Connect with us

Hi, what are you looking for?

सुख-दुख

न्याय की जहां से आस थी, वह मंदिर बाजार हो गया….!

मजीठिया वेज बोर्ड पर सुप्रीम कोर्ट से आए हालिया फैसले को लेकर बरेली के मजीठिया क्रांतिकारी मनोज शर्मा एडवोकेट की कविता पेश-ए-खिदमत है…

मजीठिया वेज बोर्ड पर सुप्रीम कोर्ट से आए हालिया फैसले को लेकर बरेली के मजीठिया क्रांतिकारी मनोज शर्मा एडवोकेट की कविता पेश-ए-खिदमत है…

Advertisement. Scroll to continue reading.

मेरे भरोसे का दर्पण आज यारों चकनाचूर हो गया

मनोज शर्मा एडवोकेट

Advertisement. Scroll to continue reading.

मेरे भरोसे का दर्पण आज यारों चकनाचूर हो गया
न्याय की जहां से आस थी वह मंदिर बाजार हो गया
जालिमों ने अदा कर दी मजलूमों की आहों की कीमत
सिसक रहा है सच, झूठ के सिर सेहरा हो गया
इस दौर में हक की आवाज उठाना जुल्म है यारो
हर सिंहासन यहां सौदागरों की जागीर हो गया
किसी के बच्चे भूख से बिलखते हैं तो बिलखा करें
हाकिमों का मकसद सिर्फ दौलत कमाना हो गया
लग रहा है भगवान ने भी अपना पाला बदल लिया
बेईमान और मक्कारों के कदमों में जमाना आ गया
हजारों सीनों में दहकती आग कब शोला बनेगी
जज, अफसर, नेता नीलाम सबका ईमान हो गया
गैरत बेच दी ओहदेदारों ने कानून सिर्फ दिखावा है
धन बल के आगे बौना देश का संविधान हो गया!


रचनाकार-

Advertisement. Scroll to continue reading.

मनोज शर्मा एडवोकेट
मजीठिया क्रांतिकारी
हिंदुस्तान, बरेली

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement