मुंबई के एक मराठी दैनिक लोकमत में ७ फरवरी को प्रकाशित उत्तर प्रदेश सरकार का एक सरकारी विज्ञापन मुंबई में रहने वाले उत्तर भारतीयों को काफी चुभ रहा है। इस मराठी दैनिक में दिये विज्ञापन में उत्तर प्रदेश सरकार ने लोगों से यूपी आने का आग्रह किया है और आग्रह के लिये जो विज्ञापन तैयार कराया गया है उसमें एक फेरीवाले को दिखाया गया है जो गुलाब जामुन बेच रहा है। इस विज्ञापन में स्लोगन दिया गया है ‘गुलाब जामुन खाईयेगा, चासनी भी मत छोड़ियेगा, यूपी जरूर आईयेगा’।
पर्यटन निदेशालय द्वारा जारी यह विज्ञापन कई सवाल खड़े कर रहा है। एक सवाल तो यह कि क्या उत्तर प्रदेश में सिर्फ फेरीवाले ही हैं। इस विज्ञापन में ताजमहल, गंगानदी, विश्वनाथ मंदिर, मथुरा, वृंदावन, आगरा का किला, गंगा आरती, संगम, बनारसी साड़ी को भी तो दिखाया जा सकता था जिसकी पूरी दुनिया दिवानी है और देशी विदेशी पर्यटक आज भी भगवान राम और कृष्ण की इस धरती पर आकर अभिभूत हो जाते हैं।
यहां उस्ताद विस्मिल्ला खान को क्या सरकार नहीं जानती। क्या कोई भी फेरीवालों से गुलाब जामुन खाने और चासनी चाटने यूपी जायेगा? इस विज्ञापन में उत्तर प्रदेश की जगह यूपी शब्द इस्तेमाल करके और यूपी के फेरीवालों को दिखाकर उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार आखिर पर्यटकों को आर्कषित करने के लिये मनसे प्रमुख राज ठाकरे की भाषा का इस्तेमाल तो नहीं कर रही है?
दूसरी चीज जिस तरह का गुलाब जामुन इस विज्ञापन में दिखाया गया है वह मुंबई के हर स्टेशन या स्टेशनों के बाहर आराम से मिलते हैं। ऐसे में कोई भी गुलाब जामुन खाने उत्तर प्रदेश (यूपी) क्यों जायेगा? यह विज्ञापन मुंबई के सिर्फ मराठी अखबारों में ही दिये गये। यह भी सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करती है। देखना है कि उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार इस विवादित विज्ञापन पर अपना पक्ष भी रखती है या जंगलराज में चुपचाप अपने कुनबे का मंगलराज मनाती चलाती रहती है।
मुंबई से पत्रकार शशिकांत सिंह की रिपोर्ट.