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सुख-दुख

सिंहेश की अभी उम्र ही क्या थी, मात्र 35-36 बरस!

नज़ीर मलिक-

प्रिय सिंहेश ठाकुर आज अपनी अंतिम यात्रा पर रवाना हो गए। चिता पर लेट कर की जाने वाली यात्रा अनन्त होती है। यह शून्य गमन कराने वाली यात्रा की वह रेल है जो लौट कर नहीं आती।
सिंहेश पत्रकार था, कैरियर मेरे बेटे के साथ शुरू किया था, इसलिए मेरे करीब भी था।

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उंसके पिता भी मेरे स्कूली दोस्त थे। इसलिए वह घर का एक सदस्य की तरह था। आज सुबह जैसे ही नीद खुली चाय के प्याली के साथ बेगम ने सिंहेश के न होने की खबर दी। रात चार बजे उसने शहर के मेडिकल कालेज में उसने आख़िरी सांस ली।

अभी उम्र ही क्या थी उसकी, मात्र 35-36 साल की उम्र में ही उसने ज़िले में पत्रकारिता का झंडा गाड़ रखा था। यह हंमुख और खिलंदड़ा जवान पिछले एक साल से कैंसर की शिकार था। उसी के इलाज में वह आर्थिक रूप से टूटने के बावजूद स्वाभिमान के चलते किसी से कोई समझौता नहीं किया। बस हम पत्रकार साथी ही जो कर सके करते रहे।

उसकी गृहस्थी फिलहाल अभी कच्ची है। बेटी BTec में है और बेटा छोटा है। उनके लिए हम सब तो कुछ करेंगे ही, मगर दुख इसका है कि वे लोग जिन्होंने सिंहेश के नाम पर लाखों कमाए,वे आज उसकी मौत पर अफसोस व्यक्त तक करने से बचते रहे। दुनियां उगते सूरज को ही सलाम करती है।नई पीढ़ी के पत्रकारों को ये समझना होगा कि “याद आते हैं बुरे वक्त के साथी किसको, सुबह होते ही चिरागों को बुझा देते हैं। अलविदा सिंहेश ठाकुर!

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