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सुख-दुख

पत्रकारों और फोटो जर्नलिस्ट को एनएफआई फैलोशिप

नई दिल्ली : नेशनल मीडिया फाउंडेशन (एनएफआई) की ओर से वर्ष 2013 के लिए घोषित मीडिया फैलोशिप पूर्ण करने पर नई दिल्ली के इंडिया हैबिटाट सेंटर में एक समारोह में चुने हुए फैलोज को सम्मानित किया गया। इस मौके पर पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश, महिला अधिकारों के लिए सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता वृंदा ग्रोवर, प्रोफेसर शिव विश्वनाथ और योजना आयोग की पूर्व सदस्य सईदा हमीद मुख्य रूप से उपस्थित थीं। 

फैलोज को सम्मानित करते पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश

नई दिल्ली : नेशनल मीडिया फाउंडेशन (एनएफआई) की ओर से वर्ष 2013 के लिए घोषित मीडिया फैलोशिप पूर्ण करने पर नई दिल्ली के इंडिया हैबिटाट सेंटर में एक समारोह में चुने हुए फैलोज को सम्मानित किया गया। इस मौके पर पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश, महिला अधिकारों के लिए सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता वृंदा ग्रोवर, प्रोफेसर शिव विश्वनाथ और योजना आयोग की पूर्व सदस्य सईदा हमीद मुख्य रूप से उपस्थित थीं। 

फैलोज को सम्मानित करते पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश

आयोजन में सिविल सोसाइटी, रोल चैलेंजेस एंड वे फारवर्ड विषय पर एक परिचर्चा भी हुई। सम्मान समारोह में तीनों फोटो जर्नलिस्ट के खींचे हुए चुनिंदा फोटोग्राफ्स की प्रदर्शनी भी लगाई गई थी। जिसमें वरिष्ठ फोटो जर्नलिस्ट प्रशांत पांजियार भी विशेष रूप से मौजूद थे। समूचे कार्यक्रम में एनएफआई के अमिताभ बेहार व मिनी सिंह के अलावा विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि भी विशेष रूप से मौजूद थे। 

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एनएफआई की फैलोशिप पूर्ण करने वाले जिन पत्रकारों को सम्मानित किया गया, उनमें राष्ट्र दीपिका केरल के उपसंपादक रेंजित जॉन ने केरल में अनाथालयों में बाल संरक्षण और अधिकार, चरखा डेवलपमेंट कम्यूनिकेशन नेटवर्क नई दिल्ली के साथ सहायक संपादक चेतना वर्मा ने जम्मू कश्मीर में जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में महिलाओं के स्वास्थ्य परिदृश्य पर, दैनिक जागरण रांची झारखंड के साथ वरिष्ठ पत्रकार राजीव रंजन ने संथाल परगना में शहरी गरीबी पर, दैनिक भास्कर रायपुर छत्तीसगढ़ के साथ पत्रकार मोहम्मद जाकिर हुसैन ने छत्तीसगढ़ में बंधुआ मजदूरी और इस्पात उद्योग में छत्तीसगढ़ की महिला ठेका मजदूरों की हालत पर, अमर उजाला झांसी उत्तरप्रदेश के साथ वरिष्ठ उपसंपादक प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने बुंदेलखंड में खराब स्वास्थ्य सेवा और शिशु मृत्यु दर पर, आउटलुक पत्रिका का साथ विशेष संवाददाता देबर्षि दासगुप्ता ने भाषा के भेदभाव और माओवाद के बीच संबंधों पर, सेंट्रल क्रॉनिकल रायपुर छत्तीसगढ़ के साथ वरिष्ठ पत्रकार अवधेश मलिक ने छत्तीसगढ़ में झलियामारी कांड के परिप्रेक्ष्य में बालिका शिक्षा के मुद्दे पर, लोकमत सतारा महाराष्ट्र के साथ उप संपादक मोहन मूर्ति पाटिल ने पश्चिमी महाराष्ट्र के ग्रामीण विकास में महिला सरपंच की भूमिका पर, असम की स्वतंत्र पत्रकार अजरा परवीन ने असम के चाय बागानों में महिला एवं बाल स्वास्थ्य देखभाल के मुद्दों पर और खबर लहरिया उत्तरप्रदेश की संवाददाता व सह संपादक कविता ने फैजाबाद में स्वास्थ्य की स्थिति पर लिखा। वही फोटो जर्नलिस्ट के तौर पर दिल्ली से स्वतंत्र फोटोग्राफर निखिल रोशन ने असम के धुबरी जिले में भारत-बांग्लादेश सीमा के साथ ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे बालू तट पर दैनिक जीवन का दस्तावेजीकरण, न्यू इंडियन एक्सप्रेस दिल्ली के  फोटोग्राफर रवि चौधरी ने एसिड हमले के शिकार लोगों के जीवन का दस्तावेजीकरण और दिल्ली के स्वतंत्र फोटोग्राफर सुरेंद्र सोलंकी ने यमुना का छायाचित्र दस्तावेजीकरण किया है। प्रिंट मीडिया के ज्यादातर पत्रकारों का परिचय पिछले वर्ष के आधार पर है। इस वर्ष लगभग सभी अपने पुराने संस्थान छोड़ चुके हैं। 

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