अमावस की एक रात… गोवर्द्धन परिक्रमा मार्ग… यशवंत को एक भिखारी का भूखदान

Share the news

मथुरा वृंदावन कई बार जा चुका हूं. गोवर्द्धन व बरसाना इस बार जाना हुआ. ये सब मथुरा जिले में ही है. गोवर्द्धन में सात कोसी यानि 21 किमी परिक्रमा की परंपरा है. मैं अमावस की रात 12 किमी पैदल टहला. अदभुत लगा. नाइट आउट की इतनी मजेदार जगह मुझे आजतक नहीं मिली. तरह तरह के लोग. ढेर सारी दुकानें. आस्था और आधुनिकता एक साथ नंगे पांव.

गोवर्द्धन और बरसाना की यात्रा करने लायक और लिखने लायक है, बशर्ते आप मौज में रहें. वरना दिमाग लड़ाएंगे तो तनाव भी बहुत पाएंगे. क्योंकि जिस कदर धर्म का बाजारीकरण हुआ है, वह दिखाता है कि भयंकरतम लूट व शोषण इन आस्था की दुकानों में हो रही है. गोवर्धन में मंदिर का ठेका उठता है हर महीने. 68 लाख इस महीने का है. इतना देना ही देना है. इसके बाद जो बचेगा वह ठेका लेने वाला रखेगा. सोच लीजिए. ठेकेदार किन किन तरीकों से भक्तों को उत्प्रेरित करता होगा कि वह पैसा निकालें और भगवान के चरणों में डालें. यह धर्म का बाजारीकरण है. इसके ढेर सारे साइड इफेक्ट्स हैं. ये अलग विषय है. मैं तो अपनी मौज में गया था और अपने तरीके से ढेर सारा आनंद, उर्जा लेकर लौटा हूं.

तो बता रहा था कि मैं गोवर्द्धन था. अमावस की एक रात परिक्रमा मार्ग पर अवतरित हुआ. मथुरा के इस धार्मिक स्थल गोवर्द्धन की महत्ता गिरिराज जी की परिक्रमा में निहित है. 21 किलोमीटर की लंबी गोलाकार परिक्रमा करने भक्त जन दूर दूर से आते हैं. सबसे ज्यादा भीड़ पूर्णिमा की रात होती है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि कृष्ण पूर्णिमा की रात रास रचाते थे इसलिए पूर्णिमा की शुभ रात परिक्रमा लगाने वालों की संख्या बहुत ज्यादा होती है. अमावस की काली रात भीड़ बहुत कम होती है. ऐसे ही एक कम भीड़ वाली रात मैं करीब 9 बजे परिक्रमा शुरू करता हूं, अकेले. सुबह करीब तीन बजे तक बारह किमी की यात्रा कंप्लीट कर पाया और कमरे पर लौट गया.

इस रोमांचक यात्रा के दौरान थकान इसलिए महसूस नहीं हुई क्योंकि हर पल बिलकुल नया नया अनुभव होता रहा. जगह जगह चाय पान खाने की दुकानों के कारण सुस्ताने के भरपूर मौके थे. 20 साल का छैल बिहारी मिला जो गोर्वद्धन के पड़ोस में डींग (राजस्थान के भरतपुर जिले का हिस्सा) का निवासी है और चाय की दुकान चलाता है. मोबाइल पर मुकेश के गानों के साथ हाथ में लिए ढपली से ताल भिड़ाता अकेला चला जा रहा था. जब उससे मुलाकात हुई तो हम दोनों पक्के वाले दोस्त बन गए. फिर तो वह पूरी रात मेरे साथ रहा. वह मेरा पक्का वाला कैमरामैन बन गया.

इसी तरह रास्ते में नंगे पांव परिक्रमा करते और राधा रानी के गीत मोबाइल के जरिए सुनते, देश दुनिया के बारे में बतियाते मिले तीन नौजवान. तीनों मार्केटिंग फील्ड के. काफी दूर तक इनसे बातचीत हुई. ये लोग मीडिया से लेकर राजनीति तक के क्षेत्र के बारे में अच्छी खासी जानकारी रखते हैं. परिक्रमा मार्ग पर लगातार बैठे मिलते साधुओं भिखारियों बुजुर्गों निराश्रितों बंदरों से इंटरैक्शन का सतत सिलसिला चलता रहा.

इटावा के भगवान सिंह परिक्रमा का बेहद कठिन वाला रास्ता पकड़े हैं जो साल भर में पूरा होगा. उनसे बातचीत के जरिए पता चला कि लोग इस जगह के प्रति कितनी आस्था रखते हैं और किस तरह किन्हीं आस्थाओं और अपनी मेहनत के दम पर उन्होंने जीवन में मुश्किल दिनों को खत्म किया. एक ऐसे हठयोगी तपस्वी मिले जिनकी कठिन परिक्रमा देख मेरे रोंगटे खड़े हो गए. उनसे बात करने, उन्हें बुलवाने की बहुत कोशिश की लेकिन वे कुछ न बोले. चलते चलते एक ऐसे बुजुर्ग भिखारी दंपति मिले जो लिट्टी पका रहे थे. वो बिहार के थे. उनकी पत्नी जो दस साल पहले यूं ही संपर्क में आ गईं और पत्नी की हैसियत से साथ रहने लगीं, कोलकाता की रहने वाली हैं. इन दोनों ने मुझे खाना खिलाया, बड़े प्यार से.

इनके साथ करीब घंटे दो घंटे बैठा बतियाता रहा. इन बुजुर्ग भिखारी दंपति को दो सौ रुपये दिया, प्यार से बिठाने-खिलाने के कारण. रास्ते भर उन उन लोगों को सौ पचास दस बीस देता रहा जो जेनुइन भक्त भिखारी बुजुर्ग गरीब लगे. बुजुर्ग भिखारी दंपति ने अपनी कई कथाएं बताईं. एक रात कुछ लोग आए. उनसे बनवा कर खाया. फिर जो कुछ भी पैसा भीख से मिला था, वह छीन ले गए. ऐसे ही एक और कथा. अक्सर ऐसे सेठ लोग आ जाते हैं रात में जो हर भिखारी को हजार रुपये और एक एक कंबल दे जाते हैं.

असली बातें कैमरा बंद होने के बाद हुईं क्योंकि लोग सहज ही तब हो पाए जब कैमरे का फ्लैश बंद हुआ और मैं खुद सहजता के साथ उनसे कनेक्ट होकर हंसते बतियाते खुलता खोलता गया. गोवर्द्धन में किसी रात उन नास्तिक लोगों को भी जरूर परिक्रमा में हिस्सा लेना चाहिए जिन्हें नींद न आती हो, डिप्रेशन के शिकार हों, पेट निकल रहा हो, जीवन में नएपन की तलाश हो, सब कुछ बोरिंग रुटीन सा लग रहा हो…

गोवर्द्धन परिक्रमा मार्ग पर रात में आप हर पल नया फील करेंगे. लगातार जलती लाइटें, सुरक्षा के ठीकठाक बंदोबस्त, लगातार चलते भक्तगण, चाय पान और खाने की दुकानें.. इस सबके कारण अनवरत चलने के बावजूद थकान महसूस न करेंगे. यहां चार कोसी यानि 12 किमी और सात कोसी यानि 21 किमी के दो अलग अलग परिक्रमा पैमाने हैं. दोनों पैमाने एक राह पर हैं. अगर आप 12 किमी के बाद थका महसूस करेंगे तो एक शार्टकट से फिर उसी जगह लौट आएंगे जहां से चले थे. संपूर्ण परिक्रमा मार्ग 21 किमी का है. आप आनलाइन बैठे बैठे ही गोवर्द्धन परिक्रमा मेरे साथ कर सकते हैं, मेरे द्वारा शूट किए गए ढेर सारे मोबाइल वीडियोज देखकर. इन वीडियोज के लिंक नीचे कमेंट बाक्स में दिए जा रहे हैं. उम्मीद करता हूं कि आप सबको मजा आएगा. अगली पोस्ट बरसाना के बारे में होगी. 

इन वीडियो को जरूर देखें> नीचे क्लिक करें> 

इस तपस्वी का हठयोग देख दंग रह जाएंगे (वीडियो)

अन्य संबंधित तस्वीरें और वीडियो देखने के लिए नीचे क्लिक करें>

इन्हीं बुजुर्ग भिखारी दंपति ने प्रेम से लिट्टी यानि बाटी चोखा चटनी खिलाया…

इस बुजुर्ग भिखारी दंपति तक पहुंचने से लेकर इनसे हुई बातचीत सुनने देखने के लिए इन लिंक पर एक एक कर क्लिक करें>

गोवर्द्धन परिक्रमा मार्ग लाइव वीडियो

बुजुर्ग भिखारी दंपत्ति का भूखदान

अगली स्लाइट में देखें> मोबाइल में मुकेश और हाथ में ढपली…



भड़ास का ऐसे करें भला- Donate

भड़ास वाट्सएप नंबर- 7678515849



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *