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मजीठिया : सुप्रीम कोर्ट ने सही नब्ज पकड़ा है, यूपी-उत्तराखंड वालों के लिए आखिरी मौका, जानिए कैसे किया जाता है क्लेम

शशिकांत सिंह

मजीठिया वेज बोर्ड मामले में 19 जुलाई को माननीय सुप्रीमकोर्ट के आदेश से देश भर के बेईमान श्रम आयुक्तों का उल्टा लटकना तय है। कितनी बार श्रम आयुक्तों को माननीय सुप्रीमकोर्ट ने साफ़ निर्देश दिया था कि आप स्टेटस रिपोर्ट भेजें। स्टेटस रिपोर्ट भेजी भी गयी श्रम आयुक्त कार्यालयों द्वारा लेकिन वही ढाक के तीन पात। दो-दो बार रिपोर्ट भेजी गयी लेकिन हर बार आंकड़ों का खेल किया गया। हर बार उल्टे आंकड़े दिए गए।

शशिकांत सिंह

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मजीठिया वेज बोर्ड मामले में 19 जुलाई को माननीय सुप्रीमकोर्ट के आदेश से देश भर के बेईमान श्रम आयुक्तों का उल्टा लटकना तय है। कितनी बार श्रम आयुक्तों को माननीय सुप्रीमकोर्ट ने साफ़ निर्देश दिया था कि आप स्टेटस रिपोर्ट भेजें। स्टेटस रिपोर्ट भेजी भी गयी श्रम आयुक्त कार्यालयों द्वारा लेकिन वही ढाक के तीन पात। दो-दो बार रिपोर्ट भेजी गयी लेकिन हर बार आंकड़ों का खेल किया गया। हर बार उल्टे आंकड़े दिए गए।

एक बार एक समाचार पत्र में 600 कर्मचारी और अगली बार उसी समाचार पत्र में सिर्फ 200 कर्मचारी। ऐसे ही आकड़ों के खेल और रिपोर्ट भेजने में हुए फर्जीवाड़े से गुस्साए माननीय सुप्रीमकोर्ट ने अब पांच-पांच राज्यों के श्रम आयुक्तों को बुलाने का फैसला किया है। 23 अगस्त को यूपी उत्तराखंड और नार्थ इस्ट के तीन प्रदेशों समेत कुल पांच प्रदेशों के श्रमायुक्तों को तलब किया है। आगे भी पांच-पांच करके दूसरे सभी प्रदेशों के श्रम आयुक्तों को तलब किया जायेगा। अब अगर इन श्रम आयुक्तों को सुप्रीमकोर्ट ने फटकार लगा दिया है तो ये अपनी नौकरी बचाने के लिए ईमानदारी से समाचारपत्र कर्मियों का साथ देंगे। अगर ऐसा नहीं हुआ तो उन्हें जेल भी जाना पड़ सकता है।

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जिन समाचारपत्र कर्मियों ने अब तक अपनी शिकायत सुप्रीमकोर्ट या श्रमायुक्त कार्यालय में नहीं लगाया है वे अब जरूर लगाएं क्योंकि श्रम आयुक्त पूरी रिपोर्ट लेकर ही माननीय सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। आधी रिपोर्ट लेकर जाने की उनकी हिम्मत भी नहीं पड़ेगी। जिन लोगों का ट्रांसफर दूसरे राज्यों में हुआ है वे वहाँ चाहें तो ज्वाइन करें और जिस राज्य में ट्रान्सफर किया गया है वहाँ जाकर वहाँ के श्रम आयुक्त कार्यालय में शिकायत करें।

लोहा गरम है, मारिए हथौड़ा

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दोस्तों, आपको बता दूं कुछ दिन पहले सुप्रीमकोर्ट में इस मामले में पत्रकारों के एडवोकेट उमेश शर्मा जी ने चीफ सेक्रेटरी के नाम एक लेटर भी भड़ास पर जारी किया था। आप उसे भरें और उसकी एक कॉपी श्रम आयुक्त को भी भेजें। इस पत्र में साफ़ लिखा गया है कि अगर मजीठिया मामले में माननीय सुप्रीमकोर्ट के आदेश का पालन नहीं हुआ तो राज्य के चीफ सेक्रेटरी और श्रम आयुक्त के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट की अवमानना का मामला दाखिल कराया जायेगा। महाराष्ट्र में मेरे परिचित 7 साथियों ने उमेश शर्मा जी के इस पत्र को भरकर राज्य के चीफ सेक्रेटरी और श्रम आयुक्त को मेल और स्पीड पोस्ट से भेजा। चीफ सेक्रेटरी ने इस पत्र पर तुरंत कार्रवाई का आदेश सम्बंधित विभाग को भेजा और शिकायतकर्ताओं को मेल से अवगत भी कराया। साथियों एक बार फिर कहूँगा, लोहा गरम है, मार दो हथौड़ा। आप सिर्फ क्लेम कीजिये और चीफ सेक्रेटरी व श्रम आयुक्त को वार्निग लेटर भेजिए।

कैसे करें क्लेम

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क्लेम करने के मामले में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मीडियाकर्मियों के लिए अब आखिरी मौका है। 23 अगस्त को इन दो राज्यों के श्रमायुक्तों को सुप्रीम कोर्ट ने तलब किया है। इसके पहले ही इन राज्यों के बाकी बचे मीडियाकर्मियों को भी क्लेम फाइल कर देना चाहिए ताकि लेबर डिपार्टमेंट सक्रिय होकर उन्हें लाखों रुपये का उनका हक एरियर आदि दिला सके। मजीठिया वेज बोर्ड मामले में अब भी कई साथी क्लेम करना चाहते हैं। वे जानना चाहते हैं क्लेम कैसे करें। आपको आसानी हो, इसके लिए बता रहा हूँ।

प्वाइंट एक : आप अपनी कंपनी का 2007-8, 8-9 और 9-10 का टर्नओवर निकलवायें। ये टर्नओवर, अगर आपकी कंपनी शेयर मार्किट में लिस्टेड है, जैसे डी बी कोर्प, तो आपको सेबी की साइट से इसकी जानकारी मिल जायेगी। नहीं लिस्टेड है तो आप किसी सीए की मदद लीजिये। आपकी कंपनी का पैन और टिन नंबर आपको मिलने वाले फ़ार्म16 में होगा। इसमे ये देखिये की आपकी कम्पनी की और कितनी कंपनियां उस समय तक थीं और बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर में कौन-कौन था। एक ही छत के नीचे या आसपास के शहरों में एक ही मालिक की कई कम्पनियाँ हैं तो उन्हें एकल इकाई ही माना जायेगा।

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प्वाइंट दो : टर्नओवर निकालने के बाद आप देखिये कि आपकी कंपनी कौन-सी ग्रेड में है। उसके बाद किसी सीए को अपना 2008 से अब तक का हर साल का एक-एक सेलरी स्लिप दिखाइए।

प्वाइंट तीन :  सीए को बोलिये 2008 से 2010 तक के पेमेंट पर मजीठिया वेज बोर्ड के मुताबिक़ 30 प्रतिशत अंतरिम राहत लगाए। 11 नवम्बर 2011 से अब तक का मजीठिया वेज बोर्ड के मुताबिक़ एरियर लगाए। अंतरिम और एरियर दोनों पर ब्याज भी लगवाएं। उसके बाद अपना वेतन निधारित करवा लें।

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सीए का काम होने के बाद उनसे मुहर लगवा लें। इसे फोटोस्टेट कराएं और एडवोकेट उमेश सर से या किसी वकील से मिलकर एक क्लेम फ़ार्म तैयार कराएं और श्रम आयुक्त कार्यालय व सुप्रीमकोर्ट में क्लेम करवायें। इस क्लेम में अगर आप 10 साल से ज्यादा समय से एक ही प्रतिष्ठान में काम कर रहे हैं तो एक प्रमोशन और 20 साल से काम कर रहे हैं तो 2 प्रमोशन की भी डिमांड करें।

मुंबई के पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट शशिकांत सिंह से संपर्क 9322411335 के जरिए किया जा सकता है.

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0 Comments

  1. vijay kumar gupta

    July 22, 2016 at 3:54 am

    (यूनीवार्ता – यू एन आई कांड)

    गुप्ता जी अशोक टुटेजा का कहना है। हम पुरी नहीं तो आधी सैलरी का प्रयास तो कर ही रहे है।

    और सुना है। पैसा है पर देना नहीं चाहते। और एकाऊंट में वासुदेव बदला हुआ नाम ने फर्म हाऊस खरीदा है। और उसके कई फ्लैट है। और बेटी या बेटे की शादी भी युएनआई के पैसे से की है। और साल में किताब निकलती है1 उसका एक करोड़ रूपया आया था वह पतानहीं कहां गया ।और 165ग्राहक पत्र नये है। उनसे तीन तीन महीने का एडवांस लिया वह पैसा कहां गया और यूएनआई काम्पाऊंड के अंदर दो मोबाइल टावर लगाये गये है उनका पैसा कहा जा रहा है। सोसाइटी का इन्टरेस वह अभी आज नहीं मिला लगता हे। यह सब पैसा ऐ सब जितने भी बड़े है। सब मिल बाट के खा रहे हैं।
    और कहते हैं। जब रेडियों से चेक आयेगा तो सैलरी मिलेगी। यहां पर घपला बहुत हे रहा है। पर कोई बोलता नहीं है। यहां पर इन लोगों का बोलबाता है। और जिसने भी बोला उसका ट्रासफर का डर बैठा रहा हे। इसलिए कोई बोलता नहीं है।

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