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साहित्य

कवि नरेश सक्सेना का जवान बेटा रात में सोया तो फिर जगा ही नहीं!

Deepak Kabir-

अभी अभी बेहद स्तब्ध करने वाली खबर मिली है. जनकवि नरेश सक्सेना जी के युवा बेटे Raghav Naresh नहीं रहे।

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राघव नरेश

सुबह सोते वक्त ही किसी वक़्त संभवत उन्हें हार्ट अटैक आया, मगर सोने की वजह से दोपहर में जगाने पर पता चला।

नरेश जी का दुख बड़ा है मगर वो संतुलित हैं.. वे कह रहे हैं लोग परेशान न हों, जो होना था हो गया.., बाहर के परिचित उन्हें कृपया कल फोन करें या मैसेज छोड़ दें।

उनकी बेटी पूर्वा लखनऊ पहुंच रही हैं। पत्नी सोनी घर पर ही हैं।

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तय किया गया है कि अंतिम संस्कार आज शाम 4 से 4.30 बजे के बीच लखनऊ के विद्युत शवदाह गृह में होगा।

राघव छोटे भाई जैसा था और अपनी प्रोफेशनल स्किल्स के अलावा थियेटर, पॉलिटिक्स ,संस्कृति और सामाजिक कार्यक्रमों में भी बहुत दिलचस्पी रखते थे।

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सुभाष चंद कुशवाहा-

वरिष्ठ कवि, नरेश सक्सेना जी का जवान बेटा, बामुश्किल 40 के आसपास, रात सोते-सोते, उठा ही नहीं। दुःखद समाचार दीपकजी ने फेसबुक पर डाली तो मैं भी उनके घर गया। शहर के कई वरिष्ठ साहित्यकार वीरेंद्र जी, राकेश जी, नवीन जी, शैलेंद्र सागर जी, सुभाष राय जी और कटियार जी और कुछ अन्य वहां पहले से थे।

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ऐसे पहाड़ जैसे दुख से नरेश जी कैसे गुजर रहे होंगे, अनुमान लगाना मुश्किल है मगर बातों से पूरी तरह दृढ़। कह रहे थे- जाना था, चला गया। कोई कब चला जायेगा, कहा नहीं जा सकता? बस दुख यही है कि वह कब चला गया, हम जान न पाए? रात तीन बजे उसके कमरे में गया। वह खर्राटे ले रहा था। मैं उसे हिलाया नहीं कि नींद खराब न हो। वह उसी करवट लेटे-लेटे चला गया था। हम उसे 12 बजे उठाने की कोशिश में जान पाए कि उसका शरीर तो अकड़ गया है।

इस अपार दुख के बावजूद वह शैलेन्द्र सागर जी से पूछ रहे थे, कथाक्रम कब है? परसो न? कीजिए आप लोग। कार्यक्रम चलते रहने चाहिए।

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दुख सहने का अदम्य साहस।

Vishnu Nagar-

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अभी खबर मिली कि नरेश सक्सेना जी के पुत्र राघव नरेश नहीं रहे। यह एक पर एक, एक पर एक हादसे होते ही जा रहे हैं। कैसे संभालें खुद को! कितनी बुरी गुजर रही होगी नरेश जी पर और कुछ कर नहीं सकते। बहुत भयानक समय है यह। कोई लखनऊ में नरेश जी को दिलासा दिलाए। किसी तरह उन्होंने अपना मन कुछ और रचनात्मक करने में लगाया था।इस उम्र में यह सब सहना बहुत कठिन है।

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