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जब इतिहास बदला जा रहा है तब एक किताब मिली-‘ सेविंग इंडिया फ्रॉम इंदिरा’

संजय कुमार सिंह-

भारत को इंदिरा गांधी से बचाने की कहानी उनकी हत्या के 35 साल बाद आई और यह किताब इस उम्मीद में लिखी गई है कि कोई “मैं, भारत का स्वामी” न बन जाए। कहने की जरूरत नहीं है उन्हीं दिनों पुलवामा हादसा हुआ था और उसका चुनावी उपयोग भी। उसकी कहानी अब आई है और पूछा जा रहा है कि तब क्यों नहीं कहा।

पढ़ने के लिए कुछ दिलचस्प ढूंढ़ते हुए एक किताब दिखी, सेविंग इंडिया फ्रॉम इंदिरा। इसे इमरजेंसी की अनकही कहानी बताया गया है और यह जेपी गोयल के स्मरण हैं। इसे उनकी बेटी रमा गोयल ने संपादित किया है। मेघनाद देसाई ने इसे पुस्तकों में एक रत्न कहा है और बताया है कि भारत की जनता को इंदिरा गांधी से बचाने के लिए जेपी गोयल (लेखक) और उनके अधिवक्ता मित्रों ने इलाहाबाद हाई कोर्ट तथा सुप्रीम कोर्ट में जो मुश्किल और लंबी लड़ाई लड़ी उसका विस्तृत विवरण इसमें है। पुस्तक के अनुसार मेघनाद देसाई हाउस ऑफ लॉर्ड्स ऑफ दि यूनाइटेड किंगडम के सदस्य हैं (8 जुलाई 2018 की स्थिति के अनुसार) और लंदन स्कूल ऑफ इकनोमिक्स में अर्थशास्त्र के एमेरिटस प्रोफेसर हैं।

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पुस्तक के लेखक अधिवक्ता जगदीश प्रसाद गोयल (1926-2013) राज्यसभा के भी सदस्य थे और 1960 से राज नारायण के वकील थे। आप सोशलिस्ट पार्टी, भारतीय लोक दल और जनता पार्टी के सदस्य थे और जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में स्थायी आमंत्रित थे तथा लोकदल की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के कोषाध्यक्ष तथा सदस्य के रूप में काम किया। 695 रुपये की इस पुस्तक की कॉपीराइट रमा गोयल के पास 2019 से है। 2023 में इसका तीसरा इंप्रेशन (संस्करण) आया है। प्रकाशक रुपा पबलिकेशंस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड है। इससे जाहिर है कि श्री गोयल के निधन के छह साल बाद यह किताब प्रकाशित हुई है और उस इंदिरा गांधी के बारे में है जिनकी हत्या 31 अक्तूबर 1984 को हो गई थी। लगभग 35 साल बाद। 

पुस्तक हम भारत के लोग विशेषकर जेपी गोयल के पौत्रों शिवम और ऋषभ तथा भारत की भविष्य की पीढ़ियों को इस उम्मीद में समर्पित है कि कोई कभी, मैं भारत का स्वामी न बन जाए। कहने की जरूरत नहीं है कि पुस्तक के प्रकाशन से पहले इंदिरा गांधी समेत उनके पुत्रों की मौत हो चुकी थी। एक की विधवा बेटे के साथ सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी में हैं। दूसरी बहू, सोनिया गांधी बड़े बेटे और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की विधवा हैं और उनकी हत्या के बाद प्रधानमंत्री की कुर्सी तक लगभग पहुंच चुकी थीं और उन्हें कैसे वह सर्वोच्च पद संभालने से रोका गया था वह देश देख चुका था। यह भी स्पष्ट था कि राहुल गांधी उस समय बच्चे नहीं थे और चाहते तो लपक कर बैठ सकते थे पर उन्होंने भी ऐसा नहीं किया। 

ऐसे में मैं, भारत का स्वामी की कल्पना (या डर) फैलाने का काम इस तथ्य के बावजूद किया गया है कि अटल बिहारी वाजपेयी के मंत्रिमंडल में ही विनिवेश मंत्रालय भी होता था लोकतंत्र के महान रक्षक और मशहूर पत्रकार अरुण शौरी वह मंत्रालय संभाल चुके थे। इन तथ्यों के साथ अब आपको बताऊं कि इस पुस्तक की भूमिका लिखने वालों में दूसरे, पूर्व वित्त मंत्री (अब दिवंगत) अरुण जेटली हैं। उनकी भूमिका 29 जून 2018 की लिखी हुई है। तब उनके नेतृत्व में नोटबंदी हो चुकी थी। अरुण जेटली ने लिखा है और यह पुस्तक के कवर पर सबसे ऊपर छपा है कि जेपी गोयल न सिर्फ इतिहास के गवाह हैं बल्कि इसके निर्माण के सक्रिय भागीदार हैं। नोटबंदी का इतिहास अरुण जेटली के बिना पूरा नहीं होगा। 

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पुस्तक की संपादक रमा गोयल ने आभार व्यक्त करने की शुरुआत करते हुए लिखा है कि इस पुस्तक के प्रकाशन का सुझाव देने वाले मित्र अनाम रहना चाहते हैं जिन्होंने उन्हें इस पुस्तक के प्रकाशन के लिए प्रेरित किया और कई मूल्यवान सुझाव दिए। उनके प्रोत्साहन और समर्थन के बिना यह प्रकाशन शायद संभव नहीं हुआ होता। रमा गोयल एक अर्थशास्त्री और संपादक हैं। आपने इंडियन कौंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकनोमिक रिलेशंस (आईसीआरआईईआर), ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन, इंस्टीट्यूट ऑफ अप्लायड मैनपावर रिसर्च और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस आदि के लिए काम किया है। 

पुस्तक में दिये उनके परिचय के अनुसार वे एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) और यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम (यूएनडीपी) के लिए कंसलटैंट भी रह चुकी हैं। आप फाइनेंशियल एक्सप्रेस की कंसलटिंग एडिटर और सेंट स्टीफेंस कॉलेज दिल्ली में इकनोमिक्स की लेक्चरर रह चुकी है। पुस्तक के फ्लैप पर बताया गया है कि पुस्तक में जो विवरण है वह जेल में जय प्रकाश नारायण और राजनारायण से लेखक की मुलाकात का विवरण भी है जो अभी तक अनजाने कई तथ्यों का खुलासा करता है। पुस्तक का लंबा प्राक्कथन भी रमा गोयल का ही लिखा हुआ है और इसपर 19 अप्रैल 2019 की तारीख है। तब तक पुलवामा हादसा और चुनाव में उसका उपयोग हो चुका था। 

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आभार से पता चलता है कि जयप्रकाश नारायण को चंडीगढ़ जेल में रखा गया था और तब चंडीगढ़ जेल के आईजी रहे एमजी देवसहायम की पुस्तक, जेपी इन जेल: एन अनसेंसर्ड अकाउंट (2006) में आई थी और इस पुस्तक से रमा गोयल को अपनी पुस्तक के लिए महत्वपूर्ण जानकारियों की पुष्टि करने में मदद मिली तथा कुछ महत्वपूर्ण स्पष्टीकरण मिले। जेपी पर 2006 में आई इस किताब की जानकारी मुझे नहीं थी और कहने की जरूरत नहीं है कि जेपी का निधन 1979 में हो गया था और यह पुस्तक उनके निधन के 26 साल बाद आई थी। संभवतः लेखक नौकरी में रहे होंगे और रिटायरमेंट के बाद पुस्तक लिखी होगी। अब मैं उसे ढूंढ़ता हूं। अगर किसी के पास हो तो मुझे चाहिए। अगर वापस चाहिए तो पढ़कर लौटा दूंगा।

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1 Comment

1 Comment

  1. sanjeev malik

    April 24, 2023 at 7:40 pm

    Book is availabe online.

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