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मालचन्द तिवाड़ी व रवीश कुमार को सृजनात्मक गद्य के लिए पुरस्कार

विश्व पुस्तक मेले के आठवें दिन राजकमल प्रकाशन समूह द्वारा राजकमल प्रकाशन सृजनात्मक गद्य सम्मान (वर्ष 2014-15) के लिए चयनित कृतियों के नामों की घोषणा की गयी। इस साल 28 फरवरी को राजकमल प्रकाशन के 66वें स्थापना दिवस के अवसर पर यह पुरस्कार संयुक्त रूप से मालचन्द तिवाड़ी की कथेतर कृति ‘बोरूंदा डायरीः अप्रतिम बिज्जी का विदा-गीत’ व रवीश कुमार के नैनो फिक्शन के सचित्र चयन ‘इश्क़ में शहर होना’ को दिया जाएगा।

<p>विश्व पुस्तक मेले के आठवें दिन राजकमल प्रकाशन समूह द्वारा राजकमल प्रकाशन सृजनात्मक गद्य सम्मान (वर्ष 2014-15) के लिए चयनित कृतियों के नामों की घोषणा की गयी। इस साल 28 फरवरी को राजकमल प्रकाशन के 66वें स्थापना दिवस के अवसर पर यह पुरस्कार संयुक्त रूप से मालचन्द तिवाड़ी की कथेतर कृति ‘बोरूंदा डायरीः अप्रतिम बिज्जी का विदा-गीत’ व रवीश कुमार के नैनो फिक्शन के सचित्र चयन ‘इश्क़ में शहर होना’ को दिया जाएगा।</p>

विश्व पुस्तक मेले के आठवें दिन राजकमल प्रकाशन समूह द्वारा राजकमल प्रकाशन सृजनात्मक गद्य सम्मान (वर्ष 2014-15) के लिए चयनित कृतियों के नामों की घोषणा की गयी। इस साल 28 फरवरी को राजकमल प्रकाशन के 66वें स्थापना दिवस के अवसर पर यह पुरस्कार संयुक्त रूप से मालचन्द तिवाड़ी की कथेतर कृति ‘बोरूंदा डायरीः अप्रतिम बिज्जी का विदा-गीत’ व रवीश कुमार के नैनो फिक्शन के सचित्र चयन ‘इश्क़ में शहर होना’ को दिया जाएगा।

एक तरफ ‘बोरूंदा डायरी’ ने अप्रतिम कथाकार विजयदान देथा के जीवन के अंतिम 11 महीनों का मर्मपूर्ण, जीवंत और प्रामाणिक चित्र उकेरा है और उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को समझने के अचूक सूत्र दिए हैं, वहीं दूसरी तरफ इसके सरस, काव्यात्मक व आत्मीय गद्य ने अपने पाठकों व आलोचकों का मन मोहा है। ‘इश्क़ में शहर होना’ सोशल मीडिया से उपजा साहित्य है जिसने प्रिंट माध्यम में नए कलेवर में आने के बाद हिंदी साहित्य के पारंपरिक पाठक समाज के दायरे का अतिक्रमण करते हुए नए पाठक समूह को आकर्षित किया है और अल्प समय में अपना व्यापक प्रभाव छोड़ा है। इसके पीछे इसकी आंतरिक शक्ति इसके गद्य के आस्वाद में है। जो जितना अपने समय को समेटे हुए है उतना ही शब्दों के बर्ताव में मितव्ययी है। काव्यात्मक लहजे में छोटे-छोटे वाक्य अर्थ-प्रभाव में गहरे हैं।साधारणता का यह सौंदर्य ही पाठकों को भरोसे में ले पाने में इसको सक्षम बनाता है।

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यह पुरस्कार अब तक किसी एक कृति को ही दिया जाता रहा है लेकिन इस बार डॉ. नामवर सिंह की अध्यक्षता में गठित निर्णायक मंडल ने दो कृतियों को इस पुरस्कार के लिए चयन किया। निर्णायक मंडल के सम्मानित सदस्य थे- वरिष्ठ कथाकार विश्वनाथ त्रिपाठी एवं मैत्रेयी पुष्पा।  इससे पहले यह पुरस्कार क्रमशः ‘चूड़ी बाजार में लड़की’ (कृष्ण कुमार), ‘ गांधीः एक असंभव संभावना’ (सुधीर चन्द्र),  ’व्योमकेश दरवेश’ (विश्वनाथ त्रिपाठी)’ को दिया जा चुका है।  पुरस्कारस्वरूप पुरस्कृत लेखक को श्रीमती शांति कुमारी वाजपेयी की स्मृति में उनके परिवार द्वारा 1 लाख रुपये की पुरस्कार राशि और राजकमल प्रकाशन द्वारा सम्मान पत्र भेंट किया जाता है।

आज मेले में सायं साढे चार बजे राजकमल प्रकाशन के स्टॉल पर पाठकों की ठसाठस भरी भीड़ के बीच विख्यात आलोचक नामवर सिंह, पाठकप्रिय कथाकार मैत्रेयी पुष्पा और मशहूर शायर-गीतकार जावेद अख्तर की उपस्थिति में इस पुरस्कार से पुरस्कृत कृतियों व लेखकों के नामों की घोषणा की गयी। स्टॉल में उपस्थित पाठक समुदाय ने तालियों की गड़गड़ाहट से इस घोषणा का स्वागत किया। उस समय स्टॉल में ‘इश्क़ में शहर होना’ के लेखक रवीश कुमार भी उपस्थित थे। उनको बधाई देते हुए जावेद अख्तर ने कहा कि मैं आपकी किताब की बहुत अधिक तारीफ व चर्चा उन लोगों से सुन चुका हूं जिन लोगों ने इसे पढ़ा है। मैं इस किताब को अब पढ़ रहा हूं आप तैयार रहिए आपको किसी भी दिन मेरी तरफ से फोन आ सकता है कि आपकी इन कहानियों पर मैं फिल्म बनाने जा रहा हूं।

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प्रेस विज्ञप्ति

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