कभी आगरा में धमाकेदार लांचिंग के कारण प्रसिद्ध हुआ हिन्दी डेली द सी एक्सप्रेस में संकट पर संकट चल रहे हैं। पत्रकारों को पिछले चार माह से तनख्वाह नहीं मिली है। जो तनख्वाह की मांग करता है, उसका हिसाब करने की धमकी देते हुए इस्तीफा मांगा जाता है। जब इस्तीफा दे देता है, तो उससे कहा जाता है कि दस दिन में पूरा भुगतान हो जाएगा। वे दस दिन कभी नहीं आते हैं। तनख्यवाह न िमलने के कारण नौकरी छोड़कर गए एक दर्जन पत्रकारों और गैर पत्रकारों को अभी तक हिसाब नहीं हुआ है। वे चक्कर लगाकर और फोन करके थक चुके हैं।
इनमें प्रमुख हैं सिद्धार्थ चतुर्वेदी, वीर प्रताप सिंह, अनूप चौधरी, सौरभ कुमार यादव, रवि भारद्वाज, रिषभ कुमार जैन (पेजीनेटर इंचार्ज), दीपक शर्मा, वीरेन्दर सिंह, कृष्णमुरारी सिंह, नवमेन्द्र प्रताप, सुनीता, कपिल खान, आदि को वेतन नहीं दिया गया है। इनमें से कुछ को तो 9-10 महीने हो चुके हैं। मैनेजमेंट वेतन नहीं दे रहा है। जो पत्रकार और गैर पत्रकार काम कर रहे हैं, उन्हें तीन महीने बाद चौथे महीने में तनख्वाह के चेक दिए गए। ये चेक बाउंस हो चुके हैं।
रिपोर्टरों और फोटोग्राफरों पर विज्ञापन का भारी दबाव है। प्रत्येक रिपोर्टर और फोटोग्राफर को टारगेट दिए गए हैं। वह टारगेट पूरा नहीं करता है, तो उसकी क्लास लगाई जाती है। मीटिंग में बेइज्जत किया जाता है। मैनेजमेंट का मानना है कि फोटोग्राफर और रिपोर्टर फील़्ड से पैसे कमाते हैं, इसी कारण बिना तनख्वाह के काम कर रहे हैं। मैनेजमेंट का तर्क है कि अगर पत्रकार फील्ड से पैसे नहीं कमा रहे हैं, तो बिना तनख्वाह के घर का खर्च कैसे चला रहे हैं और नौकरी क्यों कर रहे हैं। तनख्वाह न मिलने के कारण कर्मचारी जार-जार रो रहे हैं। उनकी कोई सुनने वाला नहीं है। तनख्वाह के लिए कई बार काम ठप किया जा चुका है। इसका भी कोई असर नहीं है। विज्ञापन के लिए रिपोर्टर और फोटोग्राफर नेताओं के सामने रिरियाते घूम रहे हैं। नेताओं ने फोन तक उठाने बंद कर दिए हैं।
Comments on “द सी एक्सप्रेस के पत्रकारों और गैर-पत्रकारों को चार माह से तनख्वाह नहीं मिली, सेलरी चेक हो गए बाउंस”
पहली बात तो यह खबर गलत हैं की सी एक्सप्रेस चल रहा हैं यानी वह कब का बंद हो चूका हैं और सिर्फ फ़ाइल कापी चल रही हैं व कापी पेस्ट पर अखबार डी एल ए से व अन्य माध्यमों से चल रहा हैं। रही बात दलाली की तो सी एक्सप्रेस से दलाली नहीं की जा सकती क्योंकि आगरा में अमर उजाला तक को प्रसाशनिक लोग तवज्जो नहीं देते हैं वह बात अलग हैं जब किसी अधिकारी की गोट फस जाए तब वह आपको सलाम कर दे और आपका एकाध काम कर दे। चूंकि सी एक्सप्रेस के मालिकानो का भाई विवेक जैन खुद दलाल किस्म का रहा हैं इसलिए वह ऐसा समझता हैं लेकिन अब मार्केट में बदलाब आ चूका हैं आज वह भी दलाली अपने अखबार के माध्यम से करने में अक्षम हैं . रिपोर्टर की जरुरत मार्केट से विज्ञापन लाने की होती हैं ऐसे अखबारों में नाकि कलम चलाने की। इसलिए इसमें कोई बुराई नहीं हैं