Shambhunath Shukla : नौकरी छोड़े भी चार साल हो चुके और अमर उजाला में मेरा कुल कार्यकाल भी मात्र दस वर्ष का रहा पर फिर भी उसके मालिक की स्मृति मात्र से आँखें छलक आती हैं। दिवंगत श्री अतुल माहेश्वरी को गए छह वर्ष हो चुके मगर आज भी लगता है कि अचानक या तो वे मेरे केबिन में आ जाएंगे अथवा उनका फोन आ जाएगा अरे शुक्ला जी जरा आप यह पता कर लेते तो बेहतर रहता। इतनी विनम्रता और संकोच शायद ही किसी मालिक में रहा होगा।