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यही हाल रहा तो ‘आज तक’ के मंच पर जो हुआ, वो हर मंच पर होगा

सवाल ये कि ऐसी डिबेट्स में पार्टी कार्यकर्ताओं, नेता व प्रतिष्ठित लोगों को ही क्यों रखा जाता है। आम आदमी रिक्शे वाला, ढकेल वाला या युवा छात्र, गृहिणी व अन्य जमीन से जुड़े लोगों की राय कोई मायने नहीं रखती क्या? उन लोगों के बीच जाकर बहस क्यों नहीं करायी जाती। 

सवाल ये कि ऐसी डिबेट्स में पार्टी कार्यकर्ताओं, नेता व प्रतिष्ठित लोगों को ही क्यों रखा जाता है। आम आदमी रिक्शे वाला, ढकेल वाला या युवा छात्र, गृहिणी व अन्य जमीन से जुड़े लोगों की राय कोई मायने नहीं रखती क्या? उन लोगों के बीच जाकर बहस क्यों नहीं करायी जाती। 

अरे सब नहीं तो कुछ ऐसे लोगों को तो बुलाओ, उनसे पूछो या केवल उनके नाम पर गला फाड़कर अपने सवालों की नोक को पैना ही कर सकते हैं आप, और हाँ अगर नहीं बुला सकते तो देखिएगा, यही हाल रहा तो जो आज तक के मंच पर हुआ, वो हर मंच पर होगा। उस बहस में शामिल लोग मोदी मोदी चिल्ला रहे थे जो साफ़ दर्शा रहा था कि वो लोग कौन थे। लोकसभा चुनाव के दौरान भी मेने देखा है ऐसी डिबेट्स में विभिन्न दलों से जुड़े लोगों को विशेष जगह दी जाती है अब यही हाल रहा तो ये तो होगा ही…….

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1 जून की शाम को आज तक चैनल पर स्मृति ईरानी व आज तक के सीनियर रिपोर्टर अशोक सिंघल के बीच नोकझोंक की स्थिति पैदा हो गयी। कारण था कि अशोक सिंघल ने स्मृति ईरानी से पूछा कि आपकी डिग्री को लेकर विवाद है, आप ग्रेजुएट या अंडरग्रेजुएट हैं, फिर नरेंद्र मोदी ने आपको सबसे कम उम्र की मंत्री बनाया। क्या खूबी लगी आप में ऐसी, क्या वजह थी, अब इस सवाल पर स्मृति असहज नजर आयीं और वहां मौजूद लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचते हुए इस सवाल को दोबारा पेश किया। 

वहाँ मौजूद लोग भड़क गए। नौबत मारपीट तक की आ गयी और ये सब हुआ देश के सबसे बड़े न्यूज चैनल पर, साथ में एक महिला एंकर भी थीं अंजना ओम कश्यप, वो कुछ बोली नहीं, बस भड़के लोगों को रोकने लगीं। अब कौन गलत था, इसका निर्णय आप खुद लें, खैर ये सब तो वीडियो में दिख जायेगा… 

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मोहित गौर से संपर्क : [email protected]

वीडियो लिंक : आजतक स्मृति ईरानी प्रकरण

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0 Comments

  1. abhishek

    June 4, 2015 at 5:39 pm

    देखो भाई मैंने अशोक सिंघल वाला लिंक देखा हैं लोग इन्हें पानी पी पीकर गरिया रहे हैं। स्मृति ईरानी हंस रही हैं अशोक सिंघल को घिरता देख। आजतक को अब निर्णय लेना चाहिए स्मृति ईरानी नहीं दिखाएँगे या फिर स्मृति ईरानी को नंगा कर देना चाहिए। यदि नहीं कर सकते तो रोने से काम नहीं चलेगा क्योंकि जमाना गांधी का नहीं हैं गोडसे का हैं। और रही बात मीडिया की तो वह दिन दूर नहीं हैं जब मीडिया वाले गली गली कुत्तों की तरह पिटेंगे .

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