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सियासत

पशुधन निर्यात बिल वापस लेना अहिंसा की जीत

उदयपुर : केंद्रीय पशुपालन व डेयरी मंत्रालय द्वारा लाए जाने वाले पशुधन निर्यात विधेयक के खिलाफ देशव्यापी विरोध देखते हुए इसे वापस ले लिया गया है। सरकार ने कहा कि पशुधन आयात अधिनियम 1898 में बना हुआ था, जो स्वतंत्रता और संविधान से पूर्व का है। साथ ही पशु कल्याण और जनभावनाओं को भी ध्यान में रखते हुए इसे वापस ले लिया है।

बिल वापस लेने पर श्रमण डॉ. पुष्पेन्द्र ने कहा कि यह अहिंसा की जीत और मूक प्रजा के अधिकारों का सम्मान है। श्रमण डॉ पुष्पेन्द्र ने बिल व वापसी को अहिंसा की जीत बताते हुए कहा कि सरकार को हिंसा के विस्तार की बजाय, हिंसा के अल्पीकरण के लिए कानून बनाने चाहिये। उन्होंने आगे कहा कि अब सरकार को उसकी मांस निर्यात नीति की भी समीक्षा करनी चाहिये क्योंकि मांस निर्यात भारतीय संस्कृति और अर्थव्यवस्था के स्थायी हित में नहीं है। सत्ता में आने से पूर्व प्रधानमंत्री श्री मोदी जी स्वयं पिंक रिवॉल्यूशन यानी मांस उद्योग के खिलाफ बोलते रहे थे। अब उन्हें अपने कथन के अनुसार मांस उद्योग पर अंकुश लगाना चाहिये।

अहिंसा विचार मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. दिलीप धींग ने संतोष व्यक्त किया और कहा कि यह अच्छा है कि प्रस्तावित विधेयक वापस लेने से हिंसा और क्रूरता का एक नया विचार साकार नहीं हो सका। पशु प्रेमी अभिनेत्री तराना सिंह, एनिमल बोर्ड सदस्य राजेंद्र शाह, अखिल भारतीय श्वेतांबर स्थानकवासी जैन कॉन्फ्रेंस राजस्थान प्रांत के अध्यक्ष निर्मल पोखरना, समग्र जैन युवा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष जिनेंद्र जैन आदि अनेक संगठनों ने इस निर्णय को अहिंसा प्रेमियों की जीत बताते हुए केन्द्र सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया।

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