सुरेश प्रताप सिंह-
खबर की औकात और पत्रकारिता… बनारस से प्रकाशित “हिन्दुस्तान” अखबार की 15 मई की दो खबरों को देखिए. एक खबर है कि “कोरोना से लड़ेंगे भी और जीतेंगे भी : मोदी” यह पहले पेज की दूसरी लीड है. और दूसरी खबर है कि “समस्या : पीएमओ तक पहुंचा टीकाकरण से उपजा असंतोष”, यह खबर दूसरे पेज की लीड है.
दूसरे पेज की लीड खबर में बताया गया है कि “पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन की उपलब्धता न होने से सेंटरों से लौट रहे लोग, प्रशासन ने भेजी रिपोर्ट”..! दूसरी खबर का संबंध उन हजारों लोगों से है जो कोरोना से बचाव की कोशिश में टीका लगवाना चाहते हैं लेकिन प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र बनारस में ही वैक्सीन उपलब्ध नहीं है. अभी दो दिन पहले यूपी के सीएम योगी बनारस आए थे और कोरोना से लड़ाई की तैयारी का जायजा लिए, तब यह दशा है.
जिस खबर को पहले पेज पर स्थान मिला है, एक तरीके से वह प्रधानमंत्री के “मन की बात” है. किसी भी बीमारी का डाॅक्टर इलाज करते हैं, उससे लड़ाई नहीं की जाती है. जिस खबर को पृष्ठ – 2 पर जगह मिली है, उसे पहले पेज पर होना चाहिए था, क्योंकि उसका रिश्ता हजारों लोगों से है.
कोरोना को तो प्रधानमंत्री एक बार पराजित करने का दावा विदेशी मंच पर कर चुके हैं. उस दावे का भी खबर में जिक्र होना चाहिए था. तब..! इस खबर की असलियत को पाठक आसानी से समझ जाते. सिर्फ सूचना देना ही खबर नहीं है, बल्कि उसका विश्लेषण भी होना चाहिए. अब तो पाठकों को सही सूचना भी नहीं मिल रही है और बड़ी होशियारी से खबरों की असलियत को छिपा लिया जाता है. जब प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र बनारस में ही कोरोना वैक्सीन उपलब्ध नहीं है तो यूपी के अन्य जिलों का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है.