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बधाई हो! यशवंत के दसवें फ्लोर वाले फ्लैट में दो बच्चे हुए हैं, देखें वीडियो

यशवंत

जीवन की जिजीविषा

जीवन बहुत मुश्किल हालात में भी पनपता रहता है। मैं दसवें फ्लोर पर रहता हूँ और यहां कबूतरी ने दो बच्चे उगा दिए। टू बीएचके वाले घरों में कितनी जगह होती है, आप जानते हैं। बालकनी तक भरी अंटी होती है सामान से। पर एक बालकनी के चप्पल-जूता स्टैंड के बीच वाले फ्लोर को कबूतरी जी ने अंडा देने के लिए उपयुक्त जगह मानकर कब्जा कर लिया।

अंडा जब दे दिया तो पूरे अधिकार भाव से उस जगह को अपना इलाका घोषित कर दिया। घर में भी ये आम राय बन गई कि उस जगह को कबूतरी माते के लिए आरक्षित कर दिया जाए। श्रीमती जी एक दफे साफ सफाई के मकसद से थोड़ा नजदीक गईं तो कबूतरी जी ने दोनों पंख फैला-फुलाकर ऐसा कस के फड़फड़ाया हल्ला मचाया कि मारे घबराहट के भाग खड़ी हुईं।

ये एक मां का रौद्र रूप था, अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए किसी हद तक चले जाने की मनःस्थिति। कड़ी धूप में कबूतरी का अधिकतम वक्त अंडों के उपर बैठ कर ही बीतता। हम लोग पंद्रह दिन के लिए गांव गए और लौट कर पहली जुलाई को आए तो अंडे अब बच्चे बन चुके थे। आंधी के कारण जूता चप्पल स्टैंड के ऊपर वाले फ्लोर का कपड़ा कागज बैनर आदि उड़ चुका था जो धूप से बचाने के काम आता था। हम लोगों ने वहां जूते का एक खाली डिब्बा और एक अन्य गत्ते का बड़ा खाली डब्बा रख दिया। धूप से काफी राहत मिल गयी।

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बच्चे जो मरगिल्ले से हो गए थे, अब थोड़े हरियरा गए हैं। रात देखा कबूतरी दोनों बच्चों को अपने नीचे दबाकर बैठी थी। मां की ऊष्मा खींच रहे बच्चे ये नहीं जानते कि उनको जन्माने के लिए उनकी मां ने कितना बड़ा रिस्क लिया। आमतौर नकचढ़ शहरी साफ सफाई के नाम पर चिड़ियों के घोंसले उजाड़ते अंडे फेंकते रहते हैं। हमें दूसरी प्रजातियों के प्रति सेंसेटिव होना चाहिए। कोई घर सिर्फ हमारा नहीं होता। यही धरती करोड़ों अरबों प्रजातियों के लिए घर है लेकिन सब तेजी से विलुप्त हो रहे, सिवाय मनुष्य के।

देखें संबंधित वीडियो

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https://www.facebook.com/yashwant.bhadas4media/videos/2363777587244489/

भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह की एफबी वॉल से.

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4 Comments

4 Comments

  1. deoki nandan mishra

    July 5, 2019 at 12:44 pm

    bahut bahut badhai bhai ji

  2. Manmohan

    July 5, 2019 at 2:49 pm

    बधाई…. बहुत बढ़िया …… विश्लेषण….
    श्आमतौर नकचढ़ शहरी साफ सफाई के नाम पर चिड़ियों के घोंसले उजाड़ते अंडे फेंकते रहते हैं। हमें दूसरी प्रजातियों के प्रति सेंसेटिव होना चाहिए। कोई घर सिर्फ हमारा नहीं होता। यही धरती करोड़ों अरबों प्रजातियों के लिए घर है लेकिन सब तेजी से विलुप्त हो रहे, सिवाय मनुष्य के।

  3. कृष्ण कुमार द्विवेदी

    July 5, 2019 at 10:13 pm

    बधाई हो

  4. पुनीत

    July 7, 2019 at 10:06 am

    दो वर्ष पूर्व करनाल स्थित मेरे घर के बेडरुम के दरवाजे के ऊपर वेंटिलेटर पर दो अंडे रखे थे। एक अंडा खराब हो गया दूसरे से नन्हें ने जन्म लिया, जून में। जुलाई में इन दिनों ले उड़ी। शुभ संकेत है। अवश्य कुछ अच्छा होगा।

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