Amit Chaturvedi : मासूम भक्तों को लगता है कि उनकी तरह पूरी दुनिया क्यूट है, और पूरी कायनात मोदी जी को 2019 में फिर से प्रधानमंत्री बनवाने के लिए साज़िशें कर रही है। लेकिन वो नहीं जानते कि राजनीति में हर व्यक्ति पद की महत्वकांक्षा लेकर ही आता है, भाजपा समेत हर पार्टी का नेता जो एक बार अगर सांसद भी बन गया तो उसके मन में प्रधानमंत्री बनने का ख़्वाब आ ही जाता है।
सुषमा स्वराज इससे कहीं अछूती नहीं, मासूम भक्तों को पता भी नहीं होगा कि जब मोदी जी RSS के कार्यालयों में दरी उठाने बिछाने का काम करते थे तब 1977 में सुषमा स्वराज हरियाणा सरकार में कैबिनेट मिनिस्टर बन चुकी थीं, राजनीति में मोदी जी से कहीं ज़्यादा वरिष्ठ हैं।
सादिया अनस सिद्दीक़ी उर्फ़ तनवी सेठ प्रकरण में पहले आनन फ़ानन में उसे पास्पोर्ट देकर पहले उन्होंने ऑनलाइन भक्तों से गाली खाने को लेकर तनवी सेठ से बड़ा “विक्टिम कार्ड” खेला, और फिर पुलिस रिपोर्ट में तनवी सेठ के ख़िलाफ़ रिमार्क्स के बावजूद उसे पास्पोर्ट जारी करके सुषमा जी ने एक बड़ा गेम खेला है…
2019 में जब भाजपा की 220 के आसपास सीटें आएँगी तब उसे दूसरे दलों के सहयोग की आवश्यकता पड़ेगी और वो दूसरे दल बसपा सपा या ऐसे कई अन्य क्षेत्रीय दल हो सकते हैं जो मोदी जी के नाम पर तो सपोर्ट करने से रहे, तब सुषमा जी एक सॉफ़्ट और स्वीकार्य चेहरा बनकर उभर सकती हैं…
याद रखिए राजनीति में आदमी के जलाए या दफ़नाए जाने तक उसकी प्रासंगिकता कभी ख़त्म नहीं होती, नरसिम्हा राव राजनीति से रेटायअर्मेंट लेने के बाद प्रधानमंत्री बने थे।
एफबी पर संघ-भाजपा समर्थकों के लोकप्रिय लेखक अमित चतुर्वेदी की एफबी वॉल से.