अंकित द्विवेदी : भारतीय सेना ने ना सिर्फ 20 आतंकियों को मार गिराया है बल्कि हफीज सईद और दाऊद को भी अपने साथ घसीटकर लायी है पर ये बात आपकों बिकाऊ मीडिया नहीं बतलायेगी। हिट्स-क्लिक पाने के चक्कर में “द क्विंट” नाम की वेबसाइट ने कल देर रात पीओके में घुसकर 20 को मार गिराए जाने की ख़बर प्रकाशित की थी जिसे सेना ने नकार दिया है और कहा है कि ऐसा कोई आपरेशन नहीं हुआ है.. अभी तक किसी न्यूज एजेंसी ने भी इसकी पुष्टि नहीं की है… इसलिए माना जा रहा है कि बढ़ते जनआक्रोश को कम करने के लिए ये ख़बर प्लांट कराई गई है.. वरना इसमें थोड़ी भी सच्चाई होती तो अब तक तमाम चैनल के रिपोर्टर, जो कश्मीर में मुस्तैद हैं, उनकी तरफ से भी इसकी पुष्टि जरूर होती.. बाकी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने इस खबर का गलत बताते हुए विस्तार से छाप ही दिया है…
Krishna Kant : टीवी संभाल कर देखें। आप बोफोर्स या मोर्टार की चपेट में आ सकते हैं। सारे एंकर और रिपोर्टर अपने संपादकों के साथ सीमा पर तैनात हैं। दुश्मन देश को घेर लिया है। घुस घुस के मार रहे हैं। जैसे म्यांमार में घुस कर मारा था। भारत की सरकार और सेना इतनी फूहड़ बहादुरी से लैस है कि पाकिस्तान की सीमा में घुस कर मारा भी और मीडिया को बता भी दिया। वाह जी वाह। स्टूडियो में तेलिया मसान खोपड़ी का नजरबंद खेल चल रहा है।
Nitin Thakur : अब सावधान रहने का वक्त है। म्यांमार की तरह सीमा पार करके किए गए खुफिया ऑपरेशंस की खबर बा़ढ़ की तरह आएंगी। ये खबरें ऐसी होंगी जिन्हें ना पाकिस्तान मानेगा (जैसा म्यांमार ने नहीं माना था) और ना भारतीय सेना औपचारिक तौर पर घोषित ही करेगी। सरकारों को अपनी इज़्ज़त बचाने के लिए ऐसी खबरों को प्लांट करने की ज़रूरत अक्सर पड़ती है। भारत के लिए नया हो सकता है। कार्रवाई ठोस होनी चाहिए और वाकई होनी चाहिए तभी उन 18 को इंसाफ मिलेगा।
Dhruv Gupt : पाकिस्तान के ‘प्रॉक्सी वार’ के मुकाबले अब लीजिए भारतीय मीडिया के ‘ड्रीम वार’ के मज़े ! परसो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने उरी में घुसपैठ की कोशिश कर रहे दस पाकिस्तानी आतंकियों को मार गिराया था। इस बुरी तरह मारा कि लाश एक की भी नहीं मिली। आज सबेरे-सबेरे प्रिंट मीडिया के एक हिस्से ने उससे भी कड़ी कार्रवाई करते हुए पाक अधिकृत कश्मीर में घुस कर न सिर्फ आतंकियों के कई ट्रेनिंग कैम्पों को ध्वस्त कर दिया, बल्कि बीस से पचास आतंकियों को भी सस्ते में मार गिराया। मीडिया के इस हमले का डर ऐसा कि दुनिया में भारत के इस ‘सर्जिकल ऑपरेशन’ की कहीं कोई चर्चा तक नहीं। पाकिस्तान को भी हिम्मत नहीं हुई भारतीय घुसपैठ के खिलाफ़ कुछ बोलने की। आज एक चैनल ने बाक़ायदा अपने स्टूडियो में ‘वार रूम’ भी बना लिया है। लगता है आज रात पाक के हवाई ठिकानों को नेस्तनाबूद करके ही दम लेगा। एक दूसरे चैनल ने तो ज्यादा से ज्यादा अगले बीस दिनों में पाकिस्तान के खात्मे का भी विधिवत ऐलान कर दिया है। आईए, मीडिया के साथ हम भी गांजा पीकर इस युद्धोन्माद के मज़े लें। ज़मीन के बज़ाय ख़्वाबों में ही पाक को निबटा देना बेहतर विकल्प है।
Manmohan Sharma : सच क्या है? गत दो दिनों से मोदी भक्त फेसबुक पर यह धुआँधार प्रचार कर रहे हैं कि मोदी जी के आदेश पर सेना ने युद्धविराम रेखा को पार करके पाक अधिकृत कश्मीर स्थित आतंकवादियों के शिविरों पर धावा बोल दिया है। सेना ने पांच शिविरों को नष्ट कर दिया। 20 आतंकवादी मारे गए और 200 से अधिक घायल हो गए। टाइम्स आफ इंडिया (अहमदाबाद संस्करण) ने आज इस बात का खंडन किया कि भारतीय सेना ने पाक अधिकृत कष्मीर में घुसकर कोई सैनिक कार्रवाई की है। खास बात यह है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने भी न्यूयार्क में भाषण देते हुए भारतीय सेना की इस कार्रवाई का कोई उल्लेखन नहीं किया। देशवासी यह जानना चाहते हैं कि पाक अधिकृत कश्मीर में की गई सैनिक कार्रवाई की सच्चाई क्या है? क्या फेसबुकियों ने यह समाचार मोदी की लाज बताने के लिए तो नहीं उड़ाया था। ज्ञातव्य है कि गत वर्ष भी यह दावा किया गया था कि सेना के पैरा डिविजन के सैनिकों ने म्यांमार की सीमा में घुसकर नागा विद्रोहियों के शिविर पर हमला करके अनेक गुप्त शिविरों को तहस-नहस कर दिया था। बाद में म्यांमार सरकार ने इस समाचार का जोरदार ढंग से खंडन किया था। क्या देशवासियों के सामने पाक अधिकृत कश्मीर में की गई भारतीय सैनिकों की सैनिक कार्रवाई उजागर होगी?
Pankaj Chaturvedi : क्या भारतीय सेना ने पीओके में घुसकर मारे 20 आतंकी? बुधवार देर रात एक न्यूज वेबसाइट ‘द क्विंट’ ने अचानक यह खबर जारी करके मीडिया जगत में सनसनी फैला दी कि भारतीय सेना के जवानों ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) की सीमा में घुसकर तीन आतंकी कैम्पों को तबाह किया और 20 आतंकी मार गिराए. समाचार लिखे जाने तक इस हमले की किसी अन्य स्रोत से पुष्टि नहीं हो सकी. ‘द क्विंट’ की खबर के मुताबिक 20-21 सितंबर की दरमियानी रात अंजाम दिए गए इस बेहद गोपनीय मिशन में एलिट 2 पैराज के 18-20 कमांडोज की दो यूनिट्स ने सैन्य हेलीकॉप्टर में सीमा पार कर कहर बरपा दिया. वेबसाइट ने सैन्य सूत्रों के हवाले से यह खबर जारी करते हुए दो अन्य स्वतंत्र सूत्रों से भी खबर की पुष्टि का दावा किया है.
‘द क्विंट’ के मुताबिक भारत की ओर से पीओके में जोरदार हमले के संकेत इसी बात से मिल गए थे कि 20 सितंबर की रात को पाकिस्तान ने पीओके के ऊपर ‘नो फ्लाय जोन’ घोषित कर दिया था. पाकिस्तान की राष्ट्रीय विमानन कंपनी पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (पीआईए) ने पीओके के गिलगित और स्कादरू शहरों और खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत समेत उत्तर पाकिस्तान के तमाम शहरों को जाने वाली फ्लाइट्स ‘एयरस्पेस के कुछ प्रतिबंधों’ के चलते रद्द कर दी थी. ‘द क्विंट’ के मुताबिक पीआईए के प्रवक्ता दानयाल गिलानी ने मंगलवार देर शाम सूचना ट्वीट की थी कि उत्तरी इलाके में एयरस्पेस में कतिपय प्रतिबंधों के चलते पीआईए ने 21 सितंबर की गिलगिट, स्कादरू और चित्राल की सारी फ्लाइट्स रद्द कर दी है. असुविधा के लिए खेद है. वेबसाइट के मुताबिक मीडिया में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के अपने संबोधन को लेकर जब सेना प्रमुख जनरल राहिल शरीफ से बात की तो उसमें सीमा पार से भारत द्वारा किए गए सटीक और घातक हमले का भी जिक्र हुआ. इससे पहले आज सुबह रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा था कि उड़ी आतंकी हमले के मामले में तुरत-फुरत कार्रवाई की जरूरत महसूस की जा रही है.
उधर युद्ध के लिए आतुर एबीपी न्यूज एक बेहद गोपनीय खबर को सार्वजनिक कर रहा है कि प्रधान मंत्री ने दो घंटे “वार रूम” में बिठाये. उन्हें रेट के मोडल से आतंकी केम्प के मोडल बताये गए और उन पर हमले का प्लान भी, पकिस्तान इतना बेव्कोफ़ तो हो नहीं सकता कि वह अभी भी उन जगहों पर ट्रेनिंग केम्प चला रहा होगा? बहरहाल इस वेबसाईट की खबर का वाट्स अप्प और अन्य माध्यम पर प्रचार तेजी से हे, जो चमन चिंटू अभी कुछ दिनों से सांप सूंघे जैसे थे, अब उछल रहे हैं. हालांकि ऐसा हुआ तो बहुत अच्छा हे, पकिस्तान इसी तरह की भाषा समझता हे, उसकी घर में घुस कर ठुकाई जरूरी है, लेकिन यदि यह अफवाह हे तो बेहद गंभीर मामला है.
Sushant Jha : The Quint is reporting something very serious ‘Exclusive: Uri Avenged, Spl Forces Cross LoC; Kill 20 Terrorists’ which is not available on other media sites. I believe it is a responsible news organization but how can it goes so far…. एक खबर का कितना असर होता है. क्विंट की इकलौती खबर के बाद से कथित भक्त थोड़े से संभल गए हैं और कथित प्रति-भक्त सदमे में है. खबर में कितनी सचाई है राम जाने, लेकिन पूरी टाईम-लाइन का चरित्र बदला-बदला सा नजर आता है!
क्विंट के प्रमोटर राघव बहल हैं. पूर्व कांग्रेसी. युवा कांग्रेस में थे. नेहरु युवा केंद्र में भी. बाद में मीडिया हाऊस शुरू किया. उन्हें ‘सीरियल आंतरप्रेन्योर’ कहा जाता है. CNN-IBN जैसा विख्यात चैनल और नेटवर्क-18 उन्हीं का था. बाद में उन्होंने अंबानी को बेच दिया. उनके चैनल में ढेर सारे बड़े पत्रकार हुए. हर रंग के. कांग्रेसी, वामी और भाजपाई भी. कल की क्विंट की खबर पर डर के मारे वामी और कांग्रेसी उनकी आलोचना नहीं कर पा रहे हैं. पुराने मालिक थे, भविष्य में भी संभावना खुल सकती है. पता नहीं, कल वाली क्विंट की खबर में कितना दम है. लेकिन अगर वो खबर इंडिया टीवी जैसे किसी अन्य ग्रुप से आयी होती तो उस हाऊस का वामी क्या हाल करते? कल्पना कीजिए. नोट- इस पोस्ट का उद्येश्य किसी का दिल दुखाना नहीं है.
Sanjaya Kumar Singh : सूत्र हैं, गलतियां करते हैं। फिर भी उन्हें पालना पड़ता है। सूत्रों के हवाले से जनसत्ता दाउद इब्राहिम को वर्षों पूर्व मार चुका है। बैनर हेडलाइन थी।
Ajay Prakash : एक आदमी के खिलाफ भ्रामक खबर लिखने या दिखाने पर मानहानी होती है पर पूरे देश को भ्रम में डालने वाली खबरों को दिखाने या लिखने पर क्या सजा होती है?
Pushya Mitra : आर्मी वाले सर्जिकल ऑपरेशन की भी प्रेस ब्रीफिंग करते हैं क्या? या यह क़ुबूल कर सकते हैं कि हमने इस ऑपरेशन को अंजाम दिया है। डिफेन्स बीट कवर करने वाले हमलोगों के इस भ्रम को दूर कर सकते हैं।
सौजन्य : फेसबुक