Yashwant Singh : मेरे एफबी फ्रेंड लिस्ट में मौजूद पत्रकार निशांत राय ने पीएम के साथ सेल्फी की दो तस्वीरें अपने एफबी वॉल पर डाली हैं. मैंने उन्हें अनफ्रेंड किया और फिर ये कमेंट किया : ”मैं आपको अनफ्रेंड करता हूं. टीवी पर दिख रहा था कि सेल्फी के लिए लोग मरे जा रहे थे. शेम शेम. एक रचनात्मक दर्प व्यक्तित्व में नहीं हो तो फिर क्या कंटेंट और क्या मार्केटिंग. सब बराबर है. बाकी ये लिखा है आज के सेल्फीमार पत्रकारिता और प्रेस टी ट्यूट पत्रकारों पर. https://www.facebook.com/yashwantbhadas/posts/925675474184193
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Yashwant Singh : एगो अउर मिला है जो हमरे फ्रेंड लिस्ट में है और धक्का मुक्की खा खा के सेल्फियाने के बाद फोटउवा एफबी पर डाल के लंबी चैन की सांस लिहिस है. कहो तो उसको भी बेचैन किया जाए? उन पत्रकार महोदय के मोदी के साथ सेल्फी की सेलफिसनेस पर बतियाते हैं, फोटू सहित. और हां, नई खबर ये है कि जिन निशांत राय ने मोदी के साथ सेल्फी की फोटू डाली थी और हम सोशल मीडिया वाले लोगों ने उनकी ‘खबर’ अपने अंदाज में ली तो वो फोटू डिलीट कर भाग चुके हैं. इसे कहते हैं सोशल मीडिया की ताकत. अरे पत्रकारों, कुछ तो क्रिएटिव इगो, आत्म-अनुशासन, आत्म-संयम रखो जिसकी चर्चा बार बार करते हो कि तुम्हें रेगुलेट न किया जाए, तुम्हें सेल्फ रेगुलेशन आता है. बट कहां सेल्फ रेगुलेशन आज चला गया था जब मोदी ने थोड़ा स्ट्रेटजिकल स्पेस क्या तुम्हें दिया, तुम लोग लगे मोबाइल कपार पर रखकर दौड़ने हांफने पादने भागने.
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ये सेल्फीमार पत्रकार…. इन सबों को शर्म नहीं आती. ये गए थे दिवाली मिलन करने. लेकिन ये चाटुकारिता के चरम पर पहुंच गए. पत्रकारिता भूल चरणचोदन करने लगे…. हाय हाय सेल्फी… हाय हाय हाथ.. हाय हाय सलाम…. हद है ऐसे पत्रकारों पर.. अरे यार.. डीएम एसपी को खुश करने की पत्रकारिता करोगे तो अंतत: पीएम तुम्हें प्रभु ही लगेगा. किस हाथ मुंह से इनके खिलाफ खबर चलाओगे और जनता के पक्षधर कहलाओगे जो मीडिया का धर्म होता है…..
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मेरे मित्र Madan Tiwary ने मुझसे पूछा है: ”क्या सेल्फ़ी लेना, या पार्टी में सम्मान देना अपराध और पक्षपात कहलायेगा? तब तो शादी ब्याह या अन्य फंक्शन में उन्हें नही बुलाना चाहिए जिनसे वैचारिक मतभेद हो? पीएम से मीडिया की कोई निजी अदावत है क्या?’ इस पर मेरा जवाब उनको यूं हैं : ”पंडी जी, पहले तो आप की उलट वाणी को सलाम करता हूं. अब अपनी बात रखना चाहूंगा. लगता है आपने टीवी पर लाइव नहीं देखा. पत्रकार सेल्फी लेने के लिए मरे गिरे जा रहे थे. पीएम के सेक्चुरिटी वाले पसीने पसीने हो रहे थे. मोबाइल मोदी के मुंह में घुसने को बेताब थे. सेक्युरिटी वाले चुपके से पत्रकारों को धकिया के दाएं बाएं कर दे रहे थे. लेकिन दो धकियाए जाएं तो चार दांत चियारे मोबाइल कपार के उपर लादे घुसे जा रहे थे… अब इसके आगे मुझे कुछ नहीं वर्णन करना, सिवाय इसके कि अगर पत्रकार में रचनात्मक दर्प नहीं है तो क्या पत्रकार और क्या मार्केटियर. ये मसला सिर्फ मीडिया के एथिक्स से जुड़ा है. अगर हम पत्रकार खुद को संयमित अनुशासित नहीं रख सकते, ग्लैमर सत्ता आदि देखकर लबलबाने लगते हैं तो ये मीडिया के लिए खतरनाक ट्रेंड है. आप ग्लैमर व सत्ता आदि के चकाचौंध से जब मिचमिचिया जाएंगे तो क्या सोच पाएंगे और क्या लिख पाएंगे जन हित में. फिर तो लेखनी सिवाय तेल लेपन के, कुछ न उगलेगी. पांयलागी.”
भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह के फेसबुक वॉल से.
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ये कौन लोग हैं जो पीएम के साथ सेल्फी लेकर अपने जीवन पर फ़क्र महसूस कर रहे हैं?
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Prashant
November 29, 2015 at 7:49 am
Ye Arvind Kejriwal ke sath selfie le le to yashwant ji wapis friend list mai add kar lege. 😛