पांच पत्रकारों पर गैंगस्टर लगाकर उनमें से चार को भेजने वाली नोएडा पुलिस इन दिनों पांचवें फरार पत्रकार रमन ठाकुर के परिजनों का उत्पीड़न करने में जुटी हुई हैं. रमन ठाकुर की पत्नी कल्याणी ठाकुर ने एक मेल भेजकर पूरे प्रकरण के बारे में भड़ास4मीडिया को अवगत कराया है. पढ़िए पत्रकार रमन ठाकुर की पत्नी का पत्र-
आदरणीय महोदय !
तिथि 28/12/2019 की शाम को कई जिप्सियों में भरकर पुलिस मेरे घर आई और मेरे घर वालों के साथ बदतमीजी करते हुए मेरे निरपराध ससुर श्री सुरेश ठाकुर और देवर राहुल ठाकुर को उठा के ले गए।।
तब से उनका कोई अता-पता नहीं चल रहा था कि क्यों और कहाँ ले गए उन्हें। फोन भी बंद आ रहा था उनका।
जब मैंने बीटा 2 थाना के थाना प्रभारी को कॉल कर के मदद करने की गुहार लगाई तो उन्होंने मुझसे अशिष्टता से बात करते हुए फोन काट दिया। एसएसपी ने फोन किए जाने पर बात करना भी जरूरी नहीं समझा।
हम किंकर्तव्यविमूढ़ हो कर कल शाम तक भूखे प्यासे उनकी प्रतीक्षा करते रहे क्योंकि और कोई विकल्प नहीं था हमारे पास। फिर शाम को मेरे देवर और ससुर जी को उनके साथी पत्रकार लोग छुड़ा कर घर लाये।
मेरी 2 साल की छोटी सी बच्ची का रोते-रोते बुरा हाल था। हम लोगों को रोते और परेशान देख उसकी तबियत खराब हो गयी। उसने 3 दिनों से कुछ नहीं खाया।
महोदय मैं आठ महीने से गर्भवती हूँ और घर में अभी मेरे अलावा मेरी बूढ़ी सास हैं। मेरा भी स्वथ्य ठीक नहीं है। मैं चल भी नहीं पाती हूँ।
पति को देखे हुए 4 महीने से ऊपर हो गए।
महोदय एक पत्नी के लिये अपने पति और परिवार का साथ कितना जरूरी है और वो भी गर्भावस्था, में ये आप भलीभांति जानते होंगे।
ऐसे में मैं किसी तरह स्वयं को सम्भाल रही थी। ऊपर से इतना अवसाद पुलिस के द्वारा हमें दिया जा रहा है।
हमलोग बहुत ही परेशान हैं। पूरी रात मेरी बीमार वृद्ध सास और मैं सो नहीं पाए। भोजन नहीं कर पाए। मैं डिप्रेशन का शिकार हो गयी हूँ। ऐसे में यदि हमें कुछ हो गया तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? अवश्य हीं एसएसपी वैभव कृष्ण और पुलिस विभाग।
उनकी नजर में अपराधी मेरे पति रमण ठाकुर हैं (जो कि अब तक साबित नहीं हुआ है) तो वो उन्हें पकड़े न। उनके पिता और भाई की क्या गलती है? उनके परिवार को परेशान करने का क्या औचित्य है?
मेरे पति पिछले 14 वर्षों से पत्रकार हैं। कभी उनपे कोई गम्भीर आरोप नहीं लगा। लेकिन 30 जनवरी 2019 से अब तक उनपे आरोप पे आरोप लग रहे हैं। महोदय क्या खबर लिखना गैंगस्टर अपराध के अंतर्गत आता है?
जो लोग वास्तविक अपराधी हैं, आतंकवादी हैं, उनके साथ भी पुलिस इतना बुरा व्यवहार नहीं करती जितना हमारे साथ कर रही है। परिवार को कोई टॉर्चर नहीं करती पुलिस। हम जैसे मध्यमवर्गीय और सम्मानित लोगों के साथ पुलिस ऐसे पेश आ रही है जैसे हम कितने बड़े खानदानी क्रिमिनल्स हैं।
महोदय जनता को यदि किसी असामाजिक तत्व से कष्ट होता है तो वो पुलिस और प्रशासन की शरण लेता है। यदि पुलिस ही हमलोगों को सताएगी तो हम कहाँ जायँ किससे गुहार लगाएं? इसलिए बहुत आशा के साथ आप की शरण में हूँ। कृपया शीघ्र उचित कार्यवाही करें। इसके लिए मैं आपकी सदा आभारी रहूंगी।
ये ग्रेटर नोएडा e413 बीटा 1 की घटना है। पुलिस अभी कुछ देर पहले भी आई थी हमें डराने और परेशान करने, जबकि उन्हें पता है कि हमारी कंडीशन नहीं है ये सब झेलने की। मेरा फोन ले के गए और बहुत देर बाद वापस किया।
kalyani thakur
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