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आयोजन

अरब की लड़कियों में ए आर रहमान के संगीत का जादू!

अजित राय, जेद्दा (सऊदी अरब)

सऊदी अरब के जेद्दा में आयोजित दूसरे रेड सी अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में भारतीय संगीतकार ए आर रहमान का जादू सिर चढ़कर बोल रहा है। करीब बीस हजार अरब स्त्री पुरुष आधी रात तक उनके गीतों पर थिरकते झूमते रहे। सऊदी अरब में ऐसा खुलापन पहले नहीं था। हजारों अरब लड़कियां ए आर रहमान के स्वर में स्वर मिलाते हुए स्लमडॉग मिलेनियर का वह आस्कर अवार्ड से सम्मानित मशहूर गीत गा रही थीं – जय हो जिससे यह कंसर्ट शुरू हुआ और ‘ छैंया छैंया’ जिससे यह कंसर्ट खत्म हुआ। इनमें कुछ ही लड़कियां बुरके और हिजाब में थी , बाकी ने आधुनिक ड्रेस पहन रखा था, और जाहिर है यहा ईरान की तरह कोई मोरल पुलिस नहीं थी जो उनके जूनून को रोक सके।

सऊदी अरब जैसे इस्लामी देश में जिसके बारे में पश्चिमी और भारतीय मीडिया में बहुत कुछ असुविधा जनक छपता रहा है, वहां भारतीय फिल्म संगीत के प्रति ऐसी दीवानगी चकित करती है। उन हजारों नौजवानों की भीड़ में लड़के लड़कियों ने छोटे छोटे ग्रूप बना लिए थे और ए आर रहमान के साथ सामूहिक स्वर में गाते हुए झूम रही थी। सऊदी अरब में ए आर रहमान का यह पहला कंसर्ट था और यहां के लोगों के लिए भी अपनी तरह का यह पहला मौका था। अरब लोगों के साथ हिंदुस्तानी पाकिस्तानी लोग भी बड़ी संख्या में उन्हें सुनने आए थे। लाल सागर के किनारे खुले में हजारों लाइटों के साथ विशाल मंच बनाया गया था जिसपर दर्जनों एलइडी स्क्रीन थी। वर्चुअल थ्री डी तकनीक के सहारे गाते हुए मंच पर ए आर रहमान की विशाल छवि दूर से भी दिखाई दे रही थी। कला और तकनीक का यह बेजोड़ संगम था।

ए आर रहमान को उस चांदनी धुली रात में अरब के विशाल समुद्र तट पर हजारों नौजवानों के साथ गाते हुए सुनना सचमुच एक अविस्मरणीय अनुभव है। जिस इस्लामी सऊदी अरब के बारे में भारत और पश्चिम में इतना कुछ लिखा पढ़ा जाता है, वहां संगीत के इस सूफी फकीर ने चमत्कार कर दिखाया। यहां न धर्म था, न देश – सबसे उपर बस संगीत था जो हमें आध्यात्मिक ऊंचाईयों तक ले जाता था, जैसे आसमान से ईश्वर अपना आशीर्वाद बरसा रहा हो। उनका संगीत मंच से उतरकर सीधे हमारी आत्मा को पवित्रता की खुशी से भर रहा था। समय खत्म होने के बाद भी अरबी लड़के लड़कियों की जमात रहमान को छोड़ नहीं रहीं थी और यह सिलसिला आधी रात के बाद तक जारी रहा।

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उन्होंने भारत के संगीत की शास्त्रीयता की बात की और राग यमन, भटियार, चारूकेशी, बिहाग, रीतिगवला, धरमावती, पूर्वा धनश्री, चलनाताई आदि पर आधारित अपनी फिल्मों के तमिल और हिंदी गाने सुनाए तो लगा कि शास्त्रीय संगीत में कितनी ताकत है। ‘ तू ही रे, आजा रे, चांद रे, तेरे बिना मैं कैसे जिऊं ( बांबे) हो या राधा कैसे न जले ( लगान) या फिर ‘ छैंया छैंया ( दिल से) सभी का मूल शास्त्रीय संगीत ही है। बीच बीच में उनकी लाजवाब कमेंटरी और उनके साथ खुशी से स्वर मिलाते अरब नौजवान।

यह एक ईश्वरीय दृश्य था जिसके हम साक्षी बने। ए आर रहमान के संगीत का जादू सदियों से बंद पड़े अरब समाज को न सिर्फ आजाद कर रहा था वल्कि उन्हें वैश्विक नागरिक बना रहा था। जिस सहजता से ए आर रहमान अरब लोगों से संवाद कर रहे थे, लग ही नहीं रहा था कि ये वही शख्स है जिन्हें दो दो बार आस्कर, ग्रैमी अवार्ड, गोल्डन ग्लोब और दुनिया भर के सम्मान मिल चुका है। वे इस समय दुनिया भर में भारत के सच्चे सांस्कृतिक राजदूत है। उन्होंने कहा भी कि ” कोरोना महामारी के बाद इतने सारे लोगों के बीच आकर गाते हुए विश्वास नहीं हो रहा है कि यह सच है। आपका शुक्रिया। ”

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