विकास मिश्रा-
साहित्य अकादेमी में चल रहे 9 दिवसीय पुस्तक मेले के दूसरे दिन यानी शनिवार को आनंद आ गया। सबसे ज्यादा चहल पहल भावना प्रकाशन पर रही। मेरी किताब ‘बखरी.. कहानी घर आंगन की’ को लेकर उत्सुक पाठकों को देखकर मन में गुदगुदी भी खूब हुई। कई साथी तो मेले में बस मुझसे मिलने आए थे।
मित्र और भाई अनुरंजन झा खास तौर पर मुझसे मिलने आए। स्टॉल से बखरी खरीदी, हस्ताक्षर करवाए और फोटो भी खिंचवाई। अनुरंजन जी फिलहाल लंदन में बस गए हैं। प्रसिद्ध व्यंग्यकार सुभाष चंदर और अर्चना चतुर्वेदी का सान्निध्य बहुत आनंददायक था।
स्तंभकार और मशहूर लेखक टीएन सिन्हा से मुलाकात हुई। उन्होंने मेरी किताब खरीदी और अपनी किताब मुझे भेंट की। भाई सत्येंद्र चतुर्वेदी जी खास तौर पर मुझसे मिलने पहुंचे थे। उनके हाथों में मेरी किताब थी। आधे से ज्यादा पढ़ चुके हैं, बस किताब पर हस्ताक्षर करवाने आए थे।
न्यूज 24 के साथी हैं रामकृपाल जी। वैसे तो नाम उनका फजले गुफरान है, लेकिन हमने उनका नाम ट्रांसलेट करके रामकृपाल कर दिया है। अद्भुत व्यक्ति हैं। रामकृपाल जी ने भी बखरी खरीदी और फोटो खिंचवाई।
जब मैं सपत्नीक साहित्य अकादेमी में पहुंचा था, तो सबसे पहले मिले थे पवन विजय जी। ये संयोग ही है कि मेरी किताब आने के बाद बखरी शब्द की पहली व्याख्या पवन जी ने ही की थी। उसके बाद केशव मोहन पांडेय जी मिले।
सरप्राइज पैक के रूप में अखिलेश राय से भी मुलाकात हो गई। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से उन्होंने भी पढ़ाई की है। इलाहाबादी रिश्ते से जूनियर और छोटे भाई हैं। रिपब्लिक भारत न्यूज चैनल में सुप्रीम कोर्ट कवर करतें हैं।
छोटे भाई की तरह हमारे युवा साथी गौरव ललित शर्मा और अक्षय भी पहुंचे थे। हमारे सहपाठी और मित्र समर से मुलाकात नहीं हो पाई, क्योंकि वे मेरे आने से पहले ही किताब खरीदकर चले गए थे। कुल मिलाकर मजेदार रहा पुस्तक मेले में ये दिन। पुस्तक मेलों में जाना मेरे लिए नई बात नहीं है, लेकिन पहली बार बतौर लेखक शामिल होने का आनंद पहली बार महसूस किया।