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तीसरे चरण के प्रचार की सबसे ‘अच्छी’ बात भी भाजपा को वोट नहीं दिलाएगी, बाकी मंदिर और हिन्दू मुसलमान ही है आज  

हेडलाइन मैनेजमेंट के लिए जानी जाने वाली भारतीय जनता पार्टी का प्रचार करने वाली खबरें आज के अखबारों में ज्यादा नहीं हैं। उल्टे, राहुल गांधी ही नहीं, विपक्ष को पहले पन्ने पर जगह मिलने लगी है और इससे साफ है कि भाजपा की स्थिति खराब हुई है जबकि इंडिया गठबंधन की स्थिति बेहतर हुई है। आज की खबरों से यही लग रहा है। आप चाहें तो नहीं मान सकते हैं। पर खबरें यही गवाही दे रही हैं। इधर कई दिनों से प्रधानमंत्री रोज कांग्रेस का प्रचार कर रहे हैं। कल समाजवादी पार्टी का भी किया। मोटे तौर पर प्रधानमंत्री के पास कांग्रेस और सपा की आलोचना के अलावा कुछ है भी नहीं और यह दुर्भाग्य है कि अपनी पार्टी की भविष्य की कोई योजना भी वे अभी तक नहीं ढूंढ़ पाये हैं। हो सकता है 370 हटाने के बाद जो हुआ उसके आलोक में नया कुछ कहने की हिम्मत ही नहीं हो। इस हिसाब से आज का सर्वश्रेष्ठ भाषण शीर्षक है। इसके अलावा मंदिर दर्शन से वोट पाने की कोशिश है। हिन्दू मुसलमान और पुंछ में आतंकी हमला आदि ही है। कुछ नया नहीं।

संजय कुमार सिंह

प्रधानमंत्री के इस दावे के बावजूद कि वे हमारे बच्चों के लिए चुनाव लड़ रहे हैं वे प्रज्वल जैसों के लिए वोट मांग चुके हैं। ऐसा नहीं है कि प्रचार से पहले उन्हें पता नहीं होगा और जब मामला सार्वजनिक हो गया तो उन्होंने अफसोस नहीं जताया है। इंडियन एक्सप्रेस में पहले पन्ने पर प्रकाशित सूचना के अनुसार अंदर एक खबर का शीर्षक है, पीड़ितों के रिश्तेदारों ने कहा है कि वे अपने गांव नहीं जा सकते हैं। ऐसे में आप वहां की हालत सोच सकते हैं। प्रधानमंत्री या उनकी पार्टी और उनके नेतृत्व में मंत्रालयों व संगठनों व विभागों ने इस संबंध में कुछ नहीं किया है (किया हो तो खबर नहीं है) और प्रधान सेवक का दावा आप पढ़ चुके हैं। भाजपा के पक्ष में जब खबरों का यह हाल है तो आज की लीड जानना भी दिलचस्प है।

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1. इंडियन एक्सप्रेस

यौन उत्पीड़न विवाद से घिरा कर्नाटक कल वोट देने वाले राज्यों में है (फ्लैग शीर्षक) संविधान और आरक्षण केंद्र में, 93 सीटों के लिए तीसरे चरण का चुनाव प्रचार पूरा हुआ। उपशीर्षक है, मोदी ने समाजवादी पार्टी, कांग्रेस पर ‘वंशवादी राजनीति’ के लिए निशाना साधा। राहुल गांधी ने कहा, “प्रधानमंत्री आरक्षण खत्म करना चाहते हैं”।

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2. हिन्दुस्तान टाइम्स

मोदी ने अयोध्या में पूजा की, चुनावी रोड शो का आयोजन किया

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इसके साथ एक खबर है जो बताती है कि कांग्रेस ने भाजपा के खिलाफ एक एफआईआर कराई है और चुनाव आयोग से शिकायत कर कहा है कि भाजपा अपने एक विज्ञापन क्लिप के जरिए समाज में दुश्मनी को बढ़ावा देना चाहती है। 

3. टाइम्स ऑफ इंडिया

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जंगलों में लगी भयानक आग ने उत्तराखंड में जीवन बाधित किया, तीन दिन में पांच की जान गई

4. द हिन्दू

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भारतीय वायु सेना के काफिले पर हमले के बाद आतंकवादियों की तलाश जारी। उपशीर्षक में बताया गया है, कांबिंग ऑपरेशन जारी है, हेलीकॉप्टर काम में लगाये गये हैं, सुरक्षा बलों ने आतंकवादियों को जरूरी सुविधाएं पहुंचाने वाले कई लोगों से पूछताछ की, वीपीएन ऐप्प का उपयोग करने के लिए एक गिरफ्तार।

5. द टेलीग्राफ

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राज्यपाल ने गवरनर से कहा : पुलिस की कॉल को नजरअंदाज करें। मुख्य शीर्षक है, यौन उत्पीड़न की जांच पर बोस का बैरीकेड।               

स्पष्ट है कि नरेन्द्र मोदी के पास चुनावी भाषणों और मुद्दों की इतनी कमी हो गई है कि वे अब कुछ भी बोलने लगे हैं। इसी कारण आज भाजपा की खबरों को प्राथमिकता नहीं मिली है। नरेन्द्र मोदी अपनी पार्टी के प्रचारक ही नहीं हैं देश के प्रधानमंत्री भी हैं। इस नाते उन्हें एक स्तर का पालन करना चाहिये और यह आदर्श प्रस्तुत करना चाहिये कि वे एक स्तर के नीचे नहीं जायेंगे। पर मोदी के साथ ऐसा कुछ नहीं है। वे वो सब कर रहे हैं जो प्रधानमंत्री होने के नाते नहीं करना चाहिये पर करने से पार्टी को भला हो सकता है। इसमें मंदिर जाना, पूजा करना सब शामिल है। दुखद है कि दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी के पास अनैतिक चुनाव प्रचार के लिए कोई दूसरा आदमी नहीं है या सब प्रधानमंत्री को खुद करना पड़ रहा है। 2024 के चुनावों के लिए अपने फूहड़ और घटिया चुनावी भाषणों के क्रम में प्रधानमंत्री का एक भाषण आज अमर उजाला में लीड है, “सपा और कांग्रेस परिवार के लिए लड़ रहीं, हम आपके बच्चों के लिए: मोदी”। आप जानते हैं कि मोदी का कोई परिवार नहीं है। इसलिए वे परिवार और वंशवाद पर बोलते रहे हैं।

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शुरू में तो यह ठीक था पर भाजपा में परिवार वाद और वंशवाद कम नहीं है। इसलिए परिवार वाद पर उन्हें जवाब भी मिलता है। ठीक है कि अखबारों में प्रमुखता नहीं मिलती है लेकिन जवाब सुनकर तिलमिलाये भी थे। लगभग वैसे ही जैसे चौकीदार ही चोर है से परेशान हुए थे। जवाब में इस बार ‘मोदी का परिवार’ बनाया था। उसमें कंगना रनौत से लेकर बांसुरी स्वराज तक हैं और प्रमोद महाजन की बेटी को छोड़कर सरकारी वकील उज्ज्वल निकम को शामिल किया जा चुका है। उम्मीद है कि इस घालमेल से 2024 में 400 पार हो जायेगा। फिर भी उनका यह कहना कि अखिलेश यादव या राहुल गांधी अपने बच्चों के लिए चुनाव लड़ रहे हैं – क्या मायने रखता है। मैंने कांग्रेस से राहुल गांधी का नाम जानबूझकर लिया है और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का भी ले सकता था पर मोदी जी खुद कांग्रेस को गांधी परिवार का बताते रहे हैं इसलिए वे राहुल गांधी की ही बात कर रहे होंगे।

भाजपा राज में शिक्षा की जो हालत है वह तो है ही, देश में बच्चों की शिक्षा के लिए सबसे अच्छा काम कर रहे पत्रकार से नेता बने मनीष सिसोदिया को भी जेल में रखा गया है। अगर बच्चों और बच्चों की शिक्षा के लिए काम करना था तो मनीष सिसोदिया को खुला हाथ दिया जाना चाहिये था या उनके जेल में होने पर किसी को इस काम में खास तौर से लगाया जाना चाहिये था। दोनों नहीं करके वे जो बोल रहे हैं वह ना किया है और ना करने के लक्षण हैं। फिर भी कहा है तो खबर है, देश का मीडिया स्वतंत्र है चाहे तो यकीन करे और चुनाव आयोग तो निष्पक्ष है ही। इसलिए यह खबर चाहे जितनी प्रमुखता से छपी हो चुनावी लाभ दे पायेगी इसमें संदेह है। हालांकि इसका पता 4 जून को ही चलेगा। हालांकि तब यह पचा नहीं चलेगा कि कमाल चुनाव प्रचार और उसे चुनाव आयोग के संरक्षण का है या कुछ और।

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ऐसे में एक अखबार (अमर उजाला) का शीर्षक है, पुंछ आतंकी हमले में पाकिस्तान का हाथ, लश्कर कमांडर अबू मास्टरमाइंड। दूसरे अखबार (इंडियन एक्सप्रेस) का शीर्षक है, पुंछ का आतंकी हमला भाजपा की सहायता के लिए चुनावी स्टंट है, पूर्व मुख्यमंत्री चन्नी ने कहा। चन्नी जलंधर से कांग्रेस के लोकसभा के उम्मीदवार हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार भाजपा नेता और केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कांग्रेस से पूछा है कि क्या वह चुनाव जीतने के लिए सैनिकों का अपमान करेगी और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से कहा है कि वे चन्नी से माफी मांगने के लिए कहें। हालांकि, पूर्व मुख्यमंत्री का आरोप इतना सरल नहीं है। इंडियन एक्सप्रेस ने चन्नी के हवाले से लिखा है, ये स्ंटटबाजी हो रही है, हमले नहीं हो रहे। पिछली बार भी जब इलेक्शन आते हैं तो ऐसे स्ंटट खेले जाते हैं … .ये बीजेपी को जिताने का एक स्टंट होता है, इसमें सच्चाई नहीं होती लोग (लोगों को) मरवाना और उनकी लाशों पर खेलना बीजेपी का काम है।

मुझे लगता है कि यह पर्याप्त गंभीर आरोप है और अगर चारे सोर मोदी क्यों होते हैं पूछने के लिए राहुल गांधी के खिलाफ मुकदमा हो सकता है तो यह सैनिकों का अपमान नहीं है और माफी मांगने का मामला नहीं है। पर मुझे नहीं लगता कि कल इसे याद रखा जायेगा। आज नवोदय टाइम्स में लीड का शीर्षक है, कांग्रेस ने मुस्लिमों को बनाया मोहरा : मोदी। इसके साथ हाइलाइट किया हुआ हिस्सा है – कहा, सिर्फ अपने बच्चों के भविष्य के लिए लड़ रही है सपा और कांग्रेस। आप जानते हैं कि नरेन्द्र मोदी कह चुके हैं कि आग लगाने वाले कपड़ों से पहचाने जाते हैं और यह किसके लिए कहा था। कांग्रेस पर (मुसलमानों के) तुष्टीकरण का आरोप नरेन्द्र मोदी और भाजपा लगाते हैं पर वे खुद यह भी कहते हैं कि उनकी पार्टी या भाजपा तुष्टीकरण नहीं करती है, संतुष्टीकरण करती है।

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यही मुद्दा है। भाजपा मुसलमानों का विरोध करती है और हिन्दुओं का समर्थन करती है। अब तक छिप कर करती थी इस बार चुनाव आयोग अपना है तो खुलकर कर रही है। इसलिए, वरिष्ठ अधिवक्ता कलीश्वरम राज ने मुख्य चुनाव आयुक्त को लिखे पत्र में कहा है कि खुलेआम आचार संहिता और देश के कानूनों का उल्लंघन करने वाले प्रधानमंत्री को बख्शने का कोई कारण या औचित्य नहीं है।    यह खबर नहीं है आज द टेलीग्राफ का कोट है। कुछ भी करके ज्यादा वोट पाने की इस कोशिश और आज ऐसी खबरें होने का कारण यह है कि कल यानी सात मई को लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण का मतदान है और कल चुनाव प्रचार का अंतिम दिन था जिसकी खबरें आज छपी हैं। आज छपी खबरों में यह भी है कि कर्नाटक में यौन शोषण का आरोपी, पूर्व प्रधानमंत्री का पोता प्रज्वल रेवन्ना अभी तक गिरफ्तार नहीं हुआ है, उसका डिपलोमैटिक पासपोर्ट रद्द किये जाने की मांग का कोई जवाब नहीं है और ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी किये जाने का प्रचार है।

इससे संबंधित एक खबर का यह अंश दिलचस्प है,  … वापस लाने के लिए इंटरपोल की मदद ली जा रही है … अभी जर्मनी में हैं … इंटरपोल ने अपने सभी सदस्य देशों से प्रज्वल का पता लगाने के लिए कह दिया है। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल, सीवी आनंद बोस के खिलाफ भी एक महिला कर्मचारी के यौन उत्पीड़न का मामला है। इसकी खबर आज कोलकाता के अखबार द टेलीग्राफ में लीड है। संदेशखाली पर हंगामा मचाने वाले पत्रकारों के लिए अब यह खबर नहीं है। कम से कम उसके जितना महत्वपूर्ण तो नहीं है जबकि राज्यपाल से आदर्श व्यवहार और नैतिकता की ज्यादा उम्मीद की जानी चाहिये जबकि जनादेश से चुने गये नेताओं के बारे में तो सब कुछ सार्वजनिक होता ही है। पर इन दिनों उल्टा चल रहा है। मुख्यमंत्री और काम करने वाले मंत्री जेल में हैं। संवैधानिक पद पर बैठे लोग अपने पद का लाभ उठा रहे हैं। पर दिल्ली के राज्यपाल को मारपीट के पुराने मामले में राहत मिली हुई है और अब राज्यपाल का मामला है।

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द टेलीग्राफ में संबंधित खबर के फ्लैग शीर्षक के अनुसार राज्यपाल ने अपने कर्मचारियों से कहा है कि पुलिस के फोन कॉल को नदरअंदाज करें औऱ उन्होंने जांच को रोक दिया है। और इसके लिए संवैधानिक प्रतिरक्षा की आड़ ली है। दूसरी ओर, पूर्व प्रधानमंत्री के पुत्र और प्रपौत्र के मामले में वीडियो सार्वजनिक होने के बाद से उसकी शिकार और पीड़ित महिलाओं की पहचान भी सार्वजनिक हो गई है। इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित एक खबर के अनुसार ऐसी महिलाओं के लिए घर छोड़ना मुश्किल है। वे बाहर निकलती हैं तो डर और शर्म के साथ। जिनलोगों ने अपने घर में पति और दूसरे लोगों को नहीं बताया था उनके लिए घर में समस्या है उनके लिए अपने ही लोगों से समस्या है और सैकड़ों महिलायें यह सब झेल रही हैं। पुरुष, पत्नियों से पूछ-ताछ कर रहे हैं और यह दूसरे अखबारों के लिए पहले पन्ने की चिन्ता नहीं है। भाजपा उम्मीदवार के रूप में तो प्रज्वल का समर्थन कर रही है पर उसके पीड़ितों के लिए कुछ कर रही है ऐसी खबर नहीं है।

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