ये तो फिल्म है पूरी की पूरी। ‘सेल्फी विद पीएम।’ इस पर काम होना चाहिए। एक लाइट कॉमेडी फिल्म। पत्रकारों की आपस में तकरार। एडिटर और रिपोर्टर के बीच का फसाद। पहली सेल्फी किसकी? हो सके तो मारम मार। जमकर जूतम पैजार। एसपीजी और यहां तक कि एनएसए पर भी पत्रकारों के ‘सेल्फी जुनून’ का आतंक। एक रात पहले पीएमओ में आपात बैठक। मुद्दा ये कि पीएम को पत्रकारों से महफूज कैसे रखा जाए। पीएम इन डैंजर! इतनी सटकर सेल्फी ली जाएगी तो फिर तो ‘सिक्योरिटी ब्रीच’ हो गया न। आईबी और रॉ का भी इनपुट देना। फिर नार्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक में इसी ‘सेल्फी’ का जलवा।
सेल्फी दिखाकर अधिकारियों को धमकी- ‘गुरू, संभलकर रहो, वरना देख लेओ ई मोबाइल में का है!’ सेल्फी लेने में नाकाम रहने वाले पत्रकार की माशूका का उसे सरेआम तमाचा जड़ देना- ‘नामर्द हो तुम साले, मेरी खातिर एक सेल्फी नही ले पाए। गेट आउट फ्रॉम माय लाइफ। उस कलमुंही रीना के ब्वॉय फ्रेंड को देखो। कितने करीब से सेल्फी ली है। मुझे तब से एटीट्यूड दिखाए जा रही है, साली। डूब मरो तुम।’ उस नाकाम आशिक पत्रकार का डूबने की खातिर बेहद तेजी से आईटीओ से लक्ष्मी नगर के बीच के यमुना ब्रिज की ओर जाना। मगर छलांग लगाने से पहले ही कानों में पड़ती वीआईपी गाड़ियों के काफिले के हूटर की आवाज़। -‘अरे साला, ये तो पीएम का कारकेड है।’ और यमुना के पुल की रेलिंग से ही हाथों में मोबाइल लेकर झटपट में एक और सेल्फी। ‘सेल्फी विद पीएम कारकेड’। ख्वाबों के झरोखों में उभरती पाकिस्तानी गायक अताउल्ला खान की शक्ल। बैकग्राउंड में बजता म्यूज़िक -‘तू नही तो तेरी याद सही’- खुदकुशी का प्रोग्राम कैंसिल। इसी सेल्फी के सहारे माशूका को मनाने की एक कोशिश और।
पीएम की अगली प्रेस मीट के लिए पीएमओ में पहले से ही ‘सेल्फी आवेदनो’ की बाढ़। First come,First serve का सिद्धांत लागू करने के लिए जंतर-मंतर पर आंदोलन। ‘सर, इस बार पहली सेल्फी हमारी ही होनी चाहिए। आपने पिछले दिनो जैसा-जैसा बताया, वैसा ही छापा। अब इतना तो बनता ही है सर’- पत्रकारों का पीएम के मीडिया एडवाइज़र पर हल्ला बोल। पीएम की उस प्रेस मीट में मौजूद कैबिनेट स्तर के दो तीन मंत्रियों की जबरदस्त चिढ़। ‘साला, हममे क्या कमी है, जो हमारे साथ कोई सेल्फी नही लेता।’ अगले दिन से मंत्रियों के पीए के पास ‘स्टैंडिंग इंस्ट्रक्शन’। जो भी पत्रकार इंटरव्यू के लिए आए, उससे साफ बोल दो- ‘पहले सेल्फी ले साथ में, फिर बात करेंगे। चूतिया समझा है क्या हमको? सेल्फी पीएम के साथ और इंटरव्यू हमसे।’
अगर फिल्म को थोड़ा थ्रिलर लुक देना हो तो ‘सेल्फी बम’ के आइडिया का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। कि पाकिस्तान में आईएसआई ने भारतीय पीएम के सेल्फी जुनून को देखते हुए नया आइडिया इज़ाद किया। सेल्फी बम का। लश्कर से जुड़ी हुई दो बेहद ही खूबसूरत हसीनाओं को पत्रकार की शक्ल में नेपाल बार्डर के रास्ते भारत में घुसा दिया गया है। ये दोनो ही सेल्फी के बहाने पीएम के करीब जाने की तैयारी में हैं। मगर किसी सनी देवल टाइप के एनएसजी कमांडों को समय रहते ये खबर मिल जाती है। और फिर शुरू होता है, ‘आपरेशन सेल्फी किलिंग।’ बेहद ही गुप्त, खुफिया आपरेशन। जिसकी डिटेल सिर्फ दो लोगों के पास है। एक इस देश के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर। और दूसरा मैं यानि अभिषेक उपाध्याय। बस अब इससे ज़्यादा नही लिखूंगा। नहीं तो आइडिया चोरी हो जाएगा। बड़ा कॉपीराइट का संकट है इन दिनो 🙂
कई न्यूज चैनलों में काम कर चुके और इन दिनों इंडिया टीवी में वरिष्ठ पद पर कार्यरत तेजतर्रार पत्रकार अभिषेक उपाध्याय के फेसबुक वॉल से.