भारत सरकार और भारतीय रेलवे की ओर से नई तकनीक के साथ भ्रष्टाचार रोकने व यात्रियों को सुविधाएं देने का समय समय पर दावा किया जाता है। इसी कड़ी में इंडियन रेलवे केटरिंग एण्ड टयूरिस्म कारपोरेMन (आई.आर.सी.टी.सी) द्वारा गत वर्ष एक ही दिन में 5 लाख 80 हजार टिकटें आरक्षित करने का रिकार्ड कायम किया गया था। हाल ही में यह रिर्काड 11 लाख पर पहुंच चुका है। परन्तु इसी साइट पर टिकट आरक्षित करने पर कई यात्रियों को लूट का भी शिकार होना पड़ता है।
गौरतलब है कि इस साइट पर बुक टिकट किसी कारण वश अगर गाड़ी प्रस्थान से केवल छः घंटे पहले की अवधि में निरस्त होता है तो टिकट सीधे निरस्त करने की बजाय यात्री को इसी साइट पर टी.डी.आर भरना पड़ता है। अर्थात आई.आर.सी.टी.सी यात्री का टिकट निरस्त करने का निवेदन रेलवे को भेजता है। अगर रेलवे यह पुष्टि करता है कि उक्त यात्री ने यात्रा नहीं की, जोकि अंततः टी.टी.ई की रिर्पोट पर आधारित होता है तो यात्री का पैसा तय कटौती के बाद लौटा दिया जाता है।
मान लें टी.टी.ई किसी अनारक्षित यात्री से दो नम्बर में पैसे लेकर वही आरक्षित सीट दे देता है, जिस पर आरक्षित यात्री नहीं आया और चार्ट में असली यात्री को ही यात्रा करते दिखा देता है तो असली यात्री को आई.आर.सी.टी.सी यह मान कर पैसा लौटाने से मना कर देता है कि रेलवे के मुताबिक उसने यात्रा की है। दूसरे शब्दों में रेलवे के अनुसार वह यात्री झूठा दावा कर रहा है। अर्थात एक तो लुटाई, ऊपर से झूठा होने का इल्जाम। इस घटनाक्रम को मैं दो बार भुगत चुका हूं। 31 जनवरी को मुझे शिमला में कुछ व्यक्तिगत कार्य था। अतः मैने 1 व 2 जनवरी दोनों दिन की 19718 चंडीगढ़-जयपुर एक्सप्रेस में चंडीगढ़ से रिवाड़ी की टिकटें आरक्षित कीं। ताकि अगर 31 को काम पूरा हो गया तो एक को सुबह शिमला से चंडीगढ़ बस में आकर चंडीगढ़ से रिवाड़ी इस गाड़ी से आ सकूंगा। अगर एक को शिमला में ही रूकना पड़े तो एक जनवरी का टिकट निरस्त करवा कर दो जनवरी के इसी गाड़ी में आरक्षित टिकट का लाभ उठा सकूंगा।
एक को मुझे शिमला में ही रूकना पड़ा। अतः मैंने एक जनवरी दोपहर 1.30 वजे शिमला के एक साइबर कैफे से इस टिकट को निरस्त करने के लिए टी.डी.आर फाईल कर दिया। 2 जनवरी को प्रातः 7 वजे शिमला से बस में चलकर 12.45 दोपहर को चलने वाली चंडीगढ़ -जयपुर एक्सप्रेस द्वारा चंडीगढ़ से रिवाड़ी की यात्रा की। परन्तु आई.आर.सी.टी.सी ने कुछ दिन बाद इस तर्क के साथ मेरा पैसा लौटाने से मना कर दिया कि मैंने एक जनवरी को भी यात्रा की है।
सवाल उठता है कि जब मैं एक जनवरी को चंडीगढ़ से गाड़ी चलने के 45 मिनट बाद वहां से 110 कि.मी. दूर शिमला के आई.पी. पते से टिकट निरस्त कर रहा हूं। मेरे मोबाइल की लोकेशन अगले दिन सुबह तक शिमला में ही मिलेगी। तीसरे मैं फोटो युक्त पहचान पत्र से उसी समय शिमला के होटल/धर्मशाला में रूकता हूं। जिसके सबूत मिल सकते हैं। तो रेल विभाग उसी समय मेरे गाड़ी में यात्रा करने की पुष्टि कैसे करता है, जिस समय मेरे शिमला में होने के सबूत पर सबूत हैं। उल्टा मेरे दावे को झूठा बता कर मेरे पैसे भी नहीं लौटा रहा।
रेलवे के अनुसार मैंने एक और दो जनवरी दोनो दिन चंडीगढ़ से रिवाड़ी यात्रा की। यह कैसे हो सकता है ? और अधिक जानकारी जुटाने पर पता चला कि ऐसे असंख्य यात्री हैं जो इस तरह के भ्रष्टाचार से शिकार हो रहे हैं परन्तु उचित मंच न मिलने, समय की कमी व पचड़े में न पड़ने के कारण इस लूट के खिलाफ आवाज़ नहीं उठ रही है। क्या मोदी सरकार या रेल मंत्री या रेलवे के किसी उच्चाधिकारी से इस गंभीर मसले पर ध्यान देने की उम्मीद की जा सकती है?
लेखक संजीव सिंह ठाकुर से संपर्क 09812169875 के जरिए किया जा सकता है.
sanjeev singh
April 9, 2015 at 12:43 pm
Manish ji, Shukriya.
मनीष
April 7, 2015 at 3:45 pm
यदि यह सच है तो आपको कंज्यूमर फोरम में जाना चाहिए, क्योंकि आपके अनुसार आपके पास पर्यप्त सबूत हैं…..