मीडिया की रीढ़ कहे जाने वाले स्ट्रिंगरों के घर दीपावली का जश्न फीका होने की आशंका है। मिली जानकारी अनुसार कई चैनल पहले से ही घाटे में हैं। उनके पास स्ट्रिंगर्स को देने लिए आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं है। इसमें कुछ चैनल ऐसे हैं जो मीडिया इंडस्ट्री में कई सालों से स्थापित है और कुछ हाल हीमें उभरे हैं। लेकिन सबसे खास बात यह कि सभी चैनल जनता के सामने अपने को सबसे आगे बताने काम करते हैं। कुछ चैनल उस कतार में शामिल हैं जो आज भी 90 रुपए से 150 रुपए ही भुगतान करते हैं। ऐसे में स्ट्रिंगर बड़ी मुश्किल से 3000 रुपए प्रति माह ही कमा पाता है।
आप खुद अंदाज़ लगाए कि इस दौर में स्ट्रिंगर अपने परिवार को कैसे पालेगा और क्या बचायेगा? चैनल के संपादकों को आप ने बड़े बड़े हुनरमंद लोगों को पछाड़ते हुए छोटे पर्दे पर देखा होगा लेकिन यह कभी अपने स्ट्रिंगरों की बातों से पार नहीं पा सके हैं। ऐसे में इन चैनलों की पब्लिक के बीच क्या छवि होगी, आप समझ सकते हैं। सरकार भी चैनल के मालिकों के डर से कुछ भी बोलने से परहेज करती है। यदि सरकार चाहे तो दो मिनट में पता चल सकता है कौन कौन से चैनल भुगतान कर रहे हैं और कितना कर रहे हैं। सावधान हो जाओ स्ट्रिंगर भाईयों… वरना जिंदगी भर चैनलों के मालिकों के शोषण का शिकार होते रहोगे… लड़ना सीखो… एक बार एकजुट होकर दुनिया को सच बताओ… तभी ये सब सभ्य भेड़िये एक दम ठीक हो सकेंगे.
आपका स्ट्रिंगर भाई
बलवीर
बरेली
[email protected]