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टेलीग्राफ का फ़्रंट पेज- रिहा हा…

आज के टेलीग्राफ अख़बार का फ़्रंट पेज हर रोज़ की तरह ही प्रयोगधर्मी है। किसान आंदोलन के समर्थन में विदेशों से उठने वाली आवाज़ों को टेलीग्राफ ने लीड बनाया है।

किसान आंदोलन के पक्ष में रिहाना समेत कई विदेशियों के ट्वीट को कंपाइल करते हुए टेलीग्राफ ने रिहा हा शीर्षक लगाया है. देखें फ्रंट पेज की लीड स्टोरी-

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वरिष्ठ पत्रकार संजय कुमार सिंह की टिप्पणी है- सरकार अपना मजाक क्यों बनवा रही है!

रिहाना ट्वीट कांड पर संजय कुमार सिंह की ये पोस्ट भी पढ़ें-

Sanjaya Kumar Singh-

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रिहाना के ट्वीट और उससे भक्त परिवार को हुई परेशानी का कारण बहुत लोगों को समझ में नहीं आ रहा है। मेरे ख्याल से यह एक सामान्य सा ट्वीट था जो मुख्य रूप से इंटरनेट काटने से संबंधित है। आज के जमाने में इंटरनेट काटने का मतलब रिहाना ने जैसा समझा होगा वैसा भारत में आम लोगों के लिए शायद नहीं है। इसीलिए यहां उसका विरोध नहीं है। और भक्तों को परेशानी का अंदाजा ही नहीं है। दूसरी ओर, रिहाना को अटपटा लगा है क्योंकि आज के समय में इंटरनेट काटना बिजली-पानी काटने से बर्बर है। बिजली-पानी कट जाए तो टैंकर में आ सकता है, जेनरेटर / इनवर्टर से काम चल सकता है। पर किसी इलाके में इंटरनेट काट दिया जाए तो आज की तारीख में उसका विकल्प नहीं है। इंटरनेट पर ‘रिहाना’ गूगल करने वाले अभी रिहाना को नहीं समझेंगे। भारत में तो अभी मीडिया को ही समझ में नहीं आ रही है – खबर सीएनएन ने की है।

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