हिंदी पट्टी के दो बड़े अखबारों राजस्थान पत्रिका और दैनिक भास्कर से खबर है कि यहां मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से सेलरी मांगने वालों का प्रबंधन ने उत्पीड़न तेज कर दिया है. भास्कर प्रबंधन तो बौखलाहट में ऐसे ऐसे कदम उठा रहा है जिसे देख सुनकर सभी लोग दांतो तले उंगलियां दबा रहे हैं. पत्रिका प्रबंधन ने मजीठिया मांगने वाले एक मीडियाकर्मी को बर्खास्त कर दिया है. उन्हें जो पत्र भेजा गया है उसमें लिखा गया है कि– ”आपको कंपनी के क्लाज 3 के अनुसार तीन महीने का एडवांस नोटिस व एडवांस वेतन देकर सेवा से मुक्त किया जाता है. आपकी सेवाओं की अब कंपनी को जरूरत नहीं है. आप 27 फरवरी से खुद को सेवा से मुक्त समझें.”
इस तरह पत्रिका प्रबंधन अपने उन कर्मियों को नौकरी से निकालने में लगा है, जो मजीठिया वेज बोर्ड की मांग करते हुए कोर्ट गए हैं. ऐसा ही एक प्रकरण और है जिसमें कर्मी ने रिजाइन लेटर पर साइन करने से इनकार कर दिया. पत्रिका अजमेर के वरिष्ठ लेखाधिकारी कैलाश नारायण शर्मा ने प्रबंधन पर मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर केस कर रखा है. कैलाश नारायण शर्मा को पत्रिका प्रबंधन के लोगों ने जयपुर आफिस बुलाकर दुर्व्यवहार किया और इस्तीफे के पत्र पर जबरन हस्ताक्षर कराने की कोशिश की. शर्मा तीस वर्षों से पत्रिका में हैं लेकिन मैनेजमेंट उन्हें इनाम देने की जगह उन्हें प्रताड़ित करने में जुटा है.
उधर, भास्कर प्रबंधन अपने कदमों से जता रहा है कि उसे इस देश के किसी कानून, किसी संस्था, किसी नैतिकता, किसी मान्यता की कोई परवाह नहीं है. वह हर हाल में पैसे और सिर्फ पैसा के लिए काम कर रहा है, भले ही पैसे बचाने के चक्कर में सारी संस्थाएं, सारी मान्यताएं, सारे कानून, सारी नैतिकताएं ध्वस्त हो जाएं. खबर ये भी है कि मजीठिया से बचने के लिए भास्कर ने डीबी इन्फोमीडिया नामक कंपनी बना दी है. यह कंपनी वेब कंटेंट प्रोवाइडर कंपनी है, जो मजीठिया वेज बोर्ड के दायरे में नहीं आती. इसका मुख्यालय भोपाल बनाया गया है. डीबी कार्प एक प्रकाशन कंपनी है, जो मजीठिया वेज बोर्ड के दायरे में आती है. सूत्रों के मुताबिक डीबी कार्प के कम तनख्वाह वालों से इस्तीफा लेकर उन्हें नई कंपनी में ज्वाइन कराया जा रहा है.