मनोज मनु नहीं दे रहे मेरा बकाया पैसा… सहारा समय के टीवी जर्नलिस्ट ने लिखा गौतम सरकार को पत्र

गौतम सरकार सर नमस्कार मेरा नाम तहसीन ज़ैदी है.. मैंने सहारा समय में साल 2003 से साल 2015 तक रहकर भोपाल, रायपुर, चंडीगढ़ और जयपुर में कोर्डिनेटर से लेकर ब्यूरो चीफ तक के पद पर पूरे 14 साल सेवा की है… मैं कंपनी को आधी सैलरी मिलने के बावजूद छोड़ना नहीं चाह रहा था लेकिन …

‘प्रतिनिधि’ न्यूज चैनल में सेलरी के लिए बवाल, एडिटर इन चीफ घिरे, पुलिस आई (देखें वीडियो)

‘प्रतिनिधि’ न्यूज चैनल वैसे तो दिन भर उपदेश देता रहता है, नैतिकता पिलाता रहता है, सिस्टम ठीक करने के लिए कमर कसे दिखता रहता है लेकिन बात जब खुद के चैनल के भीतर शोषण की आती है तो यहां भी हाल बाकियों जैसा ही दिखता है. खबर है कि इस चैनल के इंप्लाई कई महीने से बिना सेलरी काम कर रहे हैं. एक रोज उनका धैर्य जवाब दे गया. कहा जा रहा है कि चैनल के एडिटर इन चीफ जब बिना सैलरी दिए सामान लेकर जा रहे थे तो कर्मचारियों ने उन्हें रोक लिया और खुद के बकाया पैसे की बात की.

सपा के हारने से ‘इंडिया वायस’ चैनल का बुरा हाल, छंटनी और सेलरी संकट का दौर

इंडिया वायस चैनल से दुखद खबर आ रही है कि यहां के इंप्लाइज को दो महीने से सेलरी नहीं दी गई है. चर्चा है कि यह चैनल जल्द ही बंद हो जाएगा. खासकर यूपी में सपा के हारने से इस चैनल के संचालन को धक्का लगा है. सेलरी न दिए जाने से बार बार सेलरी के बारे में पूछ रहे मीडियाकर्मियों से चैनल का एचआर हेड अमिताभ ज्योर्तिमय बदतमीजी करने लगा है.

‘जिया इंडिया’ मैग्जीन के बुरे दिन, मीडियाकर्मियों को तीन महीने से वेतन नहीं

पिछले दिनों पत्रकार एसएन विनोद के नेतृत्व में ‘जिया इंडिया’ नामक एक राष्ट्रीय हिंदी मैग्जीन लांच हुई थी. इस मैग्जीन को लांच करने से पहले जिया न्यूज नामक चैनल को बंद कर सैकड़ों मीडियाकर्मियों को पैदल कर दिया गया था. उन्हीं विवादों और आरोपों के बीच जिया इंडिया नामक मैग्जीन लांच हुई थी. अब खबर है कि जिया न्यूज की तरह हाल जिया इंडिया का भी होने जा रहा है. तीन-तीन महीने से यहां सेलरी नहीं मिली है. पत्रकारों का हाल बेहाल है.

वेतन न मिलने से सहारा मीडिया के कर्मचारी भुखमरी के कगार पर

वेतन न मिलने से सहारा मीडिया के कर्मचारी भुखमरी के कगार पर आ गये हैं। लगभग एक सप्ताह पहले एजेडब्लू (इनका अपना कैडर है) से लेकर जूनियर एग्जकिवटिव तक के कर्मचारियों को पे स्लिप दे दी गई लेकिन वेतन आजतक नहीं मिला…. संपादक, मैनेजर, एकाउन्ट और एचआर हेड रोज कर्मचारियों को गोली पर गोली दिये जा रहे है… हर कर्मचारी अपने खर्च में कटौती कर रहा है… हर कर्मचारी कर्ज मे गले तक डूब गया है…

द सी एक्सप्रेस के पत्रकारों और गैर-पत्रकारों को चार माह से तनख्वाह नहीं मिली, सेलरी चेक हो गए बाउंस

कभी आगरा में धमाकेदार लांचिंग के कारण प्रसिद्ध हुआ हिन्दी डेली द सी एक्सप्रेस में संकट पर संकट चल रहे हैं। पत्रकारों को पिछले चार माह से तनख्वाह नहीं मिली है। जो तनख्वाह की मांग करता है, उसका हिसाब करने की धमकी देते हुए इस्तीफा मांगा जाता है। जब इस्तीफा दे देता है, तो उससे कहा जाता है कि दस दिन में पूरा भुगतान हो जाएगा। वे दस दिन कभी नहीं आते हैं।  तनख्यवाह न िमलने के कारण नौकरी छोड़कर गए एक दर्जन पत्रकारों और गैर पत्रकारों को अभी तक हिसाब नहीं हुआ है। वे चक्कर लगाकर और फोन करके थक चुके हैं।

श्रीन्यूज : ‘चेहरा पहचानो’ जैसे विज्ञापन से दर्शकों को ठग रहा, सेलरी के लिए एमसीआर वालों ने हड़ताल कर दी

पिछले कई महीनों से अपनी माली हालत खराब होने की दुहाई दे रहा श्री न्यूज चैनल इन दिनों धड़ल्ले से विज्ञापनों को दिखा रहा है. श्री न्यूज अब विज्ञापन चैनल बन गया है.  विज्ञापन भी बहुत घटिया और ठगी करने वाले दिखाए जा रहे हैं. ‘चेहरा पहचानो’ जैसे विज्ञापन के जरिए चैनल के दर्शकों को ठगा जा रहा है. ‘चेहरा पहचानो’ के जरिए ठगी के शिकार होने की आए दिन लोग शिकायत करते रहते हैं.

नेशनल दुनिया जयपुर में सेलरी संकट, काम बंद करने की तैयारी

नेशनल दुनिया अखबार के सभी संस्करणों में वेतन का संकट खड़ा हो गया है. दिल्ली, उत्तर प्रदेश और जयपुर में पत्रकारों और अन्य मीडिया कर्मियों को दो महीने से वेतन नहीं मिला है. दिल्ली और उत्तर प्रदेश के संस्करणों में पहले से ही सेलरी कई-कई महीने देरी से मिल रही है. अब जयपुर संस्करण में भी यह समस्या शुरू हो गई है. जयपुर में नवंबर महीने की तनख्वाह अभी तक नहीं मिली है, इधर दिसंबर भी बीतने जा रहा है.

वॉयस ऑफ मूवमेंट लखनऊ संस्करण में कर्मचारियों को तीन महीने से वेतन नहीं मिला

लखनऊ। वॉयस ऑफ मूवमेंट लखनऊ संस्करण में कर्मचारियों को तीन महीने से वेतन नहीं मिला है। इससे कर्मचारियों को जीविका के लाले पड़े हैं। वहीं अखबार के मालिक प्रखर प्रताप सिंह कर्मचारियों को हर दिन हर सप्ताह गोली पर गोली टिका देते हैं। अखबार शुरु हुए मात्र चार साल होने को हैं, लेकिन किसी माह भी समय पर वेतन नहीं दिया जाता है। कर्मचारियों को हर माह वेतन के नाम पर टरका दिया जाता है और ज्यादा जोर दबाव पडऩे पर वेतन का चेक थमा दिया जाता है।

जिस दफ्तर से कैश 137 करोड़ मिले वहीं के कर्मचारियों को तंगी के नाम पर वेतन नहीं मिल रहा

Girijesh Vashistha : सहारा के दफ्तर से 137 करोड़ मिलते हैं लेकिन उसी सहारा के दफ्तर में पिछले कुछ महीनों से पैसे की तंगी के नाम पर लोगों को वेतन नहीं मिल रहा। श्री न्यूज बड़े बड़े अवार्ड फंक्शन करता है। वहां के मालिक सिर्फ अपनी इमेज बनाने के लिए करोड़ों खर्च करते हैं। कर्मचारियों का वेतन वहां भी वक्त से नहीं मिलता। ये दो सिर्फ उदाहरण भर हैं। मेरी समझ में नहीं आता समय पर वेतन न देने को इतना हल्के में क्यों लिया जाता है। इसे संज्ञेय अपराध क्यों नहीं बनाया जाता।

‘पी7 न्यूज’ के निदेशक केसर सिंह को हड़ताली कर्मियों ने बंधक बनाया, चैनल पर चला दी सेलरी संकट की खबर

कई महीनों से सेलरी के लिए लड़ाई लड़ रहे पीएसीएल / पर्ल समूह के न्यूज चैनल पी7 न्यूज के हड़ताली कर्मचारियों के सब्र का बांध आज टूट गया. इन कर्मियों ने अपने ही चैनल पर सेलरी संकट की खबर चलाlते हुए चैनल का प्रसारण रोक दिया. साथ ही कई महीनों की बकाया सेलरी देने की मांग करते हुए चैनल के निदेशक केसर सिंह को उनके केबिन में ही बंधक बना लिया. कर्मचारियों का आरोप है कि केसर सिंह गुपचुप तरीके से चैनल बंद कर भागने और बकाया सेलरी हड़पने की फिराक में थे.

‘प्रदेश टुडे’ की हालत खस्ता!

धूम-धड़ाके के साथ कुछ साल पहले भोपाल से शुरू हुए अखबार ‘प्रदेश टुडे’ की हालत इन दिनों खस्ता है। बताते हैं कि अखबार में काम करने वाले पत्रकारों और कर्मचारियों को दो-दो महीने से वेतन भी नहीं मिला! भोपाल ही नहीं जबलपुर, ग्वालियर संस्करणों और ब्यूरो दफ्तरों में भी यही हालत है। इसका असर अखबार के स्तर पर भी दिखाई दे रहा है। हर दो-तीन महीनों में नेताओं और अभिनेताओं को इकट्ठा करके बड़ा लवाजमा करने वाले ‘प्रदेश टुडे’ के मालिक अभी भी इवेंट तो कर रहे हैं, पर पत्रकारों को वेतन नहीं दे रहे!

यूएनआई में सेलरी संकट, हालत बेहद दयनीय, एक दिसंबर को धरना-प्रदर्शन

संपादक, भड़ास4मीडिया, महोदय, UNI की दुर्दशा से आप भली भांति वाकिफ होंगे. इस मीडिया संस्थान में कार्यरत पत्रकार और गैर-पत्रकार  अत्यंत दयनीय स्थिति मैं हैं. विगत 14 महीने से तनख्वाह उन्हें नहीं दी गयी है. हर महीना सैलरी नहीं मिल रही. पत्रकारों का मनमाने तरीके से तबादला किया जा रहा है. वित्तीय संकट की स्थिति में स्थानान्तरण का बोझ पत्रकार सहन नहीं कर पा रहे हैं. उनके सामने भूखों मरने की नौबत आ गयी है. UNI में   उर्दू के जानेमाने पत्रकार अलमगीर साहब की 8-9 जून को हुई मौत इसका जीता जागता उदाहरण है.

भास्कर न्यूज : दो महीने की सेलरी की जगह ये 5000 रुपये लो और काम चलाओ

: भास्कर न्यूज में मैनेजमेंट और कर्मचारियों में सेलरी के लिए जंग : सही कहते हैं लोग की मीडिया कभी किसी का सगा नहीं होता। इस लाईन में आप कंपनी के प्रति भरोसा दिखाते है लेकिन जब कंपनी ही भरोसा तोड़ दें और वो भी उन कर्मचारियों के लिए  जो अपना काम पुरी लगन और ईमानदारी से करते हो। ऐसा ही कुछ भास्कर न्यूज में हुआ। हाल ही में भास्कर न्यूज नामक एक चैनल आया जिसने अपने आप को दैनिक भास्कर का सहयोगी बताया लेकिन अब धीर-धीरे सारे राज खुलने लगे। भास्कर न्यूज ना ही दैनिक भास्कर का हिस्सा है और ना ही अब इस चैनल के पास पैसा है कि वो अपने कर्मचारियों को सेलरी दे सकें।

जनसंदेश टाइम्स लखनऊ में छंटनी, बचे लोगों की सेलरी घटी, जीएम बोले- ”जाकर कहीं भीख मांग लो पर सेलरी मत मांगो”

जनसंदेश टाइम्स लखनऊ से 10 लोगों की छंटनी की गई है. ये सभी संपादकीय विभाग के हैं. जो लोग बच गए हैं उनकी सेलरी में 40 प्रतिशत की कमी कर दी गई है. ये सब कुछ अखबार के जीएम विनीत मौर्या के आदेश पर किया गया है. इसी अखबार से खबर है कि कुछ दिनों पहले डाक डेस्क पर कार्यरत उपेन्द्र राय ने जब जीएम विनीत मौर्या से अपने वेतन की बात की थी तो उस समय जीएम ने उन्हें ये कहते हुए अपने केबिन से निकाल दिया था कि ”जाओ कहीं सड़क पर जाकर भीख मांगो लेकिन मुझसे सेलरी मत मांगो”.

‘पी7न्यूज’ में रमन पांडेय समेत कई वरिष्ठों की नो इंट्री, चैनल की कमान उदय सिन्हा को

जब लुटिया डूबती है तो हर कोई इसके आगोश में आ जाता है।  कुछ ऐसा हाल इन दिनों पर्ल्स ग्रुप के चैनल “पी7” का है। खिसयानी बिल्ली खम्बा नोचे वाली कहावत के तहत पी7 चैनल का मैनेजमेंट अपने कर्मचारियों के साथ बदतमीजी पर उतारू है। आउटपुट हेड रमन पांडेय समेत कई लोगों की चैनल में नो एंट्री कर दी गयी है। पीएसीएल ग्रुप सेबी के शिकंजे में जबसे फंसा है तबसे इसके मीडिया वेंचर का बुरा हाल है। चैनल की आर्थिक स्थिति कई महीनों से खराब है और लगातार बिगड़ती जा रही है।  वक्त से सैलरी न मिल पाने के कारण चैनल के साथ जी जान से काम करने वाले कर्मचारी परेशान हैं।

विनोद शर्मा मय परिवार चुनाव हार चुके हैं, इसलिए दीपक तले अंधेरा छा रहा है…

Abhishek Srivastava : दिवाली पर अखबारों और चैनलों में पत्रकारों को मिलने वाली बख्‍शीश को लेकर कई दिलचस्‍प किस्‍से बनते हैं। मसलन, इस बार इंडिया न्‍यूज़ में जबरदस्‍त आक्रोश देखा जा रहा है। विनोद शर्मा मय परिवार चुनाव हार चुके हैं, लिहाजा 2 नवंबर बीतने के बाद भी यहां अब तक किसी को वेतन नहीं मिला है। दीपक तले अंधेरा छा रहा है और विनोद शर्मा का चुनाव चिन्ह ‘सिलेंडर’ ब्‍लास्‍ट करने वाला है क्‍योंकि दिवाली पर जो कथित इलेक्ट्रिक केतली सबको बख्‍शीश में दी गई है, उसमें पानी के अलावा कुछ नहीं बनाया जा सकता।

‘भास्कर न्यूज’ के कर्मियों को अब तक नहीं मिली सेलरी, पेमेंट न होने से बिजली भी कटी

‘भास्कर न्यूज’ नामक चैनल अस्तित्व में आने से पहले ही दम तोड़ता नजर आ रहा है. ताजी सूचना है कि पेमेंट न होने के कारण बिजली विभाग वालों ने चैनल की बिजली ही काट दी है. इससे कई दिनों से जनरेटर चलाकर चैनल का कामकाज हो रहा है.

श्री टाईम्स, लखनऊ के 30 पत्रकारों का दिपावली में निकला दिवाला

: लखनऊ के सैकड़ों पत्रकारों को पड़े वेतन के लाले :  लखनऊ। राजधानी लखनऊ में हिंदी अखबार श्री टाईम्स के पत्रकारों का दिपावली का दिवाला निकल गया है। यह श्री टाइम्स अखबार की ही हालत नहीं बल्कि श्री न्यूज चैनल की भी दुर्दशा है। पत्रकारों का पिछले तीन से चार माह तक की तनख्वाह बकाया है। मगर अफसोस की बात कि उन्हें दिपावली के शुभ अवसर पर भी उनकी खुशियों को प्रबंधन द्वारा फीका करने का काम किया गया है। श्री टाईम्स अखबार की हालत यह कि उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिला ब्यूरो कार्यालय पर ताला लग गया है।

विनोद शर्मा की हार के कारण बिना सेलरी मनी ‘आज समाज’ अखबार के कर्मियों की दिवाली

चंडीगढ़। आज समाज अखबार के कर्मचारियों के लिए विधानसभा चुनाव आफत बन गया। हालात ये रहे कि आज समाज अखबार के मालिक विनोद शर्मा अंबाला सीट से हारे तो पत्रकारों को दिवाली पर सेलरी तक नहीं मिल पाई। पूरे ग्रुप में इस बात को लेकर तरह तरह की बातें हुईं। सूत्रों की मानें तो कंपनी के आला अधिकारियों ने इस बारे में मैनेजमेंट से बात की तो उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिल पाया।

हेमलता अग्रवाल को मीडियाकर्मी दे रहे बददुवाएं, पैसा है नहीं तो चैनल काहें को ले आए?

कई लाला लोग ऐसे होते हैं जो केवल उगाही और साजिश के दम पर पैसा बटारने की ख्वाहिश रखते हैं और इसी मकड़जाल के सहारे अपना वेंचर आगे ला देते हैं. कुछ इन्हीं हालात में ‘भास्कर न्यूज‘ नामक चैनल आ रहा है जो आने को तो कई साल से आ रहा है लेकिन अभी तक टेस्ट सिगनल पर ही है. इस चैनल से खबर है कि यहां सेलरी संकट लगातार जारी है. इस चैनल में कार्यरत करीब सत्तर फीसदी लोगों को सेलरी नहीं मिली है.