थाना बालैनी, बागपत के दारोगा अशोक कुमार द्वारा मवीकलां गाँव में गोवध अपराध में दी गयी दबिश में राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त डा. कुलदीप उज्जवल के पिता धर्मपाल सिंह द्वारा दरोगा को धमकाने के मामले में आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर ने धर्मपाल सिंह के खिलाफ मुक़दमा दर्ज करने की मांग की है. डीजीपी यूपी को भेजे अपने शिकायती पत्र में उन्होंने कहा है कि दरोगा अशोक कुमार, इंस्पेक्टर वीरेन्द्र सिंह और एसपी बागपत जे के शाही से बात कर वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि दरोगा को सरकारी काम से रोका गया और धमकी दी गयी जो धारा 353 (2 साल सजा), 504 (2 साल सजा) तथा 506 (2 साल सजा) आईपीसी का संज्ञेय अपराध है.
दरोगा ने डॉ उज्जवल और उनके पिता के पूर्व आपराधिक इतिहास बताते हुए उनसे अपनी जान का खतरा भी बताया. अतः उन्होंने अशोक कुमार द्वारा थाने की जीडी में दर्ज तस्करे के आधार पर धर्मपाल सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और अशोक कुमार द्वारा बताये गए अपनी जान के खतरे के सम्बन्ध में गहराई से छानबीन कर कार्यवाही कराने की मांग की है.
सेवा में,
पुलिस महानिदेशक,
उत्तर प्रदेश,
लखनऊ
विषय- जनपद बागपत में दरोगा श्री अशोक कुमार के साथ घटी घटना विषयक
महोदय,
मैंने आज जनपद बागपत के बालैनी थाने के मवीकलां गांव में दारोगा श्री अशोक कुमार द्वारा दो सिपाहियों को लेकर में गोवध का प्रयास करने वाले दो लोगों को पकड़ने के लिए दी गयी दबिश में राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त डा. कुलदीप उज्जवल के पिता श्री धर्मपाल सिंह द्वारा दरोगा को धमकाने की खबर पढ़ी जिसमे उन्होंने कथित रूप से कहा था- “’शर्म नहीं आई, यहां चला आया गरीबों को परेशान करने. जा ले जा ये खड़े हैं दोनों. मुझसे पूछे बगैर गांव में आने की हिम्मत कैसे कर दी. अरे क्या है? चौकीदार ही तो है तू. हम तो प्रदेश में मंत्री हैं, आ गई तेरी बात समझ में. तुझे बता रहे हैं कि हमने सीओ और दो सिपाहियों के कपड़े उतार लिए थे और रायफल ले ली थी. तू हमारे खिलाफ तस्करा डाल दे. मेरा नाम धर्मपाल है बता रहा हूं मुझे ध्यान रखिए” जिसके बाद दारोगा और दोनों सिपाही खरीखोटी सुनकर लौटा दिए गए.
मैंने इस घटना की खबर पढने के बाद श्री अशोक कुमार का मोबाइल नंबर ज्ञात किया और अपने मोबाइल नंबर 094155-34526 से उनके मोबाइल नंबर 094119-32502 पर करीब 10.00 बजे और 11.45 बजे फोन कर विस्तार से मामले की जानकारी ली. मैंने श्री जे के शाही, एसपी बागपत के फोन नंबर 094544-00258 पर 11.30 बजे और श्री वीरेन्द्र सिंह, इंस्पेक्टर बालैनी के फोन नंबर 094544-02960 पर बात कर मामले को जानने का प्रयास किया. मैंने बागपत के कुछ व्यक्तिगत सूत्रों से भी प्रकरण की जानकारी ली.
इन प्रयासों से मुझे ज्ञात हुआ कि थाना बेलानी के दरोगा श्री विजय पाल सिंह द्वारा दिनांक 08/10/2014 को मु०अ०स० 191/2014 अंतर्गत धारा 3/8 गोवध निवारण अधिनियम दर्ज कराया गया था जिसके गवाह हेड कांस्टेबल श्री चमन सिंह थे. एफआईआर में चार मुलजिम पिनू पुत्र सिजू, नीशू पुत्र कालू, कालू तथा शकील पुत्र बुद्धू निवासीगण मवीकलां, थाना बैलानी हैं. इसके अलावा पीनू पर मु०अ०स० 192/2014 धारा 4/25 आर्म्स एक्ट और नीशू पर मु०अ०स० 193/2014 धारा 4/25 आर्म्स एक्ट दर्ज किया गया.
इस मुकदमे की विवेचना श्री अशोक कुमार को मिली. वे अपनी पत्नी की तबियत खराब होने पर दिल्ली गए जिस दौरान दिनांक 12/10/2014 को इंस्पेक्टर श्री वीरेन्द्र सिंह ने एक मुलजिम बुद्धू को थाने पर ला कर थाने से ही उसकी जमानत दे दी जबकि धारा 8(2) गोवध अधिनियम में 7 साल सजा होने के कारण उसे थाने से जमानत नहीं दी जानी चाहिए थी.
दिनांक 22/10/2014 को श्री अशोक कुमार को मुखबिर से सूचना मिली कि इस मामले के मुलजिम बागपत से मवीकलां गाँव लौट रहे हैं और उन्हें आसानी से गिरफ्तार किया जा सकता है. इस सूचना पर श्री अशोक कुमार मवीकलां गांव गए जहां पहले से हेड कांस्टेबल श्री वीर सिंह और कांस्टेबल श्री सुरेन्द्र सिंह मौजूद मिले. श्री अशोक कुमार जब तक गाँव पहुंचे तब तक मुलजिम जुगाड़ गाडी (स्थानीय अवैध वाहन जो इस इलाके में काफी चलना बताया जाता है) से अपने घर पहुँच चुका था और पुलिस को देख कर घर से भी भाग चुका था.
इसी बीच गाँव से मुलजिम के कुछ साथी आ गए और उन्होंने दरोगा से कहा कि वे एसपी बागपत से बात कर के आ रहे हैं और एसपी ने अभी गिरफ़्तारी नहीं होने की बात कह दी है. इंस्पेक्टर बैलानी का भी फ़ोन दरोगा को आ गया कि एसपी बाग़पत ने अभी कार्यवाही स्थगित करने का आदेश दिया है. जब दरोगा गाँव पर ही थे तभी उन्हें कई सारे लोगों के फोन आने लगे और लगभग इसी दौरान एक आदमी वहां आये जिन्होंने दरोगा से कहा कि कौन दरोगा है जो मुझसे बात नहीं करना चाहता है और इसके बाद उन्होंने दरोगा से जम कर बदतमीजी की. दरोगा और गाँव के कुछ दूसरे लोगों ने इस पूरे एपिसोड की रिकॉर्डिंग कर ली.
इसके बाद दरोगा ने वापस आ कर थाने की जीडी में पूरी बात लिख दी. दिनांक 22/10/2014 की रात दरोगा ने चकबंदी देवता मेले की ड्यूटी की और 23/10/2014 को दिन में अपने सीओ और एएसपी बागपत को मोबाइल से पूरी बात बतायी. उन्होंने एसपी बागपत को भी फोन किया और एसपी ने दो बार फोन रिसीव भी किया लेकिन फोन तुरंत कट गया.
दरोगा ने मुझे कहा कि उन्हें डा. कुलदीप उज्जवल और उनके पिता श्री धर्मपाल सिंह से अपनी जान को खतरा है क्योंकि डॉ उज्जवल और उनके पिता के खिलाफ पूर्व में भी कई आपराधिक मुकदमे हैं और वे इलाके के दबंग लोग हैं. अन्य पुलिस अधिकारी घटना के बजाय उसके मीडिया में आने से अधिक चिंतित और परेशान दिखे.
उपरोक्त तथ्यों से निम्न बातें लगभग स्पष्ट हैं-
1. दरोगा श्री अशोक कुमार के साथ बदतमीजी की गयी और उन्हें उनके शासकीय कार्यों में रोका गया और शासकीय कार्य के दौरान गंभीर दुष्परिणामों की चेतावनी दी गयी
2. श्री अशोक कुमार के साथ किया गया यह कृत्य एक आपराधिक कृत्य है जो धारा 353 (2 साल सजा), 504 (2 साल सजा) तथा 506 (2 साल सजा) आईपीसी के अंतर्गत दंडनीय है. ये तीनों धाराएं संज्ञेय अपराध हैं जिनमे एफआईआर दर्ज किया जाना स्थानीय थानाध्यक्ष का उत्तरदायित्व है
3. श्री अशोक कुमार के साथ यह अपराध श्री धर्मपाल सिंह द्वारा किया गया है
4. श्री अशोक कुमार ने पूर्व में ही पूरी घटना का ब्यौरा थाने की जीडी में दर्ज कर दिया है
अतः पुलिस की प्रतिष्ठा और आपराधिक न्याय की अवधारणा के दृष्टिगत यह आवश्यक प्रतीत होता है कि इस मामले में श्री अशोक कुमार द्वारा दिनांक 22/10/2014 को बैलानी थाने की जीडी में दर्ज तस्करे के आधार पर श्री धर्मपाल सिंह के खिलाफ उचित धाराओं में एफआईआर दर्ज कर उसकी विवेचना की जाए. साथ ही श्री अशोक कुमार द्वारा अपने प्राणों के भय के विषय में जो बात कही गयी, उस के सम्बन्ध में भी गहराई से छानबीन कर समस्त आवश्यक कार्यवाही किया जाना अनिवार्य प्रतीत होता है ताकि भविष्य में श्री अशोक कुमार के साथ कोई अनहोनी ना हो जाए.
चूँकि यह मामला सीधे-सीधे पुलिस के कार्यों और पुलिस की प्रतिष्ठा से जुड़ा हुआ है, जिसमे कथित रूप से एक दरोगा को उसके कर्तव्यपालन के दौरान इस प्रकार खुलेआम धमकी दी गयी है, अतः मैं निवेदन करूँगा कि प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए इसमें तत्काल आवश्यक कार्यवाही कराने की कृपा करें.
भवदीय,
अमिताभ ठाकुर
5/426, विराम खंड
गोमती नगर, लखनऊ
094155-34526
पत्र संख्या- AT/Complaint/09
दिनांक- 25/10/2014