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उत्तर प्रदेश

यादव सिंह मामले की सीबीआई जांच कराने के लिए पीआईएल में नोटिस जारी

सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर द्वारा यादव सिंह प्रकरण की सीबीआई जांच के लिए दायर पीआईएल में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने केंद्र सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार तथा सीबीआई को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 20 जनवरी 2015 को होगी. चीफ जस्टिस डॉ डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस मनोज मिश्र की बेंच ने डॉ ठाकुर के अधिवक्ता अशोक पाण्डेय की दलील सुनने के बाद इनकम टैक्स विभाग और ईडी को भी अब तक की कार्यवाही का ब्यौरा देने को कहा है. साथ ही नॉएडा अथॉरिटी को अपना पक्ष रखने को कहा गया है. कोर्ट ने यादव सिंह को भी पार्टी बनाने के निर्देश दिए.

<p>सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर द्वारा यादव सिंह प्रकरण की सीबीआई जांच के लिए दायर पीआईएल में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने केंद्र सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार तथा सीबीआई को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 20 जनवरी 2015 को होगी. चीफ जस्टिस डॉ डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस मनोज मिश्र की बेंच ने डॉ ठाकुर के अधिवक्ता अशोक पाण्डेय की दलील सुनने के बाद इनकम टैक्स विभाग और ईडी को भी अब तक की कार्यवाही का ब्यौरा देने को कहा है. साथ ही नॉएडा अथॉरिटी को अपना पक्ष रखने को कहा गया है. कोर्ट ने यादव सिंह को भी पार्टी बनाने के निर्देश दिए.</p>

सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर द्वारा यादव सिंह प्रकरण की सीबीआई जांच के लिए दायर पीआईएल में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने केंद्र सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार तथा सीबीआई को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 20 जनवरी 2015 को होगी. चीफ जस्टिस डॉ डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस मनोज मिश्र की बेंच ने डॉ ठाकुर के अधिवक्ता अशोक पाण्डेय की दलील सुनने के बाद इनकम टैक्स विभाग और ईडी को भी अब तक की कार्यवाही का ब्यौरा देने को कहा है. साथ ही नॉएडा अथॉरिटी को अपना पक्ष रखने को कहा गया है. कोर्ट ने यादव सिंह को भी पार्टी बनाने के निर्देश दिए.

डॉ ठाकुर ने पूर्व में एक हाई कोर्ट आदेश के क्रम में पीआईएल दायर करते समय 25,000 रुपये जमा किये थे, जिसे कोर्ट ने मामले को जनहित का मानते हुए वापस करने के भी आदेश दिए. पीआईएल में कहा गया था कि इस मामले में राज्य सरकार की पूर्ण निष्क्रियता साफ़ दिख रही है. साथ ही मुलायम सिंह, मायावती और अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री काल में उन्हें राजनेताओं और बड़े नौकरशाहों द्वारा दिया गया प्रत्यक्ष और परोक्ष संरक्षण पूरी तरह स्पष्ट है. अतः इस मामले की निष्पक्ष विवेचना मात्र सीबीआई द्वारा ही संभव दिखती है. डॉ ठाकुर ने इसके अलावा रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एक न्यायिक समिति बना कर यादव सिंह से जुड़े प्रत्येक पहलू की जांच कर दोषियों का उत्तरदायित्व निर्धारित करने और भविष्य में ऐसी स्थितियों को रोकने के लिए उपाय तय करने की भी प्रार्थना की थी.

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