलब्ध करायी गयी है उससे साफ़ संकेत मिलता है कि मुम्बई के एक भी समाचार पत्र प्रतिष्ठान ने श्रम आयुक्त कार्यालय से इसकी लिखित अनुमति नहीं ली है और अपने कई कर्मचारियों से लगातार नाइट शिफ्ट करा रही है जो पूरी तरह गलत है।

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शशिकांत सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट
9322411335

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