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सुख-दुख

जाने-माने पत्रकार और ‘रंग प्रसंग’ के संपादक नीलाभ अश्क का निधन

नीलाभ नहीं रहे. नीलाभ यानि नीलाभ अश्क. आज सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली. पिछले कुछ दिनों से वे बीमार चल रहे थे. नीलाभ ‘रंग प्रसंग’ के संपादक थे. फेसबुक पर नीलाभ के कई जानने वालों ने उनके निधन की खबर पोस्ट की है. पत्रकार और समालोचक संगम पांडेय ने लिखा है- ”अभी-अभी ‘रंग प्रसंग’ के संपादक नीलाभ जी के अंतरंग रूपकृष्ण आहूजा ने बताया कि नीलाभ जी नहीं रहे।”

नीलाभ नहीं रहे. नीलाभ यानि नीलाभ अश्क. आज सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली. पिछले कुछ दिनों से वे बीमार चल रहे थे. नीलाभ ‘रंग प्रसंग’ के संपादक थे. फेसबुक पर नीलाभ के कई जानने वालों ने उनके निधन की खबर पोस्ट की है. पत्रकार और समालोचक संगम पांडेय ने लिखा है- ”अभी-अभी ‘रंग प्रसंग’ के संपादक नीलाभ जी के अंतरंग रूपकृष्ण आहूजा ने बताया कि नीलाभ जी नहीं रहे।”

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अशोक कुमार पांडेय, राहुल पांडेय और विमल वर्मा ने भी नीलाभ के न रहने की दुखद जानकारी साझा की है. विमल वर्मा लिखते हैं- ”अरे, नीलाभ भाई नहीं रहे। विश्वास नहीं हो रहा।” अरुण कुमार कालरा का कहना है कि कुछ समय पहले ही नीलाभ को उन्होंने NSD campus में देखा था… तब तो अस्वस्थ नहीं लग रहे थे परंतु अभी किसी ने बताया की कुछ दिनों से बीमार थे।

नीलाभ न सिर्फ एक बड़े पत्रकार थे बल्कि कवि, अनुवादक, रंगकर्मी, समालोचक समेत कई विधाओं के विशेषज्ञ थे. मनुष्य के रूप में बेहद फक्कड़, मनमौजी और सूफी तबीयत वाले नीलाभ पिछले कुछ वर्षों से पारिवारिक विवादों के कारण परेशान थे. हालांकि आखिरी दिनों में सब कुछ सेटल हो गया था और वे अपना सुखी पारिवारिक जीवन जी रहे थे. उन्होंने पिछले ही दिनों फेसबुक पर दो प्रायश्चित पत्र लिखे जो फेसबुक पर लिखे उनके आखिरी पोस्ट साबित हुए. इसमें उन्होंने अपनी पत्नी भूमिका द्विवेदी और प्रकाश अशोक माहेश्वरी से माफी मांगी थी. इस पत्र का भाषा और संवेदना कुछ ऐसा है कि पढ़ने वाला पूरे दिल से नीलाभ के दुख और प्रायश्चित में शरीक हो जाता है.

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नीलाभ के निधन पर भड़ास4मीडिया के संपादक यशवंत सिंह ने कहा कि नीलाभ दा के साथ कई शामें गुजारी हैं. वे गार्जियन, दोस्त, संरक्षक, शिक्षक समेत कई रूपों में दिखते थे. खुलकर अपनी बात कहने और जमकर ठहाके लगाने वाला शख्स इतनी जल्दी चला जाएगा, यकीन नहीं हो रहा. जिंदगी को पूरी उदात्तता, साहस और संवेदनशीलता के साथ जीने वाले शख्स का नाम है नीलाभ. भड़ास के दरियागंज आफिस में कई बार नीलाभ रुके और वहां उनसे कई किस्म की जानकारियां सीख सबक हासिल किया था. नीलाभ के न रहने से महसूस हो रहा कि हम लोगों के सिर से किसी अपने बेहद खास का साया उठ गया. पहले आलोक तोमर, फिर वीरेन डंगवाल, फिर पंकज सिंह और अब नीलाभ. एक एक कर वो सारे लोग ये दुनिया छोड़ जा रहे जिनके होने पर यह यकीन रहा करता था कि हम लोगों का कोई बड़ा भाई, कोई शिक्षक, कोई संरक्षक इस दुनिया में मौजूद है. अलविदा नीलाभ दा.

नीलाभ के निधन पर हरे प्रकाश उपाध्याय, अजित राय और विष्णु नागर की त्वरित टिप्पणियां….

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नीलाभ ने आखिरी जो कुछ पोस्ट्स लिखी थीं, उन्हें नीचे के शीर्षक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं…


इसे भी पढ़ सकते हैं….

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